होंडा ने भारत में रिकॉल किए ये मॉडल, रिफ्लेक्टर में हो रही समस्या
होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया (HMSI) ने रिफ्लेक्टर के साथ हो रही समस्या के कारण भारत में कई मॉडल्स को रिकॉल किया है। इस रिकॉल में होंडा एक्टिवा 5G, होंडा एक्टिवा 6G, होंडा एक्टिवा 125, CB शाइन, हॉर्नेट 2.0, X-ब्लेड, H'नेस CB 350 और CB 300R आदि शामिल हैं। प्रभावित हुए सारे होंडा मॉडल्स का निर्माण नवंबर, 2019 से जनवरी, 2021 के बीच किया गया था। आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
इस वजह से किया जा रहा रिकॉल
कंपनी के अनुसार, फोर्क पर फिट होने वाले रिफ्लेक्स रिफ्लेक्टर सामान्य रूप से जरूरी फोटोमेट्रिक सिस्टम से थोड़ा अलग होने की वजह से कम लाइट रिफ्लेक्शन दे रहे हैं, जिससे अंधेरे वाली जगहों पर दिखाई देने में परेशानी हो सकती है। साथ ही इससे दृश्यता भी कम हो जाती है, जिसकी वजह से दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। हालांकि, होंडा ने कहा है कि इससे उत्पन्न हुई परेशानी का प्रभाव बहुत कम है।
ये होगी रिकॉल की प्रक्रिया
रिकॉल की प्रक्रिया HMSI के रजिस्टर्ड डीलरशिप द्वारा पूरी की जाएगी। ग्राहकों की सहूलियत के लिए इसमें नए रिफ्लेक्टर को फ्री में बदला जाएगा। वैसे वाहन जिनका वारंटी पीरियड इस अवधि के दौरान खत्म हो गया है, उन्हे भी इस रिकॉल में शामिल किया जाएगा। कंपनी ने अनलॉक प्रक्रिया के तहत 1 जून, 2021 से रिकॉल की प्रक्रिया शुरू की है। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर कंपनी कॉल, ईमेल या SMS के जरिए ग्राहकों से संपर्क करेगी।
कैसे करें रिकॉल के लिए आवेदन?
कंपनी के अलावा रिकॉल के लिए ग्राहक खुद से भी आवेदन कर सकते है। इसके लिए ग्राहक को कंपनी की वेबसाइट पर VIN दर्ज करना होगा। साथ ही ग्राहकों को अपने वाहन को पास के रजिस्टर्ड HMSI डीलरशिप पर ले जाना होगा, जहां एहतियात के तौर पर एक नया रिफ्लेक्टर लगाया जाएगा। वहीं, होंडा CB300R और H'नेस CB350 ग्राहकों को प्रभावित रिफ्लेक्टर को बदलाने के लिए होंडा बिग-विंग डीलरशिप पर जाना होगा।
अमेरिका से भी हो चुकी है रिकॉल
होंडा मोटर कंपनी को अमेरिका में भी इसी तरह की समस्या की वजह से 28,528 मोटरसाइकिलों को रिकॉल करना पड़ा है। इन मोटरसाइकिलों का निर्माण भी 2020-21 में किया गया था। नेशनल हाईवे ट्रैफिक सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन (NHTSA) द्वारा रिकॉल नोटिस में कहा गया है कि कम लाइट वाली रियर रिफ्लेक्टर अन्य ड्राइवरों के लिए मोटरसाइकिल की दृश्यता को कम कर सकता है, जिससे दुर्घटना या चोट का खतरा बढ़ सकता है।
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