दूसरों को जज करने की आदत से ऐसे पाएं छुटकारा
कुछ लोग हमेशा दूसरों को जज करते हैं। किसी को जज करना कभी-कभी सामान्य हो सकता है, लेकिन हमेशा नहीं। दूसरों को जज करने की आदत धीरे-धीरे व्यक्ति को तनाव और गुस्से से भर देती है और वह अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ पाता। अगर आपको जीवन में आगे बढ़ना है तो दूसरों को जज करने की आदत छोड़नी होगी। आइए जानते हैं कि दूसरों की आलोचना और उन्हें जज करने की आदत से कैसे छुटकारा पा सकते हैं।
अपने विचारों पर ध्यान दें
किसी भी व्यक्ति को जज करने से पहले अपने विचारों पर ध्यान दें। आप घबराएं हुए हैं, असुरक्षित हैं या परेशान हैं। आप जब इन भावनाओं से घिरे होते हैं, तभी खुद को सुरक्षित रखने के लिए दूसरों को जज करना शुरू कर देते हैं। अगर आपके मन में किसी को जज करने की भावनाएं आ रही हैं तो अपने विचारों पर ध्यान दें। अगर आप आत्मविश्वासी और खुश रहेंगे तो दूसरों पर कम ध्यान देंगे।
सकारात्मक पहलुओं पर गौर करें
हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं और ये बात व्यक्तियों पर भी लागू होती है। प्रत्येक व्यक्ति में कुछ अच्छी आदतें होती हैं और कुछ आदतें खराब होती हैं। जब हम किसी को जज करते हैं तो उसके सारे नकारात्मक पहलू सामने आ जाते हैं और हम उसके किसी भी सकारात्मक पहलू पर गौर ही नहीं करते। अगर आप प्रत्येक व्यक्ति को सकारात्मक नजरिए से देखेंगे तो जज करने की आदत से छुटकारा पा सकेंगे।
स्वीकार करें, सहनशील बनें
हर इंसान से गलतियां होती हैं। गलतियों को लेकर किसी इंसान को जज न करें। दूसरों और अपनी गलतियों को स्वीकारने की कोशिश करें और आगे बढ़ें। पर्याप्त सहनशीलता होना अच्छा है। समझदार और अधिक सहनशील बनने के लिए खुद को प्रशिक्षित करें। हो सकता है कि दूसरे लोगों ने जो किया, उसे आप स्वीकार न करें, लेकिन अगर सामने वाला वास्तव में बदलाव चाहता है तो दूसरा मौका जरूर दें।
अन्य लोगों की ताकत को समझें
किसी के बारे में धारणा बनाने से पहले उस व्यक्ति की स्थिति समझने की कोशिश करें। अन्य लोगों की ताकत को समझें। उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करें, जिन्हें आप पसंद करते हैं। याद रखें कि प्रत्येक व्यक्ति दूसरों से अलग होता है। सामने वाले व्यक्ति की ताकतों को याद करें। उन चीजों के बारे में सोचने की कोशिश करें, जो आपको सामने वाले व्यक्ति की तारीफ करने को प्रेरित करती हैं।
सहानुभूति रखें
सहानुभूति जरूर रखें। ये दूसरों को जज करने से बचने का एक बेहतर तरीका है। आत्म-करुणा का अभ्यास करें। जब आप खुद के साथ दयालु होते हैं तो दूसरों के साथ भी उसी तरह का व्यवहार करते हैं।