दिल्ली: निजी स्कूलों में अब तीन किलोमीटर दूर रहने वाले EWS छात्रों को भी मिलेगा एडमिशन
दिल्ली के निजी स्कूलों में एडमिशन लेने के इच्छुक आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), वंचित समूह (DG) और विशेष आवश्यकता वाले बच्चे (CWSN) वर्ग के छात्र-छात्राएं अब उनके घर के तीन किलोमीटर के दायरे में स्थित स्कूलों में एडमिशन ले सकेंगे। इससे पहले इन वर्गों के छात्र-छात्राओं को प्रथम वरीयता में उनके घर के एक किलोमीटर के दायरे में स्थित स्कूलों में ही एडमिशन लेने का विकल्प मिलता था।
स्कूल दूर होने के कारण कम हो जाती थी छात्रों के एडमिशन लेने की संभावना
दिल्ली शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि दिल्ली सरकार के संज्ञान में आया है कि कंप्यूटरीकृत ड्रॉ में आमतौर पर किसी स्कूल के एक किलोमीटर के दायरे में रहने वाले आवेदक चुन लिए जाते हैं और एक से तीन किलोमीटर के दायरे में रहने वाले आवेदकों की संभावनाएं घट जाती हैं। उन्होंने बताया कि छात्रों को इस स्थिति का सामना इसलिए करना पड़ता है क्योंकि अधिकांश सीटें भर जाती हैं।
छात्रों के एडमिशन के लिए समान अवसर
शिक्षा निदेशक हिमांशू गुप्ता ने इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए कहा, "अपने बच्चे को EWS, DG और CWSN कोटे के तहत निजी गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों में एडमिशन दिलाने के इच्छुक अभिभावकों को समान अवसर उपलब्ध कराने के मकसद से शिक्षा निदेशालय ने प्रथम वरीयता के सभी स्कूलों की दूरी के मानदंड को 0 से एक किलोमीटर से बढ़ाकर 0 से तीन किलोमीटर कर दिया है।''
शैक्षणिक सत्र 2023-24 से लागू होगा नियम
शिक्षा निदेशालय ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि शैक्षणिक सत्र 2023-24 से इसी मानदंड के तहत एडमिशन होंगे और ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया के दौरान आधार कार्ड की कॉपी जमा करना अनिवार्य होगा। अब तक उम्मीदवारों के लिए ऑनलाइन आवेदन के दौरान आधार कार्ड विवरण प्रदान करना वैकल्पिक था। लेकिन अब शिक्षा निदेशालय ने अपने आदेश में कहा है कि निष्पक्ष, पारदर्शी, समान और परेशानी मुक्त प्रवेश प्रक्रिया के लिए आधार कार्ड जरूरी है।
न्यूजबाइट्स प्लस
शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 के अनुसार, सभी निजी गैर-सहायता और मान्यता प्राप्त स्कूल (अल्पसंख्यक स्कूलों को छोड़कर) कमजोर वर्गों, वंचित समूहों और विशेष जरूरतों वाले बच्चों को कम से कम 25 प्रतिशत सीटों पर एडमिशन देने के लिए बाध्य हैं। इस अधिनियम के तहत ये स्कूल प्रवेश स्तर की कक्षाओं में इन वर्गों के छात्रों को निशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करते हैं।