मेडिकल कारणों से बाहर हुए सैन्य कैडेट्स को लेटरल एंट्री के जरिए दें एडमिशन- AICTE

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने अपने संबद्ध संस्थानों से कहा है कि वे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) और इसी तरह के सैन्य संस्थानों से मेडिकल वजहों के कारण बाहर किए गए सैन्य कैडेट्स को 'सहानुभूति के आधार' पर लेटरल एंट्री के जरिए एडमिशन देने पर विचार करें। AICTE ने इस संबंध में उससे मान्यता प्राप्त सभी संस्थानों को पत्र लिखा है। उसने पत्र में क्या-क्या कहा, आइए जानते हैं।
संस्थानों को हाल ही भेजे गए पत्र में AICTE ने कहा है, "यह अनुरोध किया जाता है कि लेटरल एंट्री के जरिए एडमिशन के ऐसे वास्तविक मामलों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के मानदंड पर आपके सम्मानित संस्थानों में उपयुक्त स्तर पर चर्चा की जा सकती है।" उसने कहा कि यह सुविधा ऐसे योग्य छात्रों के लिए बेहद मददगार साबित होगी जो अपने करियर को फिर से शुरू करने के लिए बीच में छोड़े गए कोर्स को पूरा करना चाहते हैं।
AICTE ने कहा कि कुछ उम्मीदवार NDA और नौसेना अकादमी जैसे रक्षा संस्थानों में भर्ती होते हैं, लेकिन मेडिकल कारणों से वे अपना कोर्स पूरा नहीं कर पाते और उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ जाती है। परिषद ने कहा कि ऐसा कोई कैडेट जिसने NDA कोर्स को दूसरे साल में छोड़ दिया था, वह इस योजना के जरिए इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष में सीधे प्रवेश ले सकेगा, इससे उसका समय बचेगा।
AICTE ने कहा, "ये उम्मीदवार संस्थान को सेवाएं देने के साथ-साथ उसी संस्थान से डिप्लोमा BA, BSc, BTech, MTech जैसे कोर्स भी करते हैं, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से बाहर किए जाने की स्थिति में वे तकनीकी संस्थानों से अपना कोर्स पूरा करने में असमर्थ हो जाते हैं।" परिषद ने पत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में लेटरल एंट्री के उस प्रावधान का हवाला दिया है, जिसमें मौजूदा शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव का सुझाव दिया गया है।
पूर्व कैडेट अंकुर चतुर्वेदी ने द प्रिंट वेबसाइट से बात करते हुए कहा कि वह 1992 में NDA में शामिल हुए थे और उन्हें अपने छठे टर्म के बाद बोर्ड से बाहर होना पड़ा। उन्होंने बताया, "1985 और 2021 के बीच NDA और अन्य अकादमियों में 450 ऐसे कैडेट रहे। उनकी स्थिति पर अब तक किसी का ध्यान नहीं गया।" चतुर्वेदी उन लोगों में से एक हैं, जिन्होंने इस तरह के बदलाव के लिए केंद्र सरकार से मांग की थी।