पाकिस्तान: आत्मघाती हमले में मारे गए तालिबान समर्थक मौलाना हमीदुल हक हक्कानी कौन थे?
क्या है खबर?
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के नौशेरा जिले में एक मदरसे में आत्मघाती हमला हुआ है। इसमें कम से कम 5 लोग मारे गए हैं और कई घायल हुए हैं।
मृतकों में राजनेता, धार्मिक विद्वान और तालिबान समर्थक मौलाना हमीदुल हक हक्कानी भी शामिल हैं। हक्कानी तालिबान के गॉडफादर मौलाना समीउल हक हक्कानी के बड़े बेटे थे। समीउल हक की 2018 में हत्या कर दी गई थी।
आइए हमीदुल हक्कानी के बारे में जानते हैं।
हमला
सबसे पहले हमले के बारे में जानिए
ये आत्मघाती धमाका जुमे के नमाज के बाद नौशेरा जिले के जामिया दारुल उलूम हक्कानिया मदरसे में हुआ है। हमले में 20 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और अभी तक किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है।
पुलिस का कहना है कि हमला हक्कानी को निशाना बनाकर ही किया गया था। हमले में मदरसे का एक हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हो गया है। फिलहाल पेशावर के सभी अस्पतालों में आपातकाल स्थिति घोषित कर दी गई है।
परिचय
कौन थे हमीदुल हक्कानी?
हमीदुल समीउल हक्कानी के बेटे थे, जिन्हें 'तालिबान के पिता' के तौर पर जाना जाता है। 2018 में अपने पिता की हत्या के बाद हमीदुल ने ही जामिया दारुल उलूम हक्कानिया मदरसे के कुलपति का पद संभाला था।
हमीदुल ने धार्मिक और स्कूली शिक्षा अपने दादा मौलाना अब्दुल हक से मदरसे के परिसर में स्थित हक्कानिया स्कूल में प्राप्त की थी।
उन्होंने नौशेरा कॉलेज से इस्लामिक स्टडीज में स्नातक और पंजाब विश्वविद्यालय से धर्मशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की थी।
नेशनल असेंबली
नेशनल असेंबली के सदस्य रहे थे हमीदुल हक्कानी
हमीदुल 16 नवंबर 2002 से 2 अक्टूबर, 2007 तक पाकिस्तान की 12वीं नेशनल असेंबली के सदस्य भी रहे थे।
हमीदुल दिफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल के अध्यक्ष भी रहे थे, जो जिहादी समूहों का एक गठबंधन है। इसकी स्थापना 2011 में अमेरिकी सेना द्वारा पाकिस्तानी सैनिकों की हत्याओं के प्रतिरोध में की गई थी।
2018 में समीउल हक की हत्या के बाद यह इतना सक्रिय नहीं था, लेकिन हमीदुल ने 2023 में इसे फिर से सक्रिय किया था।
मदरसा
हक्कानी के मदरसे में पढ़ चुके हैं कई तालिबानी नेता
हक्कानी के मदरसे को पाकिस्तान में तालिबान का गढ़ माना जाता है। इस मदरसे में तालिबान के कई बड़े नेताओं ने शिक्षा हासिल की थी।
पाकिस्तानी अखबार डान के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या में भी इस मदरसे के छात्रों का नाम आया था, लेकिन मदरसे ने इससे इनकार किया था।
मदरसे की स्थापना मौलाना अब्दुल हक हक्कानी ने 1947 में की थी। यहां करीब 4,000 छात्रों के पढ़ने-रहने का इंतजाम है।