क्या बिल नहीं चुकाने पर अस्पतालों के पास है मरीज को रोकने का अधिकार? जानिए सबकुछ
क्या है खबर?
कोरोना महामारी के इस दौर में जहां कोरोना संक्रमित मरीज जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं, वहीं कुछ अस्पतालों की मनमानी ने मानवता को शर्मसार कर दिया है।
हाल ही में मध्य प्रदेश में शाजापुर सिटी अस्पताल प्रबंधन ने उपचार का बिल नहीं चुकाने पर एक 60 वर्षीय मरीज को बेड पर रस्सियों से बांध दिया था।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अस्पतालों के पास ऐसा अमानवीय कृत्य करने का अधिकार है? आइए जानते हैं सबकुछ।
घटना
मरीज के परिजनों ने नहीं चुकाया था 11,200 का बिल
TOI की रिपोर्ट के अुनसार लक्ष्मीनारायण डांगी (60) का सिटी अस्पताल में उपचार चल रहा था। उपचार का 11,200 रुपये का बिल बना था।
बिल नहीं चुकाने पर अस्पताल प्रशासन ने डांगी को रस्सियों के सहारे बेड पर बांध दिया। मरीज की बेटी शीला ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने बिल नहीं चुकाने पर यह कदम उठाया था।
घटना का वीडियो वायरल होने पर स्थानीय प्रशासन ने अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर संचालक के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
आदेश
मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश
घटना के संबंध में अस्पताल प्रशासन का कहना था कि मरीज ऐंठन से पीड़ित था और उपचार के लिए उसे बांधा गया था। वीडियो वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जांच के आदेश दे दिए।
इस मामले में तो मुख्यमंत्री के आदेश के बाद सख्ती से जांच शुरु हो गई, लेकिन सवाल यह है कि देश में ऐसे बहुत मामले होते हैं, लेकिन सरकार की स्पष्ट नीति नहीं होने के कारण दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती है।
चार्टर
मरीजों के अधिकारियों के लिए तैयार किया गया था चार्टर
साल 2018 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा तैयार किए गए रोगी अधिकारों के चार्टर को मरीजों के मूल अधिकारों के तहत मानते हुए प्रस्तुत किया था।
इसमें कहा गया था कि अस्पताल बिल के भुगतान को लेकर किसी मरीज या शव को रोक नहीं सकते हैं। ऐसी स्थिति में अस्पताल को मरीजों या शवों को उनके अटेंडेंट को सौंपना होगा।
मंत्रालय ने राज्य सरकारों को इसे जरूरी विषय बताते हुए लागू करने को कहा था।
जानकारी
महाराष्ट्र सरकार ने लागू किया था नियम
इसको लेकर गत वर्ष महाराष्ट्र सरकार ने निजी अस्पतालों के पंजीयन के नियमों को संशोधित करने की बात कही थी। जिसमें कहा गया था कि बिल नहीं चुकाने पर अस्पताल प्रशासन उपचार कराने वाले मरीज या शव को रोक नहीं सकते हैं।
परेशानी
कानून नहीं बनने के कारण अस्पताल कर रहे हैं मनमानी
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गया वह चार्टर आज भी ड्राफ्ट ही बनकर पड़ा हुआ है। यही कारण है कि अस्पताल प्रशासन ने मरीजों के साथ मनमानी कर रहे हैं।
जब तक इस चार्टर की पालना के लिए प्रतिबंधों के साथ आवश्यक कानून नहीं बनाया जाता, तब तक निजी अस्पतालों में गरीब तबके के लोगों के साथ इस तरह की ज्यादतियां होती रहेगी।
ऐसे में सरकार को इस पर सख्त कानून बनाने की जरूरत है।
राहत
वर्तमान में मरीजों को न्यायालयों से ही मिल रही राहत
मरीजों के अधिकार के लिए आवश्यक यह कानून लागू नहीं होने के कारण वर्तमान में मरीजों को न्यायालयों में शरण में जाना पड़ रहा है ।
साल 2018 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक मरीज के पक्ष में फैसला दिया था कि बिल नहीं चुकाने के नाम पर अस्पताल मरीज या शव को नहीं रोक सकते। अस्पतालों द्वारा किया गया यह कार्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है। अस्पताल का यह कदम पूरी तरह से अवैध है।
दलील
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कही सख्त नियम बनाने की बात
इस मामले में कोई सख्त नियम नहीं होने को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने दोषी अस्पताल के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई का आदेश नहीं दिया था।
अदालत ने कहा था कि अस्पताल द्वारा उठाया गया कदम पूरी तरह से गलत है, लेकिन सरकार की ओर से इसको लेकर कोई नियम या कानून लागू नहीं कर रखा है। ऐसे में सरकार को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्य नियम और कानून बनाने चाहिए। इससे अस्पतालों पर नियंत्रण हो सकेगा।
जानकारी
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मरीज के पक्ष में सुनाया था फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट ने भी गत वर्ष बिल नहीं चुकाने पर अस्पताल द्वारा मरीज को बंधक बनाने के मामले में मरीज को छोड़ने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि बिल नहीं चुकाने के कारण मरीज को बंधक नहीं बनाया जा सकता।