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    चीनी वैज्ञानिक का दावा- कोरोना वायरस को खत्म नहीं किया जा सकता, हर साल वापस आएगा

    चीनी वैज्ञानिक का दावा- कोरोना वायरस को खत्म नहीं किया जा सकता, हर साल वापस आएगा

    लेखन भारत शर्मा
    Apr 30, 2020
    08:56 am

    क्या है खबर?

    पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है। सभी देश इससे बचने के लिए वैक्सीन बनाने सहित अन्य उपायों में जुटे हैं।

    इसी बीच चीन के शीर्ष वैज्ञानिक ने दावा किया है कि COVID-19 बीमारी का कारण बनने वाले Sars-Cov-2 को खत्म नहीं किया जा सकता है और यह मौसमी बीमारी के रूप में हर साल वापसी कर सकता है।

    उनके इस दावे ने वायरस को खत्म करने की तैयारियों में जुटे देशों की चिंता को बढ़ा दिया है।

    चेतावनी

    चीनी वैज्ञानिक ने कही फ्लू जैसा संक्रमण बने रहने की बात

    ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार चीन के शीर्ष चिकित्सा अनुसंधान संस्थान चाइनीज़ एकेडमी में पैथोजन बायोलॉजी संस्थान के निदेशक जिन क्यूई ने कहा कि Sars-Cov-2 आगे भी फ्लू जैसे मौसमी संक्रमण का कारण बना रहेगा।

    उन्होंने कहा, "यह एक महमारी के रूप में लंबे समय तक लोगों को परेशान करेगा और मौसमी बीमारी के रूप में हर साल लोगों को अपनी चपेट में लेगा।"

    ऐसे में फिलहाल इस वायरस से पूरी तरह से मुक्ति मिलने की उम्मीद करना बेमानी है।

    जानकारी

    मौसमी फ्लू से हर साल होती है 6.5 लाख लोगों की मौत

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुमान के अनुसार दुनियाभर में हर साल मौसमी फ्लू से तीन लाख से 6.5 लाख लोगों की मौत होती है। ऐसे में यदि यह वायरस लगातार अपना प्रकोप दिखाता रहा तो इस आंकड़े में बढ़ोत्तरी होगी।

    समर्थन

    भारतीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी करते हैं दावे का समर्थन

    भारतीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी चीन वैज्ञानिक के दावे का समर्थन करते हैं।

    गांधीनगर में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के निदेशक डॉ दिलीप मावलंकर ने कहा कि भारत में वायरस का बना रहना निश्चित हैं। इसका कारण है कि कोरोना की प्रसार दर अधिक है और छूने से भी फैलता है। ऐसे में इस पर नियंत्रण मुश्किल है। इससे बचने के लिए लोगों को बहुत अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है, जो सभी लोग नहीं बरत पाते हैं।

    मुश्किल

    "कोरोना वायरस पर पूरी तरह से नियंत्रण कर पाना मुश्किल"

    क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के अनुभवी वायरोलॉजिस्ट डॉ जैकब जॉन ने कहा कि 15 अप्रैल को नेचर मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार कोरोना की शुरुआत 44% संक्रमण के साथ होती है। इससे लोगों में साफ तोर पर लक्षण नजर नहीं आते। यह अन्य कोरोनविर्यूज़ की तुलना में तेजी से फैलता है।

    उन्होंने कहा कि यह सीधे फेफड़ों पर हमला कर श्वसन प्रक्रिया को बाधित करता है। इसके प्रसार की अधिक दर के कारण इसे खत्म करना मुश्किल है।

    अंतर

    "दो अलग-अलग वायरस के कारण व्यवहार होता है अलग"

    डॉ जैकब जॉन ने कहा कि कोरोना दो अलग-अलग वायरस (Sars-Cov-2 और Sars-ZoV) के कारण फैलता है। इसके कारण इसका व्यवहार अलग होता है।

    सॉस वायरस केवल खांसने से फैलता है, लेकिन Sars-Cov-2 गले से शुरू होता है। इसके बाद यह बात करने, थूंकने और लार से भी यह फैलता है। इस बीमारी में साइलेंस ट्रांसमिशन आम बात है।

    ऐसे में हवाईअड्डो पर केवल तापमान मापकर इसके बारे में पता लगाना आसान नहीं है।

    जानकारी

    अमेरिकी वैज्ञानियों ने सर्दियों में अधिक हालत खराब होने की जताई आशंका

    अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शन डिजीज के निदेशक एंथोनी फौसी सहित कई अन्य वैज्ञानिकों का मानना है कि नए कोरोना वायरस के कारण सर्दियों के मौसम में बहुत अधिक तेजी से संक्रमण का प्रसार होगा।

    खतरा

    कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों में होगा अधिक खतरा- डॉ ललित कांत

    इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल में महामारी विज्ञान और संचारी रोगों के पूर्व प्रमुख डॉ ललित कांत ने कहा कि इसके प्रसार की अधिक दर के कारण यह मौसमी बीमारी का रूप ले लेगा। यह कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को अपना शिकार बनाता रहेगा। हालांकि, यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि वायरस आगे कैसा व्यवहार करेगा।

    उन्होंने कहा कि संक्रमण को दुबारा होने से रोकने के लिए लंबे समय तक काम करने वाली वैक्सीन का निर्माण करना होगा।

    चेतावनी

    नवंबर में फिर से बढ़ सकता है कोरोना का खतरा

    NACO के पूर्व स्वास्थ्य सचिव जेवीआर प्रसाद ने कहा कि जर्नल ऑफ इंफेक्शन डिजीज के एक अध्ययन के अनुसार कोरोना के मामले में सबसे ज्यादा दिसंबर से अप्रैल के बीच पाए गए हैं और फरवरी में चरम पर रहते हैं।

    इसके उलट जून से सितंबर के बीच इसका संक्रमण 2.5 प्रतिशत ही होता है। ऐसे में नवंबर में कोरोना का खतरा फिर से बढ़ सकता है।

    लोगों को लंबे समय तक सोशाल डिस्टैंसिंग सहित अन्य उपायों का पालन करना होगा।

    प्रभाव

    कोरोना वायरस पर नहीं होगा गर्मियों का असर

    चीनी वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना वायरस पर गर्मी का ज्यादा असर नहीं होगा।

    पेकिंग यूनिवर्सिटी फर्स्ट हॉस्पिटल के वांग गुइकियांग ने कहा यह वायरस गर्मी के प्रति संवेदनशील है, लेकिन 56 डिग्री सेल्सियस तापमान पर यह 30 मिनट तक रह सकता है। इतना तापमान दुनिया में कहीं नहीं होता है। ऐसे में गर्मियों में इसके कम होने की उम्मीद बहुत कम है। इससे बचाव के लिए लोगों को सावधानियां बरतनी ही होगी।

    संक्रमण

    दुनिया और भारत में यह है कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति

    वर्तमान में पूरी दुनिया में लगभग 32 लाख लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से लगभग दो लाख 27 हजार लोगों की मौत हो गई।

    इसके उलट अब तक नौ लाख 72 हजार लोग उपचार के बाद ठीक हो चुके हैं।

    भारत में पिछले 24 घंटों में 67 नई मौतों के साथ मृतकों की संख्या 1,074 हो गई है। इसी तरह 1,718 नए मामलों के साथ संक्रमितों की कुल संख्या 33,050 हो गई है।

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