भारत में भी उठा सकेंगे मोटो GP रेसिंग का आनंद, अगले साल नोएडा में होगा आयोजन
अगर आपको बाइक रेसिंग पसंद है तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। अगले साल से भारत में लोकप्रिय मोटो GP (मोटो ग्रैंड प्रिक्स) रेस शुरू होने जा रही है। 2023 में भारत ग्रेटर नोएडा के बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट (BIC) पर पहली मोटो GP विश्व चैम्पियनशिप की मेजबानी करने जा रहा है। मोटरस्पोर्ट इवेंट को सात साल के लिए भारत में लाने के लिए डोर्ना स्पोर्ट्स और नोएडा स्थित फेयरस्ट्रीट स्पोर्ट्स ने समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
इवेंट को मिला है 'ग्रैंड प्रिक्स ऑफ भारत' नाम
इवेंट के आयोजकों ने बताया कि देश की पहली मोटो GP प्रतियोगिता को 'ग्रैंड प्रिक्स ऑफ भारत' नाम दिया गया है और इसमें 19 देशों के रेसर भाग लेंगे। दोनों कंपनियों के बीच हुए इस समझौते के जरिये डोर्ना ने भारत में मोटो GP बाइक रेसिंग को प्रोत्साहित करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर के भारतीय मोटो GP राइडरों को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही भारत में मोटो E को पेश करने की भी योजना बनाई गई है।
इवेंट को सफल बनाने के लिए आयोजकों की मदद करेगी योगी सरकार
डोर्नो कंपनी के चेयरमैन कार्मेलो एजपेलेटा ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि बुद्ध अंतरराष्ट्रीय सर्किट के ट्रैक को थोड़ा अपडेट करने की जरूरत है। साथ ही सुरक्षा स्तर पर भी मदद की जरुरत पड़ेगी। वहीं, मुख्यमंत्री ने भी हर तरह की मदद करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि समस्याओं का समाधान किया जाएगा और ट्रक को भी अपडेट किया जाएगा।
क्या है मोटो GP रेसिंग?
मोटो GP के हाई-स्पीड रेसिंग बाइक इवेंट है और इसका आयोजन FIM (फेडरेशन इंटरनेशनेल डी मोटोसाइक्लिस्मे) करती है। लगभग 1000cc इंजन वाली पावरफुल बाइक्स इसमें हिस्सा लेती हैं और ये 355 किलोमीटर प्रति घंटे की टॉप स्पीड पकड़ने में सक्षम होती हैं। बता दें कि बुद्ध सर्किट पर फॉर्मूला वन का आयोजन भी हुआ था, लेकिन टैक्स और अन्य समस्याओं के चलते इसे बंद कर दिया गया।
मोटो GP से कैसे होगा भारत को फायदा?
अगर इस रेस का आयोजन नोएडा में होता है तो उत्तर प्रदेश को दुनियाभर में अपना नाम बनाने में काफी मदद मिलेगी। साथ ही यहां टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा। इस रेस का लाइव टेलिकास्ट 200 देशों में होता है और भारत में इस रेस के आयोजन से लगभग 50,000 लोगों को रोजगार मिलेगा। वहीं, 5,000 से अधिक लोग रेस के दौरान यहां काम करेंगे।