
पाकिस्तान: बांध के लिए जनता से जुटाए 9 अरब रुपये, विज्ञापन पर खर्चे 14 अरब
क्या है खबर?
पाकिस्तान में सिंधु नदी पर बनी डायम-भाषा बांध विवादों के कारण सुर्खियों में है।
दरअसल, बांध को बनाने के लिए जनता से नौ अरब रुपये जमा किए गए थे, लेकिन इसके विज्ञापन में इससे भी ज्यादा पैसा खर्च किया गया है। वहीं बांध अब तक पूरी तरह बनकर तैयार भी नहीं हुआ है।
घोटाले के सामने आने के बाद पाकिस्तानी, जिन्होंने पैसा दान किया, वो पछता रहे हैं।
आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
पृष्ठभूमि
2018 में लिया गया था फैसला
जुलाई 2018 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस साकिब निसार ने बांध के निर्माण के लिए विचार किया था। इसके लिए उन्होंने सार्वजनिक कोष से रुपये जुटाने की योजना बनाई।
बाद में उस समय के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी देश में पानी की कमी की समस्या से निपटने के लिए ज्वाइंट वेंचर बना लिया।
कई पाकिस्तानियों के साथ-साथ देश की सेना और क्रिकेट टीम ने भी तनख्वाह से रुपये काट के कोष में योगदान दिया था।
जानकारी
बांध प्रोजेक्ट में चीन भी हुआ शामिल
मई 2020 में चीन ने डायम-भाषा बांध के निर्माण में मदद करने की बात कही। उस वक्त पाकिस्तानी सरकार ने बांध निर्माण के लिए चाइना पावर एंड फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन (FWO) के ज्वाइंट वेंचर के साथ 442 अरब रुपये के अनुबंध पर साइन किया था।
मामला
अब नेशनल असेंबली के सदस्य ने किया दावा
पाकिस्तान की संसदीय लेखा समिति (PAC) के अनुसार, नेशनल असेंबली के सदस्य इकबाल अहसान ने दावा किया कि गिलगित-बाल्टिस्तान में बांध को बनाने के लिए जनता से नौ अरब रुपये जमा किए गए, लेकिन इसके विज्ञापन पर ही 14 अरब रुपये खर्च किए गए हैं।
इसके एक दिन बाद पूर्व चीफ जस्टिस साकिब निसार ने इस बात को स्वीकार भी किया है, जिसके बाद से संसद के कई सदस्यों ने जांच की मांग की है।
बयान
कोष बांध के निर्माण के लिए नहीं, जागरूकता के लिए किया- सेवानिवृत्त निसार
वाइस के अनुसार, निसार की सेवानिवृत्ति के बाद पार्टियों ने कोष में रुचि खो दी और दान शून्य हो गया।
यह स्पष्ट हो गया कि जनता से जुटाई गई राशि और बांध के निर्माण के लिए जितनी राशि चाहिए, उसमें अभी अरबों रुपये का अंतर है।
सेवानिवृत्त निसार ने कहा, "कोष बांध के निर्माण के लिए नहीं बल्कि जागरूकता बढ़ाने के लिए किया गया था। हम सिर्फ समझाना चाहते थे कि यह बांध कितना जरूरी है।"
जानकारी
लोगों ने कोष योजना की जमकर की निंदा
इसके बाद निसार द्वारा बांध के निर्माण के लिए कोष की योजना की काफी निंदा हुई थी। कई हाई-प्रोफाइल हस्तियों ने इसकी आलोचना करने के लिए आवाज उठाई। लोगों ने इस कोष योजना को हास्यास्पद करार दिया था।
प्रोजेक्ट
कैसे और कब बांध के निर्माण की मिली थी मंजूरी?
1980 के दशक में डायम-भाषा बांध को प्रस्तावित किया गया था और 2006 में इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की सरकार ने हरी झंडी दिखाई थी।
लेकिन विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक ने बांध का विवादित जगह कश्मीर में होने के कारण फाइनेंस करने से इनकार कर दिया था।
इसके बाद जुलाई 2018 में निसार के चीफ जस्टिस बनने के बाद, उन्होंने सार्वजनिक कोष की मदद से बांध के निर्माण का फैसला किया था।
भारत
बांध के निर्माण पर भारत जता चूका है आपत्ति
भारत इस बांध के निर्माण कार्य पर आपत्ति जता चूका है। इसके दो मुख्य कारण हैं।
पहला, अगर कभी भी यह बांध टूटता है तो कश्मीर और लद्दाख के उन इलाकों की जमीन को नुकसान होगा जो अभी भारत के पास हैं।
दूसरा, इस प्रोजेक्ट से चीन का जुड़ा होना। भविष्य में चीन-पाकिस्तान आपस में मिलकर पानी को लेकर कोई नीति तय कर सकती है क्योंकि ये नदियां लद्दाख से होकर गुजरती हैं।