भारतीय रुपये सबसे निचले स्तर पर गिरा, RBI ने दखल देकर रोका
क्या है खबर?
भारतीय रुपया मंगलवार डॉलर के मुकाबले 9 पैसे गिरकर अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया।
आज सुबह रुपया डॉलर के मुकाबले 83.51 के स्तर पर खुला, लेकिन जल्द ही थोड़ा और गिरकर 83.53 के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। सोमवार को यह 6 पैसे गिरकर 83.44 पर बंद हुआ था।
इससे पहले डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का सबसे निचला स्तर 83.4550 था, जो उसने इसी 4 अप्रैल को छुआ था।
कारण
क्यों गिरा रुपया?
भारतीय रुपये के गिरने के कई कारण माने जा रहे हैं, जिनमें डॉलर का मजबूत होना, मध्य पूर्व में संघर्ष और कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि आदि शामिल हैं।
डॉलर अपने 6 महीने के उच्चतम स्तर पर बना हुआ है। ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष के बड़े युद्ध में तब्दील होने की आशंकाओं के कारण निवेशक अपने शेयर बेचकर डॉलर में निवेश कर रहे हैं।
इस संघर्ष के कारण कच्चे तेल की कीमतों में भी वृद्धि हुई है।
अन्य कारण
गिरावट के और क्या कारण रहे?
घरेलू बाजार में नेगेटिव ट्रेंड और विदेशी फंड का लगातार बाहर जाना भी रुपये के गिरने के कारण माने जा रहे हैं।
एक्सचेंज डाटा के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने सोमवार को लगभग 3,268 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले।
अमेरिका के केंद्रीय बैंक के इस तिमाही ब्याज दरों में कटौती न करने की संभावना के कारण भी भारतीय रुपया गिरा है।
दरअसल, अमेरिकी अर्थव्यवस्था स्वस्थ बनी हुई है और महंगाई को रोकने के लिए ब्याज दर नहीं घटेगी।
दखल
RBI ने दखल देकर रोकी गिरावट
अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सरकारी बैंकों के जरिए दखल देकर रुपये में गिरावट रोकी।
मेक्लाई फाइनेंशियल में एसोसिएट उपाध्यक्ष कुणाल कुरानी ने कहा कि RBI एक बार फिर एक बड़ी गिरावट को रोकने में कामयाब रहा, जिससे कई लोग परेशान हो सकते थे।
उन्होंने कहा कि अगर RBI दखल नहीं देता तो रुपया और गिरता।
असर
रुपये में गिरावट का क्या असर पड़ेगा?
रुपये के कमजोर होने का मतलब है कि अब भारत को विदेश से पहले जितना माल खरीदने पर अधिक पैसा खर्च करना पड़ेगा। आयातित सामान के महंगा होने का सीधा असर लोगों की जेब पर भी पड़ेगा।
महंगाई बढ़ने पर रेपो रेट में भी इजाफा होता है और बैंकों से मिलने वाला ऋण महंगा हो जाएगा। रुपये में गिरावट के कारण अमेरिका जैसे देशों में जाकर पढ़ाई करना भी महंगा होगा।