चीन के भिखारी हुए आधुनिक, भीख माँगने के लिए करते हैं QR कोड का इस्तेमाल
जब से भारत में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने क़दम उठाया है, तब से हर जगह डिजिटल लेनदेन किया जाने लगा है। किराने की दुकान से लेकर कपड़े और अन्य दुकानों पर QR कोड के माध्यम से लेनदेन तेज़ी से हो रहा है। लेकिन भारत को पीछे छोड़ते हुए चीन इसमें काफ़ी आगे निकल गया है। जी हाँ अब चीन के भिखारी भीख माँगने के लिए QR कोड का इस्तेमाल कर रहे हैं। आइए जानें।
चीन में बढ़ी है QR कोड से भीख लेने वाले भिखारियों की संख्या
दरअसल, भारत में पिछले कुछ वर्षों में कैशलेश लेनदेन को काफ़ी पसंद किया जाने लगा है, लेकिन डिजिटल लेनदेन के लिए चीन के प्यार के मामले में यह कुछ भी नहीं है। आपको जानकार हैरानी होगी कि वहाँ न केवल दुकानों पर बल्कि रोड पर भीख माँगने वाले भिखारी भी ई-वॉलेट और QR कोड का इस्तेमाल करके भीख माँग रहे हैं। देश में तकनीकी उछाल के बाद QR कोड से भीख लेने वालों की संख्या काफ़ी बढ़ गई है।
चीन में पहले से हो रहा है QR कोड के माध्यम से लेनदेन
रिपोर्ट्स के अनुसार, भिखारी भीख लेने के अवसरों को बढ़ाने के लिए मोबाइल भुगतान का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे चीन के सभी इलाकों में पर्यटन स्थलों और मेट्रो स्टेशनों पर जा सकते हैं। डिजिटल भुगतान और QR कोड के माध्यम से चीन में बहुत पहले से ही लेनदेन किया जा रहा है। भीख माँगने पर जब कोई कहता है कि चेंज नहीं है, तो ये उसे ई-वॉलेट या QR कोड के माध्यम से भीख देने के लिए कहते हैं।
भिखारियों को स्थानीय स्टार्ट-अप और छोटे व्यवसायों द्वारा किया जाता है भुगतान
ये तकनीकी प्रेमी भिखारी आमतौर पर भीख माँगने वाले कटोरे में QR कोड का प्रिंट आउट लिए रहते हैं। ये भिखारी चीन के सबसे लोकप्रिय ई-वॉलेट्स अलीबाबा ग्रुप के Alipay या टेंसेंट के WeChat वॉलेट के माध्यम से भीख देने के लिए इनके कोड को स्कैन करने के लिए कहते हैं। चाइना चैनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन भिखारियों को छोटे व्यवसायों और स्थानीय स्टार्ट-अप द्वारा मिलने वाले हर स्कैन के लिए भुगतान किया जाता है।
मार्केटिंग के लिए कंपाइल करके बेचा जाता है यूज़र डाटा
स्कैन इन व्यवसायों को ई-वॉलेट ऐप्लिकेशन के माध्यम से यूज़र डाटा की कटाई करने की अनुमति देता है। रिपोर्ट में दावा किया गया है, इस डाटा को मार्केटिंग के लिए कंपाइल किया जाता है और बेचा जाता है।
हर स्कैन के लिए भिखारियों को कंपनियाँ देती हैं पैसे
स्पॉन्सर्ड QR कोड को स्कैन करने के लिए भिखारियों को कोई भीख नहीं दी जाती है। यह लोगों को उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा स्कैन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस तरह लोग भिखारियों को कुछ नहीं देते हैं। स्कैन के माध्यम से यूज़र डाटा और संपर्क विवरण प्राप्त करने के बाद स्थानीय व्यवसाय उपयोगकर्ता को WeChat पर विज्ञापन भेजते हैं। हर स्कैन के लिए भिखारियों को कंपनियाँ पैसे देती हैं।
एक सप्ताह में भिखारी कमाता है 44,880 रुपये
रिपोर्ट्स के अनुसार, हर स्कैन के लिए एक भिखारी को लगभग 0.7 से 1.5 युआन (लगभग 7 से 15 रुपये) मिलते हैं। इस तरह 45 घंटे के सप्ताह में एक भिखारी 4,500 युआन (लगभग 44,880 रुपये) तक आसानी से कमा लेता है।