क्रिप्टोकरेंसी पर लगेगा टैक्स; जानें बिटकॉइन, NFT इन्वेस्टर्स और माइनिंग से जुड़े नियम
भारत सरकार अपने पिछले बजट में नया नियम लेकर आई और देश में क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगाने की शुरुआत हुई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए सेक्शन 115BBH से जुड़ी घोषणा की, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी, नॉन-फंजिबल टोकन्स (NFTs) और वर्चुअल डिजिटल असेट्स से जुड़े टैक्स रेट और इसकी गणना का तरीका बताया गया है। यानी कि अब क्रिप्टो टोकन्स या वर्चुअल असेट्स होल्ड करने वाले टैक्सपेयर्स को इसके बदले टैक्स देना होगा।
देना होगा 30 प्रतिशत क्रिप्टो टैक्स
बजट में बताए गए नियमों के मुताबिक, सभी तरह के वर्चुअल असेट्स पर अब 30 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा। इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसीज और डिजिटल असेट्स से जुड़े हर तरह के लेनदेन के साथ सोर्स पर एक प्रतिशत टैक्स (TDS) कटेगा। साथ ही, टैक्सपेयर की ओर से किसी एक तरह के वर्चुअल डिजिटल असेट्स के नुकसान की भरपाई दूसरे डिजिटल टोकेन से जुड़े लेनदेन से हुए फायदे से नहीं की जा सकेगी।
क्या हैं नए क्रिप्टोकरेंसी टैक्स से जुड़े नियम?
क्रिप्टोकरेंसीज, NFTs और दूसरे वर्चुअल असेट्स की बिक्री से हुई कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स का भुगतान करना होगा। क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेनदेन करने के दौरान अलग से कोई डिडक्शन (कटौती) नहीं किया जाएगा। क्रिप्टोकरेंसी या वर्चुअल असेट्स से हुए नुकसान को किसी दूसरी तरह की आय (शेयर या म्यूचुअल फंड्स) के साथ नहीं दिखाया जा सकेगा। इस तरह टैक्स कैल्कुलेशन के दौरान सभी तरह का नुकसान अनदेखा करते हुए केवल इससे हुए लाभ पर ही टैक्स लिया जाएगा।
वर्चुअल गिफ्ट्स पर भी देना होगा टैक्स
नए नियमों में कहा गया है कि डिजिटल असेट्स से जुड़े नुकसान को अगले साल के लिए कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जा सकेगा। साथ ही, अगर कोई टैक्सपेयर एक साल में डिजिटल असेट्स के साथ 50,000 रुपये से ज्यादा का भुगतान करता है तो एक प्रतिशत TDS की कटौती होगी। खास बात यह है कि गिफ्ट में दी गईं क्रिप्टोकरेंसीज, NFTs और वर्चुअल असेट्स पर भी उन्हें पाने वाले को टैक्स का भुगतान करना होगा।
क्या होते हैं वर्चुअल असेट्स?
वर्चुअल असेट्स या NFTs दरअसल ऐसे टोकन होते हैं, जिनकी दूसरी कॉपी नहीं होती। जैसे सामान्य लेनदेन करने के लिए कागजी दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है, NFTs के रिकॉर्ड्स डिजिटल वर्ल्ड में स्टोर होते हैं। क्रिप्टोकरेंसी में NFTs की खरीददारी होने के चलते इसकी जानकारी ब्लॉकचेन पर स्टोर की जाती है। ब्लॉकचेन एक प्राइवेट नेटवर्क है, जो क्रिप्टोकरेंसी में होने वाले लेनदेन को पब्लिक डोमेन पर मॉनीटर करता है। ब्लॉकचेन पर किए गए लेनदेन कोई भी देख सकता है।
डिजिटल रुपया भी लेकर आएगी सरकार
वित्त मंत्री सीतारमण ने इसी साल डिजिटल रुपया लाने का भी ऐलान किया है। इसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जारी करेगा। यह नकदी का इलेक्ट्रॉनिक रूप होगा और इसे डिजिटल करेंसी भी कहा जा सकेगा। इससे अर्थव्यवस्था में नकदी पर निर्भरता कम हो जाएगी।
क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह वर्चुअल या डिजिटल होती है। इसे देखा या छुआ नहीं जा सकता है, लेकिन डिजिटल कॉइन के रूप में ऑनलाइन वॉलेट में जमा किया जा सकता है। यह एक तरह की डिजिटल कैश प्रणाली है, जो पूरी तरह के कम्प्यूटर एल्गोरिदम पर निर्भर है। इसी पर किसी देश या सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। साल 2009 में बिटकॉइन के साथ इसकी शुरुआत हुई और ढेरों नाम इस वर्चुअल करेंसी सिस्टम से जुड़ते चले गए।