रिलायंस शुरू कर सकती है सेमीकंडक्टर्स का निर्माण, तलाश रही पार्टनर
क्या है खबर?
अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में प्रवेश की संभावनाएं तलाशना शुरू कर दिया है।
एक रिपोर्ट में इस मामले से परिचित 2 लोगों के हवाले से कहा गया कि यह एक ऐसा कदम है, जो देश में बढ़ती चिप की मांग को पूरा कर सकता है।
इस योजना की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि रिलायंस ने विदेशी चिप निर्माताओं के साथ शुरुआती चरण की बातचीत की है।
रिपोर्ट
रिलायंस और सरकार की तरफ नहीं आई कोई टिप्पणी
मामले की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले व्यक्ति के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया कि रिलायंस ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं किया है कि वह निवेश करना चाहती है या नहीं।
जिन विदेशी चिप निर्माताओं के साथ बातचीत हुई है, खबर लिखने तक उनके नाम सामने नहीं आए थे।
इस मामले में सरकार से भी जवाब मांगने की कोशिश की गई, लेकिन सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।
रिलायंस
रिलायंस को चिप की कमी से बचने में मिलेगी मदद
सूत्रों ने कहा कि रिलायंस सेमीकंडक्टर्स में शामिल होने में फायदा देखती है क्योंकि इससे उसे चिप की कमी से बचने में मदद मिलेगी।
दरअसल, चिप की कमी से रिलायंस के दूरसंचार और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से जुड़े कारोबार प्रभावित हो सकते हैं।
उदाहरण के लिए, वर्ष 2021 में रिलायंस ने चिप की कमी का हवाला देते हुए गूगल के साथ विकसित किए जा रहे कम लागत वाले स्मार्टफोन के लॉन्च में देरी की थी।
चिप
तेजी से बढ़ेगा चिप का घरेलू कारोबार
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने अनुमान लगाया है कि घरेलू चिप बाजार वर्ष 2028 तक लगभग 6,64,200 करोड़ रुपये का हो जाएगा। वर्तमान में यह लगभग 1,90,960 करोड़ रुपये का है।
अमेरिका स्थित चिप निर्माता ग्लोबल फाउंड्रीज के पूर्व भारतीय कार्यकारी अरुण मम्पाझी ने कहा कि लगभग 16,60,530 करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण वाली रिलायंस सेमीकंडक्टर्स के क्षेत्र में उतरने के लिए भारत में सबसे अच्छी स्थिति वाली कंपनियों में से एक होगी।
रिलायंस
तेजी और मंदी से घिरा रहा है चिप निर्माण उद्योग- मम्पाझी
मम्पाझी के मुताबिक, रिलायंस के पास पैसा है और वे जानते हैं कि सरकार के साथ कैसे काम करना है।
उन्होंने यह भी कहा कि चिप निर्माण एक ऐसा उद्योग है, जो ऐतिहासिक रूप से तेजी और मंदी के चक्रों से घिरा रहा है और इसके लिए बहुत अधिक विशेषज्ञता की जरूरत होती है।
मम्पाजी ने कहा कि संयुक्त उद्यम के रूप में एक टेक्नोलॉजी पार्टनर या टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर रिलायंस के लिए सफलता है।
सरकार
वेदांता और फॉक्सकॉन की डील से सरकार को लगा था झटका
सरकार द्वारा लगभग 83,030 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन के पेशकश के बाद भी भारत की चिप महत्वाकांक्षाओं को झटका लगा है।
वेदांता और फॉक्सकॉन के बीच लगभग 1,61,930 करोड़ रुपये की सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग योजना फेल हो गई है। फॉक्सकॉन ने इसके बाद वेदांता के बिना भारत में निवेश करने का फैसला किया है।
बता दें, देश में अभी तक कोई चिप मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं है। हालांकि, वेदांता और फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर प्लांट के निर्माण पर विचार कर रही हैं।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
सेमीकंडक्टर एक प्रकार की चिप है। कंप्यूटर से लेकर कार, माइक्रोवेव, स्मार्टफोन आदि में इनका इस्तेमाल होता है। कोरोना के दौरान सेमीकंडक्टर की कमी से कई कारखानों में हफ्तों काम बंद रखना पड़ा और कंप्यूटर/लैपटॉप के दाम महंगे हो गए थे।