दिल में छेद और पेट की बीमारी नहीं डिगा पाई पुष्कर के हौंसले, बनें बोर्ड टॉपर
"लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।" हरिवंशराय बच्चन की इन पंक्तियों को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले पुष्कर गोयल ने चरितार्थ कर दिखाया है। उन्होंने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 600 में से 580 अंक लाकर पूरे प्रदेश में 9वीं रैंक हासिल की है। अन्य टॉपरों से हटकर पुष्कर की कहानी कुछ अलग है। उन्होंने दिल में छेद और पेट की बीमारी से जूझते हुए ये मुकाम हासिल किया।
जन्म से ही है पुष्कर के दिल में छेद
पुष्कर गोयल बुलंदशहर के डीएम रोड स्थित विवेकानंद विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के छात्र हैं। उन्होंने 10वीं में 96.67 प्रतिशत अंक हासिल किए। पुष्कर के पिता अतुलेश गोयल आयुर्वेदिक कारोबारी हैं और मां सावित्री गृहणी हैं। बचपन से ही पुष्कर के दिल में छेद है और उनके पेट में भी समस्या है। इस कारण दिल और पेट दोनों का ऑपरेशन कराया गया। जन्म के 4 साल तक बीमारी के कारण पुष्कर और उनका परिवार काफी परेशान रहा।
4 से 6 घंटे पढ़ाई करते थे पुष्कर
पुष्कर प्रतिदिन स्कूल के अलावा 4 से 6 घंटे खुद से पढ़ाई करते थे। हिन्दुस्तान के अनुसार, उन्होंने बताया कि वे स्कूल से आने के बाद हर विषय से संबंधित सवालों को हल करते थे। उन्होंने पूरे साल निरंतर अभ्यास और ज्यादा से ज्यादा रिवीजन किया, इससे चीजों को याद रखने में मदद मिली। पुष्कर किताबों के साथ ही ऑनलाइन भी पढ़ाई करते थे। उन्होंने कठिन अवधारणाओं को समझने के लिए यूट्यूब पर उपलब्ध शैक्षिक वीडियो की मदद ली।
बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं पुष्कर
पुष्कर का सपना बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे जाने का है। वे कहते हैं, "मुझे बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में वैज्ञानिक बनना है और आगे जाकर कुछ बड़ा करना है।" पुष्कर ने गंभीर बीमारियों का डटकर सामना किया और इसका असर कभी अपनी पढ़ाई पर नहीं आने दिया। वे बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहे। 10वीं में भी उन्होंने कोचिंग नहीं ली। उन्होंने खुद से पढ़ाई बेहतरीन अंक हासिल किए। उनके परिवार में जश्न का माहौल है।
पुष्कर ने इन्हें दिया सफलता का श्रेय
पुष्कर ने अपने माता-पिता और स्कूल के शिक्षकों को सफलता का श्रेय दिया है। पुष्कर ने बताया, "स्कूल में बहुत अच्छा पढ़ाते थे, हमारे 4 बार प्री-बोर्ड लिए जाते थे। इससे हमें बार-बार अभ्यास करना पढ़ता है। प्री-बोर्ड परीक्षाओं के बाद हमारी गलतियों का आंकलन किया जाता था। हर चीज का प्रयोग करके हमें पढ़ाया गया है। इससे सीखने में काफी ज्यादा मदद मिली और परीक्षा में प्रदर्शन भी बेहतर हुआ।"
इस बार कैसा रहा 10वीं का परीक्षा परिणाम?
इस बार 10वीं में कुल 89.78 प्रतिशत छात्र पास हुए। 10वीं में कुल 89.85 फीसदी रेगुलर छात्र और 66.47 फीसदी प्राइवेट छात्र पास हुए हैं। कक्षा 10 की शीर्ष 10 की सूची में 179 मेधावी छात्र शामिल हैं। पहले स्थान पर महमूदाबाद के सीता बाल विद्या मंदिर इंटर कॉलेज की छात्रा प्रियांशी सोनी रहीं। प्रियांशी ने 98.33 फीसदी अंक हासिल किए हैं। इस बार 10वीं की बोर्ड परीक्षा के लिए कुल 31,16,487 छात्रों ने पंजीकरण कराया था।