नेपाल विमान हादसा: ब्लैक बॉक्स बरामद, यह क्या होता है और इससे क्या पता चलेगा?
रविवार को नेपाल में हुए विमान हादसे में 72 लोगों की मौत हो गई थी। सोमवार को इस विमान का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गयाा है। यह ठीक स्थिति में पाया गया है और जांचकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि इसकी जांच से हादसे के कारणों का पता लगाया जा सकेगा। आइये जानते हैं कि ब्लैक बॉक्स में क्या होता है और कैसे इससे हादसों के कारण का पता लगाने में मदद मिलती है।
क्या होता है ब्लैक बॉक्स?
ब्लैक बॉक्स एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है जो किसी भी विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में इसका कारण बता सकता है। एक हार्ड डिस्क की तरह ब्लैक बॉक्स उड़ान का सारा डाटा इकट्ठा करता है। यह कॉकपिट में पायलटों के बीच होने वाली बातचीत को भी रिकॉर्ड करता है ताकि पता लग सके कि दुर्घटना से ठीक पहले क्या हुआ था। यह कंप्यूटर अनाउंसमेंट, रेडियो ट्रैफिक और यात्रियों से संबंधित अनाउंसमेंट को भी रिकॉर्ड करता है।
ब्लैक नहीं होता ब्लैक बॉक्स
भले ही इसका नाम ब्लैक बॉक्स है, लेकिन यह ब्लैक नहीं बल्कि नारंगी होता है। शुरुआत में इसे काले रंग के बॉक्स में रखा जाता था, जिससे इसका नाम ब्लैक बॉक्स पड़ गया और यही नाम चला आ रहा है। नारंगी रंग की वजह से इसे मलबे में ढूंढना आसान होता है। इसे आमतौर पर विमान के पिछले हिस्से में लगाया जाता है ताकि दुर्घटना की स्थिति में इन्हें कम से कम नुकसान पहुंचे।
ब्लैक बॉक्स में होता क्या है?
हर कमर्शियल विमान में कम से कम दो ब्लैक बॉक्स होने अनिवार्य हैं और हर ब्लैक बॉक्स में एक फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वाइस रिकॉर्डर (CVR) होता है। 1960 में ट्रांस ऑस्ट्रेलियन एयरलाइंस फ्लाइट 538 के क्रैश होने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने सबसे पहले विमानों के लिए ब्लैक बॉक्स को अनिवार्य बनाया था। इस हादसे में 29 लोगों की मौत हुई थी और इसके बाद विमानन क्षेत्र में कई बदलाव देखने को मिले थे।
FDR में क्या होता है?
FDR को एक्सीडेंट डाटा रिकॉर्डर के तौर पर भी जाना जाता है और यह टाइटैनियम या स्टैनलेस स्टील से बना होता है। इसमें विमान की ऊंचाई, रफ्तार, ईंधन, टर्बुलेंस, हवा की गति, ऑटोपायलट स्टेटस समेत दूसरी जानकारियां रिकॉर्ड होती है। इसमें विमान से जुड़ी हर छोटी से छोटी गतिविधि रिकॉर्ड होती है। अगर कहीं पायलट ने किसी स्विच को ऑन या ऑफ किया है तो उसका रिकॉर्ड भी FDR में रिकॉर्ड हो जाता है।
CVR में क्या होता है?
CVR में रेडियो ट्रांसमिशन और पायलटों के बीच की बातचीत, इंजन और दूसरे उपकरणों की आवाज रिकॉर्ड होती है। इसके अलावा यह चालकदल के माइक्रोफोन, पायलट के हेडसेट्स और कॉकपिट पर लगे एरिया रिकॉर्डर की आवाज रिकॉर्ड करता है। CVR जहां दो घंटे तक का ऑडियो डाटा रिकॉर्ड कर सकता है, वहीं FDR में 25 घंटों का डाटा सेव रहता है। ये दोनों डिवाइस ब्लैक बॉक्स के अंदर बेहद सुरक्षित तरीके से स्टोर किए जाते हैं।
कड़ी जांच के बाद विमान में लगाया जाता है ब्लैक बॉक्स
FDR और CVR आग और ऊष्मा प्रतिरोधी इंसुलेशन में लपेटकर टाइटैनियम या स्टील से बने बॉक्स में रखा जाता है। इसे विमान में लगाने से पहले इसकी कड़ी टेस्टिंग होती है और 750 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ज्यादा पर टकराकर और दो टन से ज्यादा वजन गिराकर परखा जाता है। इसकी यह भी जांच होती है कि क्या आग लगने की स्थिति में यह बच पाएगा। इन जांचों से गुजरने के बाद इसे विमान में लगाया जाता है।
समुद्र में गिरने पर भी लग सकता है ब्लैक बॉक्स का पता
समुद्र में गिरने पर भी ब्लैक बॉक्स काफी समय तक ठीक से काम करता रहता है। यह 6,000 मीटर की गहराई तक खारे पानी के दबाव का सामना कर सकता है। अगर दुर्घटना के बाद ब्लैक बॉक्स समुद्र में गिरता है तो यह खारे पानी के संपर्क में आते ही सिग्नल भेजना शुरू कर देता है। इसमें अंडरवाटर लोकेटर बीकन (ULB) होता है जो 14,000 फुट की गहराई तक से अल्ट्रासॉनिक सिग्नल भेज सकता है।
ब्लैक बॉक्स के डाटा का विश्लेषण करने में कितना समय लगता है?
ब्लैक बॉक्स के डाटा का विश्लेषण करने में 10 से 15 दिन का समय लगता है। इसके बरामद होने के बाद इसमें स्टोर डाटा को डाउनलोड कर जांच की जाती है। सबसे पहले एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से और आपस में पायलटों की बातचीत का विश्लेषण किया जाता है ताकि पता लगाया जा सके पायलटों को विमान में कुछ गड़बड़ी होने का अंदेशा था या नहीं और इसे काबू में करने के लिए उन्होंने क्या किया।