सऊदी अरब की सरकारी तेल रिफाइनरी पर ड्रोन हमला, आधा हुआ तेल उत्पादन

सरकारी तेल कंपनी अरामको के दो बड़े प्लांट पर ड्रोन हमले का सऊदी अरब के तेल उत्पादन पर बड़ा असर पड़ा है और ये घटकर आधा रह जाएगा। हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने की आशंका है। यमन के हूती विद्रोहियों ने हमले की जिम्मेदारी ली है। वहीं, सऊदी अरब और उसके चिर-प्रतिद्वंदी ईरान के बीच तनाव और बढ़ सकते हैं। ईरान पर हूती विद्रोहियों को समर्थन देने का आरोप लगता है।
शनिवार को हुए इस हमले में अरामको की अबकैक और खुरैस स्थित रिफाइनरी प्लांट्स को निशाना बनाया गया। अबकैक में अरामको की सबसे बड़ी रिफाइनरी है और इसे सऊदी अरब के तेल उत्पादन का दिल माना जाता है। घटनास्थल की तस्वीरों में दोनों रिफाइनरी से आग की लपटें और धुएं का गुब्बार निकलते हुए देखा जा सकता है। हूती विद्रोहियों ने 10 ड्रोन की मदद से हमला करने का दावा किया है।
सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री अब्दुल अजीज बिन सलमान ने बताया कि हमले की वजह से सऊदी अरब के तेज उत्पादन में अभी कुछ दिन के लिए प्रतिदिन 57 लाख बैरल की कमी आएगी। ये सऊदी अरब के कुछ उत्पादन का आधा और वैश्विक तेल उत्पादन का छह प्रतिशत है। दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादन देशों में शामिल सऊदी अरब रोजाना 98.5 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है जो वैश्विक उत्पादन का 10 प्रतिशत है।
ये पिछले कुछ दशकों में सऊदी अरब के तेल प्लांट्स पर हुआ सबसे बड़ा हमला है। इससे पहले 1991 के खाड़ी युद्ध के दौरान सद्दाम हुसैन की इराकी सेना ने सऊदी अरब पर मिसाइलों से हमला किया था।
सऊदी अरब ने हमले में हूती विद्रोहियों का हाथ होने को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है। वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने हमले के लिए सीधे तौर पर ईरान को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि ईरान सऊदी अरब में लगभग 100 हमले कर चुका है। उन्होंने सभी देशों से ईरान के हमले की निंदा करने की अपील की है।
हमले के बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि यमन में जारी विद्रोह और सऊदी अरब और ईरान के शीत युद्ध के बीच उसका तेल का साम्राज्य कितना सुरक्षित है। शनिवार को जिस जगह हमला हुआ वह यमन में हूती विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके से 500 मील दूर है। इससे हूती विद्रोहियों की मिसाइल और एडवांस ड्रोन से अपने तेल प्लांट्स की सुरक्षा कर सकने की सऊदी अरब की क्षमता पर गंभीर सवाल उठते हैं।
हमले के बाद जब सोमवार को बाजार खुलेगा तो कच्चे तेल की कीमत बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। इसके अलावा सऊदी अरब और ईरान के पहले से चले आ रहे तनाव के बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है। अमेरिका और ईरान की रिश्ते भी खराब दौर से गुजर रहे हैं और हमले के बाद इनमें और गिरावट आने की आशंका है। पोम्पियो का बयान इसकी एक बानगी पेश करता है।
यमन में 2015 से गृह युद्ध चल रहा है और ये सऊदी अरब-ईरान के बीच शीत युद्ध का अखाड़ा बना हुआ है। तब हूती विद्रोहियों ने यमन की राजधानी सना पर कब्जा करते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति अबद्राबुह मंसूर हादी को देश छोड़कर भागने पर मजबूर कर दिया था। सऊदी अरब हादी का समर्थन करता है और उसकी सेनाएं यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ लड़ रही हैं। वहीं, ईरान पर हूती विद्रोहियों को समर्थन देने का आरोप लगता है।