पाकिस्तान: नवाज शरीफ की सत्ता में वापसी तय, जानें ऐसा क्यों कहा जा रहा
पाकिस्तान में 8 फरवरी को आम चुनाव होने हैं। इस चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सत्ता में वापसी तय मानी जा रही है। नवाज की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के लिए सकारात्मक माहौल बन रहा है और उन्हें सेना का समर्थन भी प्राप्त है। दूसरी तरफ पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के खिलाफ कार्रवाई बढ़ी है और माहौल भी उसके खिलाफ बना हुआ है।
नवाज की सत्ता में वापसी तय क्यों मानी जा रही?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नवाज की राजनीतिक किस्मत पाकिस्तान के शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान के साथ उनके संबंधों से जुड़ी हुई है। साल 2018 में जब सेना इमरान खान के साथ खड़ी थी, तब नवाज हार गए थे। इस बार सेना नवाज के समर्थन में है, इसलिए उनकी जीत तय मानी जा रही है। अपने पूरे करियर में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने के बावजूद वह देश के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बने हुए हैं।
भारत के साथ अच्छे संबंधों के पक्षधर नवाज
इस बार के चुनावों में भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने पर भी पाकिस्तानी नेताओं ने जोर दिया है। साल 2018 में खान की पार्टी PTI जीती, लेकिन उनके सत्ता में रहते हुए पाकिस्तान के भारत के साथ संबंध और निचले स्तर पर चले गए। इसके विपरीत नवाज का रिकॉर्ड भारत के साथ संबंधों में बेहतर रहा है और चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने भारत की तर्ज पर पाकिस्तान को आगे ले जाने की भी बात कही थी।
नवाज ने सबसे पहले कब संभाली थी पाकिस्तान की कमान?
नवाज पहली बार 1990 में सत्ता में आए थे, लेकिन 3 साल बाद ही भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण सरकार बर्खास्त हो गई। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को बहाल कर दिया, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति गुलाम इस्हाक खान के साथ उनकी अनबन बनी रहने के कारण यह बहाली ज्यादा दिन नहीं रही। इस दौरान सत्ता में रहते हुए नवाज ने विशेष रूप से बैंकों और उद्योगों के लिए निजीकरण और आर्थिक उदारीकरण पर आधारित अर्थव्यवस्था की शुरुआत की थी।
नवाज कभी अपना प्रधानमंत्री कार्यकाल पूरा नहीं कर सके
नवाज का दूसरा कार्यकाल 1997-1999 तक था। सेना ने उनका तख्तापलट कर दिया। उन पर तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ के खिलाफ साजिश रचने का आरोप था। नवाज के खिलाफ कई मुकदमे चले और वह जेल भी गए, लेकिन मुशर्रफ के साथ एक सौदे के तहत उनकी सजा माफ हुई और वह पाकिस्तान छोड़ सऊदी अरब चले गए। उनका तीसरा कार्यकाल 2013 से 2017 तक रहा। पनामा पेपर्स मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण सत्ता से बाहर हुए।
प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य ठहराए गए थे नवाज
भ्रष्टाचार के अलग-अलग आरोपों में दोषी ठहराए जाने पर नवाज को जीवनभर के लिए प्रधानमंत्री पद से अयोग्य घोषित कर दिया गया। इससे यह तीसरी बार हुआ कि वह पूर्ण कार्यकाल पूरा करने में विफल रहे। 7 साल की जेल की सजा के बावजूद उन्हें चिकित्सा देखभाल के लिए यूनाइटेड किंगडम (UK) की यात्रा करने की अनुमति दी गई और उन्होंने वापस न लौटने का फैसला किया। बता दें कि नवाज 2014 में भारत आने वाले आखिरी प्रधानमंत्री थे।
नवाज का राजनीतिक पुनरुत्थान कैसे संभव हुआ?
इमरान खान के सेना के खिलाफ जाने के बाद पिछले साल नवाज के राजनीतिक पुनरुत्थान ने गति पकड़ी। चुनाव में सांसदों की अयोग्यता की अवधि को कम करने वाले कानूनी बदलावों ने शरीफ के पक्ष में काम किया है। हाल के हफ्तों में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को अदालतों द्वारा खारिज कर दिया गया। इसी के बाद से यह संकेत मिलने लगे कि नवाज की सत्ता में वापसी हो सकती है।