#NewsBytesExpainer: कारों में कितने प्रकार के ब्रेक होते हैं और ये कैसे करते हैं काम?
क्या है खबर?
सुरक्षित ड्राइविंग के लिए गाड़ी में ब्रेक का होना बहुत जरूरी है। यही कारण है कि आजकल ऑटोमोबाइल कंपनियां अपनी गाड़ियों के ब्रेक सिस्टम पर बहुत ध्यान देती हैं।
वर्तमान में अलगअलग वाहनों में कई प्रकार के ब्रेक्स मिलते हैं, जो लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार होते हैं। आज हम आपके लिए कार ब्रेक से जुड़ी कुछ जानकारी लेकर आए हैं।
आइये जानते हैं कि ब्रेक्स कितने प्रकार के होते हैं और ये कैसे काम करते हैं।
प्रकार
कितने प्रकार के होते हैं ब्रेक्स?
गाड़ियों की स्पीड कम करने के लिए पहली बार ब्रेक का इस्तेमाल लगभग 1800 के दशक में शुरू हुआ था। धीरे-धीरे ये अपडेट होते रहे।
कार्य सिद्धांत के आधार पर ब्रेक दो प्रकार के होते हैं। पहला हाइड्रोलिक और दूसरा मैकेनिकल ब्रेकिंग, वहीं निर्माण के आधार पर ब्रेक्स 3 प्रकार के होते हैं। पहला डिस्क, दूसरा ड्रम और तीसरा हैंडब्रेक।
इन ब्रेक्स में आधुनिक फीचर्स जैसे- एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS), रीजनरेटिव ब्रेकिंग और ऑटोमैटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग (AEB) मिलते हैं।
#1
हाइड्रोलिक ब्रेकिंग सिस्टम
हाइड्रोलिक ब्रेकिंग सिस्टम का उपयोग अधिकांश वाहनों में किया जाता है।
ये अधिक प्रभावी हैं। इनमें ब्रेक पैडल से प्रत्येक पहिये पर बल लगाने के लिए हाइड्रोलिक प्रेशर का उपयोग किया जाता है, जिससे गाड़ी धीरे-धीरे रुक जाती है।
हाइड्रोलिक ब्रेकिंग सिस्टम के कई मुख्य पार्टस- ब्रेक पैडल, मास्टर सिलेंडर, ब्रेक लाइन, ब्रेक कैलिपर्स, व्हील सिलेंडर और ब्रेक पैड या ब्रेक शूज हैं, जिनकी मदद से यह गाड़ियों को रोकने का काम करता है।
#2
मैकेनिकल ब्रेकिंग सिस्टम
मैकेनिकल ब्रेकिंग सिस्टम प्रत्येक पहिये पर ब्रेक पैडल से ब्रेक लगाने के लिए इलेक्ट्रिक मोटर का उपयोग करता है।
हाइड्रोलिक ब्रेकिंग के विपरीत यह वाहन को धीमा करने या रोकने के लिए फिजिकल मैकेनिज़्म का इस्तेमाल करता है।
मैकेनिकल ब्रेकिंग सिस्टम के मुख्य पार्ट्स- ब्रेक पैडल, मैकेनिकल लिंकेज और ब्रेक शूज होते हैं, जो ड्रम ब्रेक या डिस्क ब्रेक हो सकते हैं।
इस सिस्टम का इस्तेमाल इमरजेंसी ब्रेकिंग और हैंडब्रेक में किया जाता है।
#3
ड्रम ब्रेक सिस्टम
ड्रम ब्रेक सिस्टम में पहियों को ब्रेक ड्रम से जोड़ा जाता है। ब्रेक ड्रम पहियों के रोटेशन के कारण साथ-साथ घुमता है।
अब पहियों को रोकने के लिए इन ब्रेक ड्रम को रोकना पड़ता है। ब्रेक लगाने पर ये ड्रम लॉक होने लगते हैं और इस वजह से गाड़ी की स्पीड भी कम हो जाती है।
इनमें ब्रेक शूज लगे होते हैं, जो ड्रम ब्रेक को रोकने का काम करते हैं और बार-बार बदलना पड़ता है।
जानकारी
ड्रम ब्रेक के फायदे और नुकसान
ड्रम ब्रेक किफायती होते हैं । साथ ही ज्यादा सरफेस एरिया की वजह से इसकी उम्र भी लंबी होती है। हालांकि, अधिक गर्मी में ये ठीक से काम नहीं कर पातें, वहीं ज्यादा मूविंग पार्ट की वजह से इसका रखरखाव भी कठिन है।
#4
डिस्क ब्रेक सिस्टम
आजकल बाजार में डिस्क ब्रेक काफी लोकप्रिय हैं। डिस्क ब्रेक में रोटर या ब्रेक डिस्क का उपयोग किया जाता है, जो पहिये के रोटर से जुड़े हुए होते हैं। अगर ये रोटर रुक जाए तो पहिये ठीक तरह से घूम नहीं पाएंगे।
ऐसे में पहियों को रोकने के लिए डिस्क ब्रेक सिस्टम हाइड्रोलिक तारों के माध्यम से ब्रेक पैड पर पावर डालता है। इससे पैड और रोटर के बीच का घर्षण पहिये की गति को धीमा कर देता है।
जानकारी
डिस्क ब्रेक के फायदे और नुकसान
डिस्क ब्रेक गर्मी में भी ठीक से काम करते हैं। इनका रखरखाव काफी आसान है क्योंकि कैलीपर को मरम्मत के लिए स्वतंत्र रूप से हटाया जा सकता है। हालांकि, यह ब्रेक महंगा और अधिक शोर करने वाला होता है।
#5
हैंडब्रेक सिस्टम
कार हैंडब्रेक को इमरजेंसी ब्रेक या ई-ब्रेक के रूप में भी जाना जाता है। कारों में मिलने वाले ये इमरजेंसी ब्रेक हाथ से लगाए जाते हैं या इसके लिए खास हैंड लीवर होता है।
यह एक केबल के माध्यम से पीछे के पहियों से जुड़ा होता है, जो सामान्य ब्रेक या हाइड्रोलिक ब्रेक काम न करने की स्थिति में भी कार को रोक सकता है।
दुर्घटनाओं को रोकने के संबंध में हैंडब्रेक आपकी सुरक्षा के लिए काफी अहम है।
जानकारी
हैंडब्रेक के फायदे और नुकसान
हैंडब्रेक ढलान या असमान सतह पर खड़ी होने पर कार को लुढ़कने से रोकता है। साथ ही आपातकालीन स्थितियों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, अधिक स्पीड में यह काम नहीं करता और इसका मरम्मत भी कठिन है।