
कौन है डोनाल्ड ट्रंप से मिलने वाले अहमद अल-शरा, जिन पर था 85 करोड़ का इनाम?
क्या है खबर?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस समय मध्य पूर्व के दौरे पर हैं और बुधवार को वह सऊदी अरब की राजधानी रियाद में थे, जहां से सामने आई एक तस्वीर से पूरी दुनिया में चर्चा शुरू हो गई है।
सऊदी रॉयल पैलेस द्वारा जारी तस्वीर में ट्रंप के साथ सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा खड़े हैं, जो एक इनामी जिहादी आतंकवादी रहे हैं।
आइए, जानते हैं कौन हैं अहमद अल-शरा।
चर्चा
पहले जानिए क्यों हो रही इस मुलाकात की चर्चा?
दरअसल, ट्रंप और अहमद अल-शरा की यह मुलाकात सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जो पश्चिम एशिया (मध्य पूर्व) के पूरे भू-राजनीतिक परिदृश्य को बदल सकता है।
अल-शरा को अमेरिका ने कभी वांछित आतंकवादी घोषित किया था और उस पर 85 करोड़ रुपये का इनाम रखा था। संयुक्त राष्ट्र ने उसे प्रतिबंधित किया था।
हालांकि, अब अमेरिका ने सीरिया में नए शासन को वैध बताते हुए उसे मान्यता दी है और ट्रंप ने कहा कि अल-शरा को मौका मिलना चाहिए।
पहचान
कौन हैं अहमद अल-शरा?
अल-शरा का जन्म 1982 में सीरिया में इजरायल के कब्जे वाले गोलान हाइट्स से विस्थापित एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था।
42 वर्षीय अल-शरा 2000 के फिलिस्तीनी इंतिफादा और 2001 में 9/11 के हमलों से काफी प्रभावित थे।
जब 2003 में अमेरिका ने इराक पर हमला किया तो अल-शरा भी उन सीरियाओं में शामिल था, जो अमेरिका से लड़ने इराक गया और अलकायदा में शामिल हुआ।
अमेरिकी सेना ने उसे गिरफ्तार कर कुख्यात अबू गरीब जेल में डाला था।
विद्रोह
सीरिया विद्रोह के समय मिली बड़ी जिम्मेदारी
जब सीरिया में 2011 में रूस-ईरान समर्थित बशर अल-असद शासन के खिलाफ बड़ा विद्रोह चल रहा था, तब इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक का गठन करने वाले अबू बक्र अल-बगदादी ने अल-शरा को बड़ी जिम्मेदारी दी।
उसे नुसरा फ्रंट नामक अलकायदा की शाखा स्थापित करने का निर्देश दिया गया, जिसे अमेरिका ने आतंकवादी संगठन का दर्जा दिया था। हालांकि, यह दर्जा अब भी बरकरार है।
हालांकि, अल-शरा ने अपना समूह भंगकर उसे IS इराक और सीरिया में विलय कर दिया।
कब्जा
दिसंबर 2024 में सीरिया पर कब्जा
वर्ष 2011 में सीरिया में शुरू हुआ विरोध, आगे चलकर बशर अल-असद तानाशाही के खिलाफ गृह युद्ध में बदल गया।
तब उसने 2017 में अपने समूह का नाम बदलकर हयात तहरीर अल-शाम (HTS) कर दिया और सीरिया को अल-असद शासन से मुक्त करने और इस्लामी खिलाफत लागू करने की कसम खाई।
गृह युद्ध इतना तेजी से बढ़ा कि सशस्त्र क्रांति शुरू हो गई। नवंबर 2024 में HTS हमलों से असद शासन मुक्त हुए और दिसंबर, 2024 में रूस भाग गए।
बदलाव
कितना बदल गए जिहादी अल-शरा?
सीरिया पर कब्जे के बाद उन्होंने अपनी छवि तेजी से बदली, जो सैन्य पोशाक से सूट-बूट और शर्ट-पतलून पर आ गई।
साथ ही उन्होंने अपना नाम अबू मोहम्मद अल जोलानी (जो उसके जिहादी अतीत से जुड़ा था) से बदलकर अपना जन्म नाम रख लिया।
उन्होंने कट्टरपंथी इस्लामी कानून के कुछ सिद्धांतों को त्याग दिया और धार्मिक सहिष्णुता और बहुलवाद का आह्वान किया।
उन्होंने एक बार पत्रकारों से कहा था कि उनका अलकायदा से जुड़ाव खत्म हो चुका है।
शर्त
ट्रंप ने रखीं मांगे
सऊदी अरब में हुई अल-शरा से मुलाकात के दौरान ट्रंप ने 5 मांगों की सूची सामने रखी हैं।
इसमें इजरायल के साथ अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर, सभी विदेशी आतंकवादियों को सीरिया छोड़ने को कहा जाए, फिलिस्तीनी आतंकवादियों को निर्वासित किया जाए, आतंकवादी संगठन ISIS के पुनरुत्थान को रोकने में अमेरिका की मदद की जाए और उत्तर-पूर्वी सीरिया में ISIS हिरासत केंद्रों की जिम्मेदारी अमेरिका को दी जाए शामिल है।