#NewsBytesExplainer: क्या होती हैं सोडियम-आयन बैटरियां और इलेक्ट्रिक वाहनों को इनसे क्या फायदा होगा?
पिछले कुछ सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री काफी बढ़ गई है, लेकिन अभी भी बड़ी समस्या ये है कि इनकी कीमत काफी ज्यादा है। इसकी वजह इलेक्ट्रिक कारों में इस्तेमाल होने वाली लिथियम आयन बैटरियां हैं, जिनकी कीमत बहुत ज्यादा है। इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें कम करने के लिए कंपनियां सोडियम-आयन बैटरी पर काम कर रही हैं। आइये कार गाइड में जानते हैं कि सोडियम-आयन बैटरियां क्या हैं और इसके फायदे-नुकसान क्या हैं।
सोडियम-आयन बैटरी क्या है?
सोडियम-आयन बैटरी रिचार्जेबल बैटरी है, जिसे बैटरी की चार्जिंग और डिस्चार्जिंग के दौरान इलेक्ट्रोड के बीच सोडियम-आयन संचलन की आवश्यकता होती है। बता दें कि इन बैटरियों में सोडियम कैथोड के रूप में कार्य करता है। ये हर प्रकार के तापमान में अच्छी तरह से काम करती हैं। सोडियम-आयन बैटरियां वर्तमान में अपनी कम लागत, अधिक उपलब्धता और पर्यावरण पर कम प्रभाव के कारण अन्य बैटरी तकनीक के संभावित विकल्प के रूप में उभर रही हैं।
कैसे काम करती है सोडियम-आयन बैटरी?
सोडियम-आयन बैटरी में एक एनोड, एक कैथोड, सेपरेटर, इलेक्ट्रोलाइट, एक पॉजिटिव और एक नेगेटिव करंट कलेक्टर होती है। एनोड और कैथोड सोडियम-आयन को जमा करते हैं, जबकि इलेक्ट्रोलाइट ऊर्जा के प्रभाव को जारी रखता है। जब भी हम इस बैटरी को चार्ज करते हैं तो इसमें उपलब्ध आयन चार्ज हो जाते हैं। फिर इलेक्ट्रोलाइट की मदद से चार्ज किए गए आयन को एनोड से कैथोड की तरफ ले जाया जाता है।
लिथियम-आयन बैटरी से बेहतर है सोडियम-आयन बैटरी?
लिथियम-आयन बैटरी सोडियम-आयन से ज्यादा बेहतर हैं। हालांकि, इसकी सप्लाई लिमिटेड मात्रा में होती है और मांग बहुत ही अधिक है। यही वजह है कि इनकी कीमतें भी काफी अधिक होती हैं। आज के वक्त में लैपटॉप-मोबाइल से लेकर इलेक्ट्रिक वाहन तक में लीथियम बैटरियों का ही इस्तेमाल होता है, लेकिन इसकी उपलब्धता, कीमत और दूसरे कारकों को देखते हुए कंपनियां अब अन्य विकल्पों की तलाश में जुट गई है और नई बैटरियां ईजाद कर रही हैं।
सोडियम-आयन बैटरी से क्या फायदा मिलेगा?
लिथियम-आयन वाली बैटरियों की तरह सोडियम बैटरी में कोबाल्ट की जरूरत नहीं होती है। आपको बता दें कि अफ्रीका सहित कई देशों में कोबाल्ट की माइनिंग बहुत कठिन है, जिसमें इंसानों की जान जाने तक का खतरा बना रहता है। दूसरी ओर दुनिया में सोडियम का भंडार भी कई गुना अधिक है। भारत के पास भी सोडियम के कई भंडार है। ऐसे में इनसे कम कीमत में बैटरी बनाई जा सकती है।
क्या सोडियम-आयन बैटरी के कुछ नुकसान भी हैं?
भले ही सोडियम दुनिया भर में आसानी से उपलब्ध है और इसकी कीमत कम है, लेकिन इसकी कुछ खामियां भी हैं। अन्य बैटरी की तुलना में सोडियम-आयन वाली बैटरियां कम ऊर्जा स्टोर कर सकती हैं। अगर आपको लिथियम-आयन बैटरी जितनी ऊर्जा चाहिए तो आपको काफी भारी सोडियम बैटरी की जरूरत होगी। इसके अलावा लीथियम-आयन बैटरी को हज़ारों बार चार्ज-डिस्चार्ज किया जा सकता है, जो फिलहाल सोडियम-आयन वाली बैटरी के साथ संभव नहीं है।
सोडियम-आयन बैटरी को लेकर क्या कर रही सरकार?
वर्तमान में इलेक्ट्रिक गाड़ियों में लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल होता है, जिसे अन्य देश से आयात किया जाता है। भारत में जम्मू में कुछ लिथियम भंडार उपलब्ध हैं, लेकिन ये देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की जरूरत को पूरा करने के लिए काफी नहीं हैं। ऐसे में सरकार सोडियम-आधारित बैटरी लाने की योजना पर भी काम कर रही है और इसके लिए सरकार एक नई PLI योजना भी लाने पर काम कर रही है।
इलेक्ट्रिक वाहनों को सोडियम-आयन बैटरी से क्या फायदा मिलेगा?
चूंकि सोडियम-आयन बैटरी एक सस्ती विकल्प है। इस वजह से इन्हे इलेक्ट्रिक गाड़ियों में इस्तेमाल करने की बात की जा रही है और कई कंपनियां ऐसी बैटरियां बनाने पर काम भी कर रही है। अगर आने वाले समय में इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों में किया गया तो गाड़ियों की कीमतें काफी कम हो सकती हैं, जिससे ये आम आदमी के बजट में फिट हो जाएगी। इसके अलावा इनको रिप्लेस करने में भी ज्यादा पैसे नहीं देने होंगे।