पाकिस्तान और IMF के बीच बेल-आउट पैकेज को लेकर फिलहाल कोई समझौता नहीं, लेकिन उम्मीद बाकी
पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बीच अंतिम दिन बेल-आउट पैकेज को लेकर समझौता नहीं हो पाया है। गुरुवार को नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान और IMF के बीच वार्ता विफल रही। हालांकि, पाकिस्तान के वित्त सचिव इस समझौते को लेकर आशावादी दिखाई दे रहे हैं और उन्हें समझौते की उम्मीद है। अनुमान है कि गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा पाकिस्तान दिवालिया होने से बचने के लिए यह समझौता कर सकता है।
पाकिस्तान से लौट रहा IMF का प्रतिनिधिमंडल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान और IMF के बीच अभी कुछ मुद्दों को लेकर चर्चा होनी बाकी है और पिछले 10 दिनों से चल रही लंबी बातचीत के बाद आज IMF का प्रतिनिधमंडल पाकिस्तान से वापस लौट रहा है। वित्त सचिव हमीद शेख ने कहा, "पहले उठाए गए कुछ कदमों को लेकर IMF के साथ एक समझौता किया जा चुका है और कुछ मामलों में आपसी चर्चा के बाद सहमति बना ली जाएगी।"
IMF की शर्तों को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बता चुके हैं 'अकल्पनीय'
जानकारों कि मानें तो गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे पाकिस्तान को इस संकट से उबरने के लिए IMF की सभी शर्तों को मानना होगा और इसके संकेत बीते दिनों पाकिस्तान सरकार दे चुकी है। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा था, "IMF की शर्तें अकल्पनीय हैं, लेकिन उन्हें मानने के अलावा हमारे पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। सरकार न चाहते हुए भी सभी शर्तों को मनाने के लिए मजबूर हैं।"
IMF ने समझौते के लिए क्या रखी हैं शर्तें?
IMF ने पाकिस्तान सरकार के सामने बिजली सब्सिडी वापस लेने, गैस और ईंधन की कीमतों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ने और फ्री-फ्लोटिंग डॉलर जैसी शर्तें रखी हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, पाकिस्तान में अक्टूबर में चुनाव होने हैं और शर्तों को मानने पर शहबाज सरकार को सियासी झटका लग सकता है। हालांकि, दिवालियापन की संभावना के बीच कई देशों से मदद नहीं मिल पाने के कारण पाकिस्तान के सामने अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है।
पिछले हफ्ते 17 अरब डॉलर गिरा पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को चेतावनी दी है कि विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले एक सप्ताह में 17 करोड़ डॉलर की गिरावट आई है और अब यह 2.9 अरब डॉलर रह गया है, जो साल 1998 के बाद सबसे निचला स्तर है। पाकिस्तान में साल-दर-साल महंगाई दर तेजी से बढ़ रही है और पिछले 48 सालों में उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
पाकिस्तान में महंगाई अपने चरम पर
पाकिस्तान सरकार ने हाल ही में पेट्रोल-डीजल की कीमतें 35 पाकिस्तानी रुपये प्रति लीटर बढ़ा दी थीं। इसके अलावा पाकिस्तान में प्याज की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। पाकिस्तान में प्याज की कीमत 220 से 250 पाकिस्तानी रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। देश में चावल, दाल और गेहूं की कीमतों में भी एक साल के अंदर करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जिसके कारण महंगाई यहां अपने चरम पर पहुंची चुकी है।
क्या है पाकिस्तान में आर्थिक संकट के पीछे का कारण?
दरअसल, पाकिस्तान भारी कर्ज में डूबा हुआ है। उसने IMF, विश्व बैंक और चीन आदि से कर्ज लिया हुआ है, जो उसकी GDP के 84 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। इस साल के अंत तक यह कर्ज बढ़कर 140 अरब डाॅलर हाे जाएगा। पिछले कई दशकों में पाकिस्तान सरकार ने IMF से दो दर्जन से अधिक ऋण सौदे किये हैं, जिससे आज देश के हालात बद से बदतर हो गए हैं। पाकिस्तान को IMF से फिर पैसों की दरकार है।