अब 18 साल की उम्र तक होगी मुफ्त पढ़ाई? केंद्रीय शिक्षा मंत्री राज्यों से करेंगे बात
क्या है खबर?
सोमवार को संसद में केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 में संशोधन कर 18 साल तक की उम्र के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने के सुझाव का स्वागत किया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि इस विषय पर राज्यों से बात करनी होगी और केंद्र सरकार इसमें अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाएगा।
प्रावधान
2009 में लाए गए RTE कानून में नहीं हैं पर्याप्त प्रावधान- तिवारी
तिवारी ने कहा, "2009 के कानून में छह से 14 वर्ष तक के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा का प्रावधान है। ऐसे में कई बच्चों के कक्षा नौ में पहुंचने पर विद्यालय उनसे शुल्क मांगते हैं और इससे उन्हें परेशानी होती है।"
इस पर प्रधान ने कहा, "तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस की तरफ से लाए गए RTE कानून में पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं, इसे तिवारी ने माना है और यह स्वागत योग्य है।"
समस्या
कानून बनाते समय भी इस समस्या के बारे में सोचा जा सकता था- प्रधान
प्रधान ने कहा, "इस कानून के तहत आठवीं के बाद बच्चों को समस्या आती है, मैं भी स्वीकार करता हूं।"
उन्होंने आगे कहा कि यह राज्यों के अधिकार क्षेत्र का विषय है और कुछ निजी विद्यालय नौ से 12 तक की कक्षाओं के छात्रों को भी नि:शुल्क पढ़ाते हैं।
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि 2009 में कानून बनाते समय भी इस समस्या के बारे में सोचा जा सकता था।
बजट
शिक्षा मंत्रालय को बजट में 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक रूपये मिले
प्रधान ने आगे कहा कि 18 साल की उम्र तक के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा के लिहाज से कानून में संशोधन के लिए राज्यों से चर्चा करनी होगी और भारत सरकार अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाएगी।
उन्होंने आगे कहा, "हम शिक्षा का बजट बढ़ाते-बढ़ाते आगे बढ़ रहे हैं। इस साल बजट में वित्त मंत्री ने शिक्षा के लिए एक लाख करोड़ रुपए से अधिक दिए हैं।"
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
शिक्षा का अधिकार कानून कहता है कि राज्य विधि बनाकर छह से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करें।
निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 4 अगस्त, 2009 में संसद में पारित हुआ था और 1 अप्रैल, 2010 को लागू हुआ था।
इसकी धारा 6 के तहत बच्चों को पड़ोस के किसी भी स्कूल में दाखिला लेने का अधिकार है।
यह कानून सुनिश्चित करता है कि कमजोर और वंचित समूह के बच्चों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सके।