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ईरान: हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारियों के सामने झुकी सरकार, नैतिकता पुलिस को किया खत्म
ईरान में हिजाब के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं

ईरान: हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारियों के सामने झुकी सरकार, नैतिकता पुलिस को किया खत्म

Dec 04, 2022
04:19 pm

क्या है खबर?

ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारियों के हाथ बड़ी सफलता लगी है और सरकार ने नैतिकता पुलिस को खत्म कर दिया है। ईरानी न्यूज एजेंसी ISNA के अनुसार, एक धार्मिक कार्यक्रम में देश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंटाजेरी ने कहा कि नैतिकता पुलिस का न्यायपालिका से कुछ लेना-देना नहीं है और इसी कारण इसे खत्म किया जा रहा है। गौरतलब है कि नैतिकता पुलिस की मारपीट में एक महिला की मौत के बाद ही देश में प्रदर्शन शुरू हुए थे।

नैतिकता पुलिस

क्या है नैतिकता पुलिस?

ईरान में 2006 में नैतिकता पुलिस का गठन किया गया था। तब देश में कट्टरपंथी विचारों वाले महमूद अहमदीनेजाद की सरकार थी। इस पुलिस को गश्त-ए-इरशाद के नाम से भी जाना जाता था और इसका मकसद शालीनता और हिजाब की संस्कृति का प्रसार करना है। असल में नैतिकता पुलिस महिलाओं पर नजर रख ये सुनिश्चित करती है कि वो हिजाब पहनने जैसे कानूनों का पालन कर रही हैं या नहीं। हिजाब न पहनने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है।

संबंध

नैतिकता पुलिस के कारण ही ईरान में हो रहे हैं प्रदर्शन

बता दें कि सितंबर में नैतिकता पुलिस के हिरासत में लेने के बाद कुर्दिश मूल की 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत हो गई थी और तभी से देशभर में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमिनी ने हिजाब नहीं पहना हुआ था, जिसके कारण नैतिकता पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और उनकी बेरहमी से पिटाई की गई। पिटाई में अमिनी गंभीर रूप से घायल हुईं और अस्पताल में उनकी मौत हो गई।

समीक्षा

हिजाब को अनिवार्य बनाने वाले कानून की भी समीक्षा कर रही ईरानी सरकार

गौरतलब है कि अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर ने एक दिन पहले ही महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य करने वाली दशकों पुरानी नीति की समीक्षा जारी होने की जानकारी भी दी थी। उन्होंने कहा था कि कानून में बदलाव की जरूरत है या नहीं, इस मुद्दे पर संसद और न्यायपालिका दोनों काम कर रहे हैं। उनके अनुसार, समीक्षा टीम बुधवार को संसद के सांस्कृतिक आयोग से मिली और एक-दो हफ्तों में नतीजे आ सकते हैं।

कानून

क्या है ईरान का हिजाब कानून?

ईरान में 1979 में इस्लामिक क्रांति आई थी और इसके चार साल बाद अप्रैल, 1983 में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया था। इस्लामिक कानूनों को मद्देनजर रखते हुए ये फैसला लिया गया था। अनिवार्य किए जाने के बाद से हिजाब देश में एक बड़ा मुद्दा रहा है। जहां रूढ़िवादी लोग कहते हैं कि यह अनिवार्य होना चाहिए, वहीं सुधारवादी लोग इसे महिलाओं की व्यक्तिगत पसंद पर छोड़ने के पक्षधर रहे हैं।

मौत

प्रदर्शनों के दौरान हो चुकी है 300 से अधिक लोगों की मौत

ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के दौरान 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें सुरक्षाकर्मी, आम नागरिक और प्रदर्शनकारी शामिल हैं। इसके अलावा 14,000 से अधिक लोगों को हिरासत में भी लिया गया है। 16 सितंबर से चल रहे इन प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए सरकारी सुरक्षाबलों ने जमकर बल प्रयोग किया है और गोलीबारी तक की है। पुलिस की गोलीबारी में कुछ महिला प्रदर्शनकारियों की मौत भी हुई है।