10 सालों में घटी डीजल कारों की मांग, जानिए कितना पड़ा असर
कभी अधिक माइलेज और शक्तिशाली इंजन के चलते लोगों की पहली पसंद रही डीजल कारों की मांग धीरे-धीरे कमजोर पड़ती जा रही है। केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, 2013 में भारतीय कार बाजार में डीजल कारों की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत थी, जो 2023 में घटकर 18 प्रतिशत रह गई। इसके पीछे कड़े उत्सर्जन मानदंडों, पेट्रोल कारों के माइलेज में सुधार, डीजल के बढ़ते दाम और दिल्ली NCR में 10 साल पुराने डीजल वाहन पर प्रतिबंध जैसे कई कारण हैं।
SUVs में भी डीजल इंजन की मांग घटी
पिछले कुछ सालों में भारतीय यात्री वाहन बाजार में डीजल इंजन की हिस्सेदारी में बड़ी गिरावट देखी गई है। हैचबैक कार और सेडान कार जैसे सेगमेंट में डीजल की हिस्सेदारी लगभग शून्य प्रतिशत तक गिर गई है। हालांकि, SUVs की बढ़ती मांग अभी भी बाजार में डीजल इंजन कारों की बिक्री को बढ़ावा दे रही है। बावजूद इसके SUV सेगमेंट में डीजल इंजनों की हिस्सेदारी 2013-14 की 97 प्रतिशत की तुलना में 2023 में घटकर 33 प्रतिशत हो गई है।
कंपनियां भी दे रही दूसरे विकल्पों पर ध्यान
कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने दिसंबर, 2019 से देश में अपने सभी डीजल कारों को बंद कर दिया था। हुंडई और टाटा मोटर्स जैसी अन्य कार निर्माता कंपनियां भी पेट्रोल से चलने वाली कारों पर तेजी से ध्यान केंद्रित कर रही हैं। अब सभी सेगमेंट में पेट्रोल, CNG, पेट्रोल हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक जैसे ईंधन विकल्प डीजल-संचालित वाहनों की हिस्सेदारी घटा रहे हैं। आने वाले सालों में डीजल कारों की मांग में और गिरावट दर्ज होने की संभावना है।