
ISRO के सैटेलाइट भारत के मानसून संकट को संभालने में कैसे मदद करते हैं?
क्या है खबर?
भारत में मानसून का समय खेती के लिए जरूरी होता है, लेकिन बाढ़, सूखा और भारी बारिश से संकट भी पैदा हो जाता है। ऐसे में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सैटेलाइट बहुत काम आते हैं। ये मौसम की जानकारी देने, बारिश की भविष्यवाणी करने और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सरकार और आम लोगों की मदद करते हैं। इनके जरिए वैज्ञानिकों को सटीक और ताजा जानकारी मिलती है, जिससे समय पर राहत कार्य शुरू किए जा सकते हैं।
मौसम
मौसम पर नजर रखते हैं ISRO के सैटेलाइट
ISRO के INSAT और RISAT जैसे सैटेलाइट लगातार बादलों की गतिविधि, हवा की दिशा और बारिश के स्तर पर नजर रखते हैं। इससे वैज्ञानिक यह समझ पाते हैं कि किस इलाके में कितनी बारिश हो सकती है और बाढ़ का खतरा कहां है। ये सैटेलाइट हर 15 मिनट में ताजा डाटा भेजते हैं, जिससे मौसम विभाग समय पर अलर्ट जारी कर सकता है। इससे राज्य सरकारें और आपदा प्रबंधन एजेंसियां पहले से तैयारी कर सकती हैं।
आपदा
बाढ़ और सूखे की भविष्यवाणी में मदद
ISRO के सैटेलाइट नदियों के जल स्तर की निगरानी भी करते हैं, जिससे बाढ़ की आशंका पहले ही पता चल जाती है। वहीं अगर बारिश कम हो रही है तो सूखे की चेतावनी भी मिलती है। इससे कृषि विभाग किसानों को सलाह दे सकता है कि कौन सी फसल लगाना सही रहेगा। आपदा प्रबंधन टीम भी जरूरी संसाधन पहले से जुटा सकती है। इससे जान-माल की हानि कम होती है और राहत कार्य समय पर शुरू होते हैं।
लाभ
किसानों से लेकर सरकार तक को लाभ
ISRO की जानकारी का सबसे बड़ा फायदा किसानों को होता है। वह जान सकते हैं कि कब बारिश होगी और खेत की तैयारी कैसे करें। वहीं नगर निगम, राज्य सरकारें और राहत एजेंसियां बाढ़ प्रभावित इलाकों में नाव, दवाइयां और खाने का इंतज़ाम पहले से कर सकती हैं। ISRO की तकनीक की मदद से मानसून के समय लाखों लोगों की जान और आजीविका सुरक्षित होती है। यही वजह है कि तकनीक मानसून से लड़ने का अहम हथियार बन चुकी है।