श्रीलंका वापस लौटे पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे, सरकार को विरोध शुरू होने का डर
राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों के बीच देश छोड़कर भागे श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे शुक्रवार को वापस लौट आए हैं। उनके स्वागत के लिए हवाई अड्डे पर कई मंत्री और नेता मौजूद थे और विमान से उतरने के बाद फूल बरसाकर उनका स्वागत किया गया। एक अधिकारी ने बताया कि विमान से उतरने के बाद राजपक्षे को माला पहनाने के लिए नेताओं की लाइन लगी हुई थी। हालांकि, उनके वापस लौटने पर लोग से फिर से विरोध शुरू कर सकते हैं।
जुलाई में श्रीलंका से भागे थे राजपक्षे
आर्थिक बदहाली को लेकर श्रीलंका में जून-जुलाई के दौरान बड़े स्तर पर प्रदर्शन हुए थे और कुछ प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति के आवास में भी घुस आए थे। इन सबके बीच जुलाई में राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए। वो श्रीलंका से मालदीव गए और यहां कुछ समय रहने के बाद सिंगापुर चले गए थे। सिंगापुर से उन्होंने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था। अपने इस्तीफा पत्र में उन्होंने श्रीलंका की आर्थिक बदहाली के लिए कोरोना महामारी और लॉकडाउन को जिम्मेदार बताया था।
52 दिनों से थाई होटल में रह रहे थे राजपक्षे
सिंगापुर ने राजपक्षे के वीजा की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद वो थाईलैंड चले गए थे और पिछले 52 दिनों से वहां के एक होटल में रुके हुए थे। यहां सरकार ने सुरक्षा कारणों से उन्हें होटल से बाहर न निकलने की सलाह दी थी। पिछले महीने राजपक्षे के भाई बासिल ने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से मिलकर उन्हें वापस देश आने की अनुमति और सुरक्षा देने की मांग की थी।
सुरक्षा के लिए कड़े बंदोबस्त
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, श्रीलंकाई सरकार ने राजपक्षे को कोलंबो के मध्य स्थित एक इलाके में ठहराने के इंतजाम किए हैं। शुक्रवार को राजपक्षे के श्रीलंका पहुंचने से पहले ही यहां पुलिस और सेना के जवान तैनात कर दिए गए थे। इसके साथ ही उनके निजी आवास पर भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राजपक्षे को पूर्व राष्ट्रपति के तौर पर सुविधाएं दी जाएंगी।
प्रदर्शनकारियों का क्या कहना है?
राजपक्षे के श्रीलंका लौटते ही सरकार को विरोध प्रदर्शनों का डर सताने लगा है। कुछ प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वो राजपक्षे के फिर से राजनीति या सरकार में आने का विरोध करेंगे। हालांकि, BBC से बात करते हुए प्रदर्शनकारियों के एक प्रमुख नेता फादर जीवंथा पीरिस ने कहा कि वो राजपक्षे की वापसी का विरोध नहीं कर रहे हैं। राजपक्षे से किसी की निजी दुश्मनी नहीं है। उनकी सरकार के भ्रष्टाचार के कारण लोग सड़कों पर उतरे थे।
राजपक्षे की गिरफ्तारी का दबाव बनाएंगे कार्यकर्ता
राष्ट्रपति पद से इस्तीफे के साथ ही राजपक्षे को मिली सुरक्षा भी समाप्त हो गई है। अब कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा है कि वो एक समाचारपत्र संपादक लसंथा विक्रमेटुंगे की हत्या में कथित भूमिका समेत कई आरोपों के तहत राजपक्षे की गिरफ्तारी का दबाव बनाएंगे। श्रीलंका यंग जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के प्रवक्ता ने कहा, "हम उनके लौटने का स्वागत करते हैं ताकि हम उन्हें उनके गुनाहों की सजा दिलवा सकें।"
विक्रमसिंघे बने श्रीलंका के नए राष्ट्रपति
राजपक्षे के इस्तीफे के बाद हुए चुनाव में रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका का नया राष्ट्रपति चुना गया था। राष्ट्रपति पद की रेस में उन्होंने पूर्व शिक्षा मंत्री दलस अलापेरुमा और वामपंथी पार्टी पीपल्स लिब्रेशन फ्रंट के नेता अनुरा दिसानायके को मात दी। देश का राष्ट्रपति चुनने के लिए इतिहास में पहली बार श्रीलंका की संसद में वोटिंग हुई थी और अधिकतर सांसदों ने विक्रमसिंघे पर भरोसा दिखाया। उन्हें 225 में से 134 वोट मिले थे।