
अमेरिकी अरबपति नेविल रॉय सिंघम कौन हैं, जिन पर लगा चीनी प्रोपेगंडा फैलाने का आरोप?
क्या है खबर?
अमेरिका के अरबपति व्यवसायी नेविल रॉय सिंघम पर भारत और दुनिया के अन्य देशों में चीन के प्रोपेगंडा को फैलाने का आरोप लगा है।
अमेरिकी समाचार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि सिंघम चीन की सरकारी मीडिया के साथ काम कर रहे हैं और दुनियाभर में इसके प्रचार के लिए अन्य कंपनियों का वित्तपोषण कर रहे हैं।
आइए जानते हैं कि सिंघम कौन हैं और उन पर क्या आरोप हैं।
परिचय
IT परामर्श कंपनी थॉटवर्क्स के संस्थापक हैं सिंघम
सिंघम का जन्म 13 मई, 1954 को अमेरिका में हुआ था। उन्होंने हावर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की पढ़ाई की और फिर 1993 में IT परामर्श कंपनी थॉटवर्क्स (ThoughtWorks) की स्थापना की। इससे पहले उन्होंने कई वर्षों तक एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया था।
सिंघम के पिता आर्चीबाल्ड विक्रमराजा सिंघम श्रीलंका के राजनीतिक विश्लेषक और इतिहासकार थे। विक्रमराजा सिंघम न्यूयॉर्क के सिटी विश्वविद्यालय के ब्रुकलिन कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर भी रह चुके थे।
परिचय
सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका में भी रहे हैं सिंघम
सिंघम एक व्यवसायी और सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ थॉटवर्क्स के संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष भी हैं, जो कस्टम सॉफ्टवेयर, सॉफ्टवेयर टूल और परामर्श सेवाएं प्रदान करती है।
बता दें कि स्थापना के कुछ समय बाद ही थॉटवर्क्स जल्द ही दुनिया की अग्रणी IT परामर्श कंपनियों में से एक बन गई थी और सिंघम को 2009 में फॉरेन पॉलिसी पत्रिका द्वारा शीर्ष 50 वैश्विक विचारकों की सूची में नामित किया गया था।
आरोप
सिंघम की राजनीतिक सक्रियता को लेकर होती है आलोचना
सिंघम के समूह द्वारा बनाए गए राजनीतिक वीडियोज को यूट्यूब पर लाखों व्यूज मिल चुके हैं। उन पर दक्षिण अफ्रीका के चुनावों में उम्मीदवारों को मैदान में उतारने और लंदन में प्रदर्शनों को आयोजित करने के आरोप लगते आए हैं।
कुछ लोग उनकी राजनीतिक सक्रियता की आलोचना करते रहे हैं। हालांकि, सिंघम ने अपने काम का बचाव करते हुए कहा है कि वह केवल चीन और पश्चिम के बीच शांति और समझ को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं।
परिचय
सिंघम पर क्या आरोप हैं?
सिंघम पर विभिन्न चीनी समूहों को वित्तपोषित करने का आरोप है जो चीनी सरकार का प्रचार करने वाले लोगों को बढ़ावा देते हैं। वह उइघुर नरसंहार की बात से इनकार के साथ-साथ रूसी साम्राज्यवाद की पैरवी कर चुके हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने भारत में समाचार वेबसाइट न्यूजक्लिक को भी वित्तपोषित किया था, जिसने खबरों को चीनी सरकार के एजेंडे साथ प्रसारित किया। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2021 में वेबसाइट के कार्यालय में छापेमारी की थी।