
#NewsBytesExplainer: थाईलैंड-कंबोडिया के बीच सीमा को लेकर क्या है विवाद, इसमें फ्रांस की क्या भूमिका है?
क्या है खबर?
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद फिर से भड़क उठा है। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हमले किए हैं, जिसमें कुछ लोग मारे गए हैं। बात गोलीबारी से आगे बढ़कर हवाई हमलों तक पहुंच गई है, जिसके चलते आम लोगों को बंकर में शरण लेनी पड़ी है। ये हालिया सालों में दोनों देशों के बीच अब तक का सबसे बड़ा संघर्ष है। आइए जानते हैं कि दोनों देशों में सीमा को लेकर क्या विवाद है।
इतिहास
थाईलैंड-कंबोडिया में सीमा विवाद का इतिहास जानिए
थाईलैंड और कंबोडिया एक-दूसरे के साथ 817 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। इस सीमा का ज्यादातर हिस्सा फ्रांस ने तय किया था, जब 1863 से 1953 तक कंबोडिया पर फ्रांस का शासन था। 1907 में दोनों देशों के बीच सीमा का एक नक्शा जारी किया गया था, जो एक प्राकृतिक जलक्षेत्र रेखा का पालन करने के समझौते पर आधारित था, लेकिन थाईलैंड ने इसे मानने से इनकार कर दिया था।
विवाद
सीमा को लेकर क्या है विवाद?
इस नक्शे में डांगरेक पर्वत पर स्थित 11वीं शताब्दी के प्रीह विहियर मंदिर को कंबोडियाई क्षेत्र में रखा गया था, जिस पर थाईलैंड ने आपत्ति जताई। थाईलैंड का कहना था कि ये मंदिर उसकी सीमा में आना चाहिए। बता दें कि ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और फिलहाल UNESCO की विश्व धरोहर साइट में शामिल है। दोनों में मानचित्र के स्केल और दूसरे कई इलाकों को लेकर भी विवाद है।
अंतरराष्ट्रीय कोर्ट
मंदिर को लेकर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट गया थाईलैंड
1959 में मंदिर विवाद को लेकर थाईलैंड अंतरराष्ट्रीय कोर्ट चला गया। हालांकि, यहां से थाईलैंड को झटका लगा और कोर्ट ने फैसला सुनाया कि मंदिर कंबोडियाई क्षेत्र में है। थाईलैंड ने फैसला तो मान लिया, लेकिन कहा कि मंदिर के आसपास का क्षेत्र अभी भी विवादित है। 2008 में मंदिर को लेकर विवाद फिर भड़क उठा। तब UNESCO ने कंबोडिया के आवेदन पर मंदिर को विश्व धरोहर घोषित कर दिया। इसके बाद दोनों देशों में सैन्य झड़पें शुरू हो गईं।
प्रयास
विवाद को सुलझाने के क्या-क्या प्रयास हुए हैं?
दोनों देशों ने विवाद को सुलझाने के लिए थाई-कंबोडियाई संयुक्त सीमा आयोग (JBC) का गठन किया है। इसके जरिए 1997 से अब तक 603 किलोमीटर सीमा का बिना विवाद के सीमांकन किया जा चुका है। हालांकि, बाकी सीमा को लेकर अभी भी विवाद जारी है। साल 2000 में दोनों देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें विवाद को सुलझाने के लिए पुरानी संधियों और नक्शे का सहारा लेने पर सहमति बनी थी।
ताजा संघर्ष
फिलहाल क्यों भड़का संघर्ष?
दोनों देशों में ताजा संघर्ष मई में भड़का था, जब एमराल्ड ट्रायंगल के पास गोलीबारी में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई थी। इसके बाद 23 जुलाई को थाईलैंड के उबोन रत्चथानी प्रांत में एक बारूदी सुरंग विस्फोट में एक थाई सैनिक घायल हो गया था। एक हफ्ते पहले एक और विवादित क्षेत्र में सुरंग विस्फोट में 3 थाई सैनिक घायल हो गए थे। थाईलैंड ने इसका आरोप कंबोडिया पर लगाया और इस तरह तनाव बढ़ता गया।
नेता
दोनों देश के नेताओं में हैं करीबी रिश्ते
विवाद को भूल जाएं, तो दोनों देशों के नेताओं में करीबी संबंध हैं। हाल ही में पद से हटाई गईं थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री ताकसिन शिनावात्रा के कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेट के पिता हुन सेन से करीबी रिश्ते हैं। दोनों के बीच पारिवारिक संबंध भी हैं। 2006 में जब थाईलैंड में तख्तापलट हुआ था, तो ताकसिन को देश छोड़ना पड़ा था। तब हुन सेन ने थाकसिन को कंबोडिया में शरण दी थी।