LOADING...
राहुल गांधी ने 10 साल पहले फाड़ा था अध्यादेश, आज बना सांसदी जाने का कारण
राहुल गांधी ने 2013 में जन प्रतिनिधियों की सदस्यता से जुड़े एक अध्यादेश की प्रति को फाड़ दिया था

राहुल गांधी ने 10 साल पहले फाड़ा था अध्यादेश, आज बना सांसदी जाने का कारण

लेखन आबिद खान
Mar 24, 2023
07:52 pm

क्या है खबर?

मोदी सरनेम से संबंधित मानहानि मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता चली गई है। लोकसभा सचिवालय ने आज अधिसूचना जारी कर इसका ऐलान किया। सूरत कोर्ट ने एक दिन पहले ही उन्हें सजा सुनाई थी। इस बीच 2013 में राहुल द्वारा फाड़े गए एक अध्यादेश की चर्चा जोरों पर है। अगर राहुल इस अध्यादेश को नहीं रोकते तो आज उनकी सदस्यता सुरक्षित रहती। आइए आपको इसके बारे में बताते हैं।

मामला

2013 में क्या हुआ था?

सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई, 2013 में लिली थॉमस बनाम भारत सरकार मामले में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार दिया था। इस धारा के तहत दोषी साबित होने के बाद जन प्रतिनिधियों की सदस्यता तीन महीने बाद ही रद्द की जा सकती थी। कोर्ट ने कहा था कि यदि जन प्रतिनिधि दोषी करार दिए जाते हैं और उन्हें 2 साल या ज्यादा की सजा सुनाई जाती है तो फैसला आते ही उनकी सदस्यता खत्म हो जाएगी।

असर

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का नेताओं पर क्या असर होना था?

सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही कई विधायकों और सांसदों को अपनी सदस्यता रद्द होने का डर सताने लगा। इनमें सबसे बड़ा नाम लालू प्रसाद यादव का था। लालू उस समय चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराए जा चुके थे और उन्हें 5 साल की सजा सुनाई गई थी। एक दूसरा नाम कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राशिद मसूद का था। राशिद को MBBS सीट घोटाले में 4 साल की सजा सुनाई गई थी।

Advertisement

अध्यादेश

कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाई थी तत्कालीन UPA सरकार

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए तत्कालीन UPA सरकार सितंबर, 2013 में एक अध्यादेश लेकर आई थी। इस अध्यादेश में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(4) को बरकरार रखने का प्रावधान किया गया था। इस अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार को खूब घेरा था। सरकार पर भ्रष्टाचारियों को बचाने के आरोप भी लगे थे। देश में उस समय अन्ना आंदोलन भी चल रहा था और भ्रष्टाचार का मुद्दा चारों और छाया हुआ था।

Advertisement

बकवास

राहुल ने अध्यादेश को बताया था बकवास

23 सितंबर, 2013 को सरकार ने अध्यादेश की खूबियां बताने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी। इसमें मंच पर अजय माकन बैठे हुए थे। तभी राहुल गांधी आए और अध्यादेश को बकवास बताते हुए कहा था, "मेरा मानना है कि सभी राजनीतिक पार्टियों को ऐसे समझौते बंद करने चाहिए। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि इस अध्यादेश के संबंध में हमारी सरकार ने जो किया है, वो गलत है।"

प्रति

...और राहुल ने फाड़ दी अध्यादेश की प्रति

इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने अध्यादेश की प्रति को फाड़ दिया था। जिस वक्त ये प्रेस कॉन्फ्रेंस की जा रही थी, उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमेरिका के दौरे पर थे। बाद में राहुल ने मनमोहन को पत्र लिखकर अध्यादेश पर अपनी राय रखी थी। उस वक्त राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष थे। विपक्ष के साथ-साथ अपनी ही पार्टी से विरोध के बाद सरकार ने अध्यादेश को वापस ले लिया था और उसकी जमकर किरकिरी हुई थी।

जानकारी

राहुल अध्यादेश न फाड़ते तो आज क्या होता?

अगर राहुल इस अध्यादेश को न फाड़ते और वो कानून बन गया होता तो आज उन्हें अपनी लोकसभा सदस्यता न गंवानी पड़ती। राहुल के पास सूरत कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए 3 महीने होते और इस दौरान वो सांसद बने रहते।

सदस्यता

क्या एक बार संसद सदस्यता जाने के बाद वापस मिल सकती है? 

हां। जनवरी में लक्षद्वीप से सांसद मोहम्मद फैजल पीपी को हत्या के प्रयास के मामले में सत्र न्यायालय ने 10 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई और चुनाव आयोग ने उनकी सीट पर उपचुनाव का ऐलान भी कर दिया। इस पर फैजल केरल हाई कोर्ट चले गए, जिसने सत्र न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी। इसके बाद उपचुनाव रद्द कर दिए गए और फैजल की संसद सदस्यता भी बहाल हो गई।

सदस्यता गई

अन्य किन नेताओं को भी गंवानी पड़ी है अपनी सदस्यता?

चारा घोटाले में 2013 में लालू यादव को 5 साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद उनकी सांसदी चली गई थी। MBBS सीट घोटाले में कांग्रेस सांसद रशीद मसूद की सदस्यता भी चली गई थी। हालिया समय में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की विधायकी भी इस कानून के कारण गई है। हमीरपुर से विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल और बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सदस्यता भी दोषी पाए जाने के बाद चली गई।

Advertisement