मध्य प्रदेश: जानिए कैसे पढ़ाई करते थे 12वीं के टॉपर विकास और मौली
मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (MPBSE) की 12वीं की बोर्ड परीक्षा के परिणाम घोषित हो गए हैं। इन परिणामों में प्रदेश के होनहारों ने अपना परचम लहराया। छतरपुर के विकास द्विवेदी ने सभी संकायों में टॉप किया है। उन्होंने जीव विज्ञान संकाय में 500 में से 491 अंक हासिल किए हैं। कला संकाय में छिंदवाड़ा की मौली नेमा ने 489 अंक लाकर टॉप किया है। आइए जानते हैं दोनों टॉपरों ने किस तरह पढ़ाई कर यह सफलता हासिल की।
छोटी सी दुकान चलाते हैं मौली के पिता
मौली अमरवाड़ा की रहने वाली हैं। उन्होंने ज्ञानदीप उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से पढ़ाई की। मौली बिल्कुल साधारण परिवार से आती हैं, उनके पिता अनिल एक छोटी से इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान चलाते हैं। मौली ने बिना कोचिंग के ही घर पर ही पढ़ाई की थी। उनके माता-पिता ने बताया "मौली बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रही है। उसने साल भर पूरी मेहनत के साथ पढ़ाई की और आज उसे अपनी मेहनत का फल मिला है।"
प्रतिदिन इतने घंटे पढ़ाई करती थी मौली
मौली प्रतिदिन 4 से 5 घंटे मन लगाकर पढ़ाई करती थी। उन्होंने अपने कमजोर विषयों पर विशेष ध्यान दिया और लगातार अभ्यास करती रहीं। उन्होंने अन्य विद्यार्थियों को भी लगन के साथ पढ़ाई करने की टिप्स दिए है। मौली ने बताया "मैं आगे चलकर संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा पास कर सिविल सेवा में जाना चाहती हूं। मेरा मुख्य लक्ष्य समाज और महिलाओं के लिए काम करना है।"
विकास के पिता हैं किसान, ऐसे करते थे पढ़ाई
जीव विज्ञान विषय से प्रदेश में टॉप करने वाले विकास द्विवेदी छतरपुर के लवकुश नगर के रहने वाले हैं। विकास के पिता किसान हैं। विकास अपने पिता के कामों में हाथ बटांते हैं। वो खेतों में बोवनी और कटाई के समय काम करते हैं। कई बार विकास ने रातभर खेतों की रखवाली भी की है। इस दौरान विकास खेतों में पढ़ाई करते थे। उन्होंने पूरे साल कम संसाधनों में रहकर पढ़ाई की।
विकास बनना चाहते हैं डॉक्टर
विकास ने बताया कि जीव विज्ञान उनका पसंदीदा विषय है और वह इसी विषय के साथ आगे बढ़ेंगे। विकास आगे चलकर डॉक्टर बनना चाहते हैं। इसके लिए वो NEET की तैयारी करेंगे। उन्होंने अन्य अभ्यर्थियों को सलाह दी है कि मेहनत के साथ लक्ष्य बनाकर पढ़ाई करें। हर विषय की मूल अवधारणाओं को समझें। विकास ने अपनी सफलता का श्रेय परिवार और शिक्षकों को दिया है। उन्होंने कहा कि कठिनाई आने पर शिक्षकों ने बहुत मदद की।