दूसरे राज्यों में वाहनों का री-रजिस्ट्रेशन कराना होगा आसान, नए नियम बना रही सरकार
केंद्र सरकार ने एक राज्य से दूसरे में प्रोफेशनल कारणों की वजह से शिफ्ट होने वाले लोंगों के लिए वाहनों का री-रजिस्ट्रेशन कराने की प्रक्रिया और उसके नियमों को आसान बनाने के लिए प्रस्ताव रखा है। हालांकि, यह केवल रक्षा, केंद्र और राज्य सरकार, पांच से ज्यादा राज्यों में बने प्राइवेट कंपनियों के कार्यालय के कर्मचारियों के लिए है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने निजी वाहनों के रजिस्ट्रेशन के लिए 'IN' सीरीज का प्रस्ताव रखा है।
ड्राफ्ट अधिसूचना हुई जारी
MoRTH ने एक ड्राफ्ट अधिसूचना जारी की है, जिसमें ट्रांसफर के कारण एक से दूसरे राज्य में शिफ्ट होने वाले कर्मचारियों के लिए वाहनों के री-रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए 'IN' नंबर प्लेट सीरीज का प्रस्ताव रखा गया है। इनके पास अपने नए निजी वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराते समय 'IN' सीरीज चुनने का विकल्प होगा। इनके अन्य राज्यों में ट्रांसफर होने की संभावना अधिक होती और ऐसे में उन्हें वहां री-रजिस्ट्रेशन में समस्या नहीं होगी।
'IN' सीरीज का विकल्प चुनने वाले को देने होगा इतना रोड टैक्स
'IN' सीरीज का विकल्प चुनने वाले को नए वाहन का रजिस्ट्रेशन कराने पर दो या उससे डिवाइडेड नंबर जैसे चार, छह, आठ आदि सालों के लिए रोड टैक्स देना होगा। हालांकि, उन्हें क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी।
अभी देना होता है इतने सालों का रोड टैक्स
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वर्तमान में निजी वाहनों का रजिस्ट्रेशन करते समय इनको 15 साल का रोड टैक्स देना पड़ता है। फिर उनका ट्रांसफर होने पर वाहन को अन्य राज्य में ट्रांसफर और री-रजिस्ट्रेशन कराते समय उन्हें बचे हुए सालों जैसे 10 का रोड टैक्स भरना होता है। इसके बाद उन्हें पहले वाले राज्य (जहां कार का रजिस्ट्रेशन कराया था) में भुगतान किए गए रोड टैक्स राशि के रिफंड के लिए क्लेम करना पड़ता है।
नए प्रस्ताव से नहीं होगी लोगों को समस्या
रिफंड के लिए लोगों को कई दस्तावेजों आदि की जरूरत पड़ती है। एक अधिकारी के अनुसार यह कठिन प्रक्रिया है और लोगों की इस समस्या को दूर करने के लिए यह प्रस्ताव रखा है। अधिकारी से पूछे जाने पर कि सरकार ऐसा सिस्टम क्यों नहीं बना रही, जिससे रोड टैक्स की राशि राज्यों के बीच ऑटोमैटिक ट्रांसफर हो जाए तो उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्यों की सहमति जरूरी है। साथ ही अलग-अलग राज्यों में रोड टैक्स अलग-अलग है।
प्रस्ताव में इन बातों का भी रखा गया ध्यान
अधिकारी ने यह भी बताया कि प्रस्ताव में तय किया गया है कि 20 लाख से अधिक लागत वाले वाहनों के लिए 12 प्रतिशत और 10 लाख रुपये तक वाले वाहनों के लिए 8 प्रतिशत रोड टैक्स होगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्रस्ताव में इसका भी ध्यान रखा गया है कि इससे किसी भी राज्य को राजस्व नुकसान न हो क्योंकि 15 सालों के लिए लगाए गए रोड टैक्स की राशि अधिक है।
अभी क्या है नियम?
बता दें कि वर्तमान में मोटर वाहन अधिनियम के तहत एक राज्य से दूसरे में जाने पर 12 महीने के भीतर वाहन का ट्रांसफर और री-रजिस्ट्रेशन उस राज्य में होना अनिवार्य है। इस नियम का उल्लंघन करने वाले लोग दंड के पात्र होते हैं।