नए नाम से जाना जाएगा कोरोना वायरस, जानिये कैसे दिए जाते हैं बीमारियों को नाम
चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस ने अब तक 1,100 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है। वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंगलवार को इस वायरस को नाम दिया है। अब से इसे COVID-19 नाम से जाना जाएगा। इसमें 'CO' को कोरोना, 'VI' को वायरस और 'D' को डिजीज के लिए इस्तेमाल किया गया है। अभी तक कोरोना वायरस के लिए nCoV-2019 नाम इस्तेमाल किया जा रहा था।
किसी बीमारी को नाम क्यों दिया जाता है?
WHO ने वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन ऑफ एनिमल हेल्थ और फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर इंसानों को होने वाली बीमारियों को नाम देने की प्रक्रिया शुरू की थी। इसका मकसद किसी बीमारी के नाम के कारण व्यापार, पर्यटन, जीव कल्याण आदि पर पड़ने वाले नकारात्मक असर को रोकना और किसी सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक, पेशेवर आदि समुदायों की भावना को आहत पहुंचाने से रोकना है। इबोला और जीका वायरस फैलने के बाद WHO ने बीमारियों को नाम देना शुरू किया था।
जगहों से नाम जुड़ने के कारण पड़ता है गलत प्रभाव
दरअसल, जीका और इबोला वायरस का नाम उन जगहों पर पड़ा था, जहां से ये शुरू हुए थे। इससे लोग इन जगहों को वायरस से जोड़ने लगे। दूसरा ऐसा मामला 'स्वाइन फ्लू' का है, जिससे सुअर उद्योग पर नकारात्मक असर पड़ा था।
WHO किन बीमारियों को नाम देता है?
WHO की नाम देने की प्रक्रिया उन बीमारियों पर लागू होती है, जिन्हें सिंड्रोम या इंफेक्शन के तौर पर श्रेणीबद्ध किया जा सके। WHO उन बीमारियों को भी नाम देता है जो पहले कभी इंसानों में नहीं देखी गई या जिनके नाम अभी तक आम बोलचाल की भाषा में शामिल नहीं किए गए हो। WHO के मुताबिक, नया नाम दिया जाना जरूरी है और ऐसा उन देशों द्वारा किया जाना चाहिए, जहां सबसे पहले उसके मामले सामने आये।
ICD करती है नामों का अंतिम फैसला
अगर कोई देश किसी बीमारी को नाम देता है और WHO को लगता है कि यह नाम उचित नहीं है तो वह एक नया नाम देकर इसके इस्तेमाल करने की सिफारिश कर सकता है। हालांकि, इंटरनेशनल क्लासीफिकेशन ऑफ डिजीज (ICD) WHO के नाम को खारिज भी कर सकती है। ICD WHO का हिस्सा है और यह हर इंसानी बीमारी का अंतिम नाम तय करती है। यह साइंस और पॉलिसी समेत अलग-अलग दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए काम करती है।
किसी बीमारी को नाम कैसे दिया जाता है?
किसी भी बीमारी को नाम देने के लिए उसका प्रकार इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के लिए सांस से संबंधित बीमारी (रेस्पिरेटरी), हैपेटाइटिस, न्यूरोलॉजिकल सिंड्रोम आदि। इसके बाद बीमारी को बढ़ती हुई, बढ़ चुकी और गंभीर आदि श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। इसके बाद अगर बीमारी फैलाने वाले वायरस का पता चल जाए तो यह नाम में जोड़ा जाता है और इसके साथ इसके शुरू होने के साल का नाम जोड़ा जाता है।
किन बातों का ध्यान रखा जाता है?
WHO किसी बीमारी को नाम देते समय यह ध्यान रखता है वह छोटा और ICD के मापदंडो के अनुसार हो। यह भी ध्यान रखा जाता है कि बीमारी के मूलकेंद्र का इसमें जिक्र न हो और न ही नाम में किसी व्यक्ति का जिक्र हो।