सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की CBSE की मूल्यांकन नीति, जानें किन छात्रों को मिलेगा फायदा
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की पिछले साल जून की मूल्यांकन नीति की उस शर्त को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि सुधार परीक्षा में प्राप्त अंकों को कक्षा 12 के छात्रों के मूल्यांकन के लिए अंतिम माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि दोनों परीक्षाओं में से छात्रों के जिसमें बेहतर अंक हों, उसे मंजूर करने का विकल्प दिया जाए।
किन छात्रों को मिलेगा फायदा?
इस आदेश के बाद अब वह छात्र जो किसी शिक्षण संस्थान में पुराने नंबरों के आधार पर एडमिशन ले चुके हैं, उन्हें सुधार परीक्षा (इंप्रूव्मेंट एग्जाम) में पिछली परीक्षा से कम अंक आने के बाद भी परेशानी नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट 11 छात्रों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें CBSE ने 30:30:40 की मूल्यांकन नीति के आधार पर मूल परिणामों में उत्तीर्ण घोषित किया था और बाद में उन्हें सुधार परीक्षा में बैठने की इजाजत दी थी।
सुधार परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने वाले छात्रों की याचिका पर हो रही थी सुनवाई
सुधार परीक्षा में बैठने वाले, लेकिन पहले से कम अंक प्राप्त करने वाले छात्रों की याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा "छात्र केवल अपने मूल अंक के परिणामों को बनाए रखने की मांग कर रहे हैं। यदि सुधार परीक्षा में मिले कम अंकों को स्वीकार किया जाता है तो इससे उनके द्वारा लिए गए दाखिले प्रभावित होंगे।"
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
सुनवाई के दौरान CBSE के वकील रूपेश कुमार ने कोर्ट को सूचित किया था कि चूंकि छात्रों का मूल्यांकन उनकी सुधार परीक्षा में किया जाता है, इसलिए उसमें प्राप्त अंकों को अंतिम माना जाएगा। इस पर कोर्ट ने वकील से पूछा, "CBSE द्वारा छात्रों को उनके मूल अंक बनाए रखने की अनुमति नहीं देने का क्या औचित्य है? इस साल इसे करने में क्या कठिनाई है जब यह अतीत में ऐसा किया गया है?"
CBSE की मूल्यांकन नीति क्या है?
बोर्ड की तरफ से हर पेपर के लिए एक सुधार परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसमें छात्रों के पास मुख्य परीक्षा में की गई गलतियो में सुधार करने का अवसर होता है। CBSE की मूल्यांकन नीति के अनुसार, छात्र सुधार परीक्षा में जितने भी अंक प्राप्त करते हैं, उसे ही फाइनल माने जाने का प्रावधान है। इस नीति से उन छात्रों को नुकसान होता है, जिन छात्रों के मुख्य परीक्षा में सुधार परीक्षा से अच्छे नंबर थे।
मूल्यांकन नीति के आधार पर तैयार हुआ था पिछले साल का परिणाम
पिछले साल कोरोना की दूसरी लहर की वजह से शैक्षणिक सत्र 2020-21 की बोर्ड परीक्षा को रद्द कर दिया गया था। इसके बाद छात्रों को अंक देने के लिए CBSE ने एक वैकल्पिक मूल्यांकन नीति बनाई थी और उसी के आधार पर छात्रों को अंक दिए गए थे। मूल्यांकन नीति के तहत छात्रों को वैकल्पिक मूल्यांकन से संतुष्ट नहीं होने की स्थिति में अपने अंकों में सुधार करने का मौका दिया गया था।