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ट्रेन हादसे में दोनों पैर और 1 हाथ खोने वाले सूरज ने पास की UPSC परीक्षा
मैनपुरी के सूरज ने पास की UPSC परीक्षा (तस्वीरः ट्विटर@AwanishSharan)

ट्रेन हादसे में दोनों पैर और 1 हाथ खोने वाले सूरज ने पास की UPSC परीक्षा

लेखन राशि
May 24, 2023
02:14 pm

क्या है खबर?

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सेवा परीक्षा (CSE) 2022 का अंतिम परिणाम जारी कर दिया है। परिणामों में होनहार युवाओं ने परचम लहराया है। कई अभ्यर्थियों की प्रेरणादायक कहानियां भी सामने आई हैं। इन्हीं में से एक कहानी उत्तर प्रदेश के मैनपुरी निवासी सूरज तिवारी की है। उन्होंने एक ट्रेन हादसे में अपने दोनों पैर और एक हाथ गंवा दिया था, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और मेहतन करते हुए UPSC परीक्षा पास कर ली।

पहले

पहले प्रयास में पाई सफलता

मैनपुरी के कुरावली कस्बे के रहने वाले सूरज ने अपने पहले प्रयास में UPSC की सिविल सेवा परीक्षा में 917वीं रैंक हासिल की है। अब सूरज ग्रेड A के अधिकारी बनेंगे। सूरज के पिता राजेश तिवारी दर्जी का काम करते हैं। सूरज की सफलता पर पिता ने कहा "मुझे यकीन नहीं हो रहा कि मेरे बेटे ने पहली बार में ही सफलता हासिल कर ली है। उसने बहुत मेहनत की और आज उसे अपनी मेहनत का फल मिला है।"

सूरज

ट्रेन हादसे का शिकार हुए थे सूरज

सूरज बचपन से शारीरिक रूप से सक्षम थे, लेकिन मई 2017 को सूरज भीषण ट्रेन हादसे का शिकार हो गए। दिल्ली से घर आते समय एक रेलवे स्टेशन पर भीड़ के दबाव में उनका पैर फिसला और वो ट्रेन की चपेट में आ गए। इस हादसे में सूरज के दोनों पैर, दाया हांथ और बाएं हाथ की अंगुलियां कट गई। इलाज के बाद सूरज के स्वास्थ्य में सुधार आया और उन्होंने दोबारा पढ़ाई शुरू की।

पढ़ाई

पढ़ाई के लिए घंटों की जरूरत नहीं

सूरज ने बताया "पढ़ाई के लिए घंटों की जरूरत नहीं होती। बस आपके अंदर कुछ करने की जिद और जुनून होना चाहिए।" सूरज ने अपने प्रारंभिक शिक्षा नगर के महर्षि परशुराम स्कूल से की और दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से BA, MA की डिग्री ली। अपनी तैयारी के दौरान सूरज ने पाठ्यक्रम पर फोकस किया और सीमित अध्ययन सामग्री का उपयोग किया। सूरज का कहना है कि दृढ़ निश्चय और लगातार मेहनत से सफलता जरूर मिलती है।

ड्रिपेशन

सूरज ने अवासद से जूझते हुए की पढ़ाई

जनवरी 2017 में सूरज के बड़े भाई की मौत हो गई थी। इसके बाद सूरज ट्रेन हादसे का शिकार हुए और अपने हाथ-पैर गंवा दिए। बड़े भाई की मौत और अपने साथ हुए हादसे ने सूरज को तोड़ कर रख दिया और वो अवसाद (डिप्रेशन) में चले गए। उन्होंने लोगों से बात करना बंद कर दी, उनका आत्मविश्वास कम हो गया, लेकिन इस मुश्किल भरे दौर में सूरज ने किसी तरह खुद को संभाला और योद्धा बनकर उभरे।