आंकड़ों के जरिये समझिये भारत और चीन के बीच आयात-निर्यात का पूरा गणित
लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा को लेकर चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच देश में चीनी सामान के बहिष्कार की मांग की जा रही है। कई संगठन राष्ट्रवाद के नाम पर सितारों से चीनी उत्पादों के विज्ञापन न करने की सलाह भी दे रहे हैं। ऐसे में इस बहस के बीच आंकड़ों के जरिये यह समझना जरूरी हो जाता है कि भारत और चीन के बीच कितना व्यापार होता है। तो आइये, यही जानते हैं।
इन देशों से होता है भारत का ज्यादा व्यापार
जून, 2019 में सरकार ने जानकारी दी थी कि 2017 तक दुनियाभर में होने वाले कुल व्यापार में भारत 2.1 प्रतिशत निर्यात और 2.6 प्रतिशत आयात करता है। भारत अमेरिका, चीन, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और हांगकांग के साथ सर्वाधिक कारोबार करता है।
अधिकतर व्यापारिक घाटा सहता आया है भारत
जब कोई देश निर्यात की कीमत से ज्यादा आयात करने लगे तो उसे व्यापारिक घाटा कहा जाता है। आजादी के बाद से अधिकतर समय भारत ने व्यापारिक घाटा उठाया है। 2018-19 में भारत को 12.86 लाख करोड़ रुपये का व्यापारिक घाटा उठाना पड़ा, जो 2010-19 के बीच का सर्वाधिक था। 2018-19 में भारत ने अमेरिका के साथ सबसे ज्यादा व्यापार किया। भारत ने कुल व्यापार (आयात और निर्यात) का 10.42 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका के साथ किया।
2018-19 में चीन व्यापार में आई कमी
2018 से पहले भारत के कुल अंतरराष्ट्रीय व्यापार में चीन की हिस्सेदारी सर्वाधिक रहती थी। 2014-18 के बीच भारत ने चीन के साथ क्रमश: 9.55%, 11.01%, 10.83% और 11.66% व्यापार किया। 2018-19 में चीन के साथ व्यापार में कुछ कमी आई। इस साल भारत के कुल आयात का 13.96% हिस्सा चीन से आया, जो 2017-18 के 16.4% से कम है। दूसरी तरफ भारत ने कुल निर्यात का 5.08% चीन को भेजा, जो बीते साल के 4.4% से ज्यादा था।
चीन रहा दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार
अमेरिका के बाद भारत ने चीन के साथ 10.32 प्रतिशत व्यापार किया था। यानी भारत ने कुल अंतराष्ट्रीय व्यापार का लगभग 21 फीसदी अमेरिका और चीन के साथ किया।
चीन के साथ भारत को होता है सबसे ज्यादा व्यापारिक घाटा
सबसे ज्यादा व्यापार होने वाले देशों में केवल अमेरिका और UAE ही ऐसे हैं, जहां भारत को व्यापारिक घाटा नहीं उठाना पड़ता। इसकी वजह यह है भारत इन देशों में कीमती धातु और मोती आदि निर्यात करता है, जिनकी कीमत उन देशों में ज्यादा है। वहीं चीन के साथ भारत को सबसे ज्यादा व्यापारिक घाटा उठाना पड़ता है। 2018-19 में भारत ने चीन के साथ व्यापार में 3.75 लाख करोड़ रुपये का घाटा उठाया था।
चीन के साथ ऐसे बढ़ता गया व्यापारिक घाटा
भारत ने 2009-10 में चीन से 1.46 लाख करोड़ रुपये का आयात किया था, जो 2017-18 तक आते-आते 4.9 लाख करोड़ तक पहुंच गया। वहीं 2018-19 में भारत ने पहली बार चीन में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निर्यात किया। इससे पहले 2013-14 में भारत ने अब तक का सर्वाधिक 90,000 करोड़ रुपये का निर्यात किया था। चाय, कॉफी, मत्स्य और जैविक रसायनों के निर्यात में आई बढोतरी इसके पीछे की बड़ी वजहों में से एक रही।
भारत चीन को क्या-क्या बेचता है?
भारत जिन सामानों का चीन में निर्यात करता है उनमें तांबा, दवाइयां, कपास, हीरे और अन्य रत्न, आईटी और इंजीनियरिंग सेवाएं, मांस उत्पाद, सूती धागा, कपड़ा, चीनी, चावल, कई तरह की सब्जियां और फल शामिल हैं।
निर्यात के लिए कच्चा माल चीन से आयात करता है भारत
इनके अलावा भारत चीन से जैविक रसायन, खाद, प्लास्टिक से बना सामान, लोहा और स्टील, लोहे और स्टील से बना सामान, वाहन और रसायनिक उत्पाद आदि भी निर्यात करता है। यह बात भी ध्यान देने वाली है कि भारत जो सामान दूसरे देशों को बेचता है, उनमें से कुछ का कच्चा माल चीन से निर्यात करता है। दवाइयां इसका एक बड़ा उदाहरण है। भारत निर्यात करने वाली कई दवाओं का कच्चा माल चीन से लेता है।
चीन से इन सामानों का आयात करता है भारत
चीन के साथ हो रहा व्यापारिक घाटा भारत के कुल व्यापारिक घाटे पर भी बड़ा असर डालता है। चीन से भारत में आने वाले सामान का बड़ा हिस्सा बिजली की मशीनों और सामानों का होता है। 2018-19 में भारत ने 144.4 हजार करोड़ का ऐसा सामान खरीदा। साथ ही भारत न्यूक्लियर रिएक्टर, मशीनें और दूसरे उपकरण भी भारी मात्रा में चीन से लेता है। 2018-19 में भारत ने चीन से 93.6 हजार करोड़ रुपये का ऐसा सामान खरीदा।
बीते साल आयात में आई मामूली गिरावट
बतौर रिपोर्ट, 2018-19 में भारत ने चीन से 96 तरह के माल का आयात किया। हालांकि, उस साल चीन से होने वाला आयात 2017-18 के 16.4 प्रतिशत से गिरकर 13.69 प्रतिशत रह गया था। इस दौरान सिंगापुर और अमेरिका से होने वाला आयात बढ़ गया।
कुछ सामानों को लेकर चीन पर है ज्यादा निर्भरता
चीन से आने वाले सामान में काफी हिस्सा ऐसा होता है जो सीधे आम लोगों के उपयोग का नहीं होता। इसके बजाय इसे कई उत्पादन और कृषि गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के लिए भारत में बिजली के सामान को असेंबल करने में इस्तेमाल होने वाले अधिकतर कल-पुर्जे चीन से आते हैं। बहिष्कार की मांग के बीच ऐसे सामान की आपूर्ति में कोई भी बाधा रोक भारत के उत्पादन और कृषि क्षेत्र पर बुरा असर डाल सकती है।