तमिलनाडु: राज्य सरकार ने राज्यपाल से छीनी कुलपति नियुक्त करने की शक्ति, विधानसभा में विधेयक पारित
तमिलनाडु विधानसभा ने सोमवार को राज्य सरकार को राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त करने का अधिकार देने वाला एक विधेयक पारित किया। विधेयक के अनुसार, राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति का अधिकार अब सरकार के पास होगा, न कि राज्यपाल के पास। राज्य सरकार के इस कदम को राज्यपाल की शक्तियां कम करने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह-राज्य गुजरात में भी कुलपतियों की नियुक्ति राज्य सरकार करती है- मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सदन के सदस्यों से इस पहल का समर्थन करने की अपील करते हुए कहा कि राज्य सरकार के पास कुलपति नियुक्त करने की शक्ति न होना राज्य में उच्च शिक्षा को प्रभावित करता है। इस दौरान उन्होंने गुजरात का जिक्र करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह-राज्य गुजरात में भी कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल नहीं बल्कि राज्य सरकार की तरफ से की जाती है। तेलंगाना, कर्नाटक समेत कई अन्य राज्यों में भी ऐसा ही है।"
स्टालिन ने राज्यपाल पर साधा निशाना
स्टालिन ने कहा, "परंपरा के अनुसार, राज्यपाल राज्य सरकार के परामर्श से कुलपतियों की नियुक्ति करता है, लेकिन पिछले चार वर्षों में एक नया चलन आया है, राज्यपालों का कार्य करना ऐसा हो गया है जैसे कि यह उनका विशेषाधिकार है।" बता दें कि यह कानून ऐसे दिन पेश किया गया है जब राज्यपाल आरएन रवि ने ऊटी में राज्य, केंद्रीय और निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति के दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।
स्टालिन ने केंद्र-राज्य संबंधों की रिपोर्ट का किया जिक्र
स्टालिन ने अपने संबोधन में केंद्र-राज्य संबंधों पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश मदन मोहन पूंछी की अध्यक्षता वाले एक आयोग की रिपोर्ट की ओर भी इशारा किया। 2010 में आई इस रिपोर्ट में विश्वविद्यालयों के कुलपति के पद से राज्यपाल को हटाने की सिफारिश की गई थी। उन्होंने कहा, "यहां तक कि गुजरात में भी सरकार की सर्च कमिटी द्वारा अनुशंसित तीन उम्मीदवारों में से किसी एक को कुलपति नियुक्त किया जाता है।"
भाजपा ने किया विरोध तो AIADMK ने किया वॉकआउट
देश की सत्ता पर काबिज और राज्य में विपक्ष में बैठी भाजपा ने तमिलनाडु सरकार के इस कदम का विरोध किया है। वहीं मुख्य विपक्षी दल ऑल इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल के नेता सेल्वापेरुन्थगई की AIADMK की नेता और दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता से संबंधित टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए विधेयक के पारित होने से पहले ही सदन से वॉकआउट कर दिया।
NEET पर भी राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच रार
14 अप्रैल को तमिल नव वर्ष के मौके पर राज्यपाल आर एन रवि ने 'एट होम रिसेप्शन' का आयोजन किया था। लेकिन NEET में छूट देने वाला विधेयक राज्यपाल के पास लंबित होने के कारण सत्तारूढ़ द्रमुक पार्टी ने इस पार्टी का बहिष्कार किया। DMK के पी सरवनन ने कहा, "राज्य की हर पार्टी ने कहा था कि NEET को जाना चाहिए, उनसे कम से कम यह उम्मीद की जाती है कि वह विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेज दें।"