आर्थिक संकट: पाकिस्तान IMF की "अकल्पनीय" शर्तों को मानने को मजबूर, प्रधानमंत्री बोले- कोई चारा नहीं
क्या है खबर?
पाकिस्तान गंभीर आर्थिक सकंट से गुजर रहा है। देश को इन हालातों के बाहर निकालने लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की सभी शर्तों को मानने की बात कही है।
उन्होंने कहा, "IMF की शर्तें अकल्पनीय हैं, लेकिन उन्हें मानने के अलावा हमारे पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। सरकार न चाहते हुए भी सभी शर्तों को मनाने के लिए मजबूर हैं।"
इस शर्तों में टैक्स वृद्धि और सब्सिडी में कटौती शामिल है।
बयान
क्या बोले शहबाज शरीफ?
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, शहबाज शरीफ ने कहा, "IMF के प्रतिनिधिमंडल ने सात अरब डॉलर (5,731 अरब रुपये) के बेल-आउट पैकेज के लिए शर्तें रखकर पाकिस्तान के लिए हालात मुश्किल कर दिये हैं। आप जानते हैं कि हम एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं और देश में साधनों की भारी कमी बनी हुई है।"
बता दें कि IMF की शर्तों को पूरा करने के लिए सरकार पहले ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ा चुकी है।
विदेशी मुद्रा भंडार
1998 के बाद सबसे निचले स्तर पर विदेशी मुद्रा भंडार
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के मुताबिक, देश का विदेश मुद्रा भंडार करीब तीन अरब डॉलर तक गिर गया है, जिससे सिर्फ तीन हफ्ते ही आयात हो सकता है। साल 1998 के बाद विदेशी मुद्रा भंडार सबसे निचले स्तर पर है।
पाकिस्तान में साल-दर-साल महंगाई दर तेजी से बढ़ रही है और पिछले 48 सालों में उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है, जिससे आम लोगों को खाद्य सामग्री के अलावा रोजमर्रा की जरूरतों के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है।
दबाव
पाकिस्तान की शहबाज सरकार पर क्या है दवाब?
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने समय से पहले चुनाव कराने के लिए शहबाज सरकार पर दबाव बनाया है।
2019 में इमरान खान ने प्रधानमंत्री रहते हुए आर्थिक संकट को लेकर IMF से ऋण पैकेज के लिए बातचीत के दौरान उसकी बाजार पर नियंत्रण की सभी शर्तों को मानने से इनकार कर दिया था और इसके बाद उनकी कुर्सी चली गई थी।
इसी कारण अब शहबाज को भी सत्ता गंवाने का डर सता रहा है।
शर्तें
पाकिस्तान के सामने IMF ने क्या शर्तें रखी हैं?
IMF ने पाकिस्तान सरकार के सामने बिजली सब्सिडी वापस लेने, गैस और ईंधन की कीमतों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ने और फ्री-फ्लोटिंग डॉलर जैसी शर्तें रखी हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इन शर्तों को मानने पर शहबाज सरकार को सियासी मोर्चे पर बड़ा झटका लग सकता है।
हालांकि, दिवालियापन की संभावना के बीच कई देशों से मदद नहीं मिल पाने के कारण पाकिस्तान के सामने अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
वृद्धि
पाकिस्तान में आसमान छू रही महंगाई
पाकिस्तान सरकार ने हाल ही में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 35 पाकिस्तानी रुपये प्रति लीटर बढ़ा दी थीं। इसके अलावा पाकिस्तान में प्याज की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। पाकिस्तान में प्याज की कीमत 220 से 250 पाकिस्तानी रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है।
देश में चावल, दाल और गेहूं की कीमतों में भी एक साल के अंदर करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जिसके कारण महंगाई यहां आसमान छू रही है।
कर्ज
क्या है पाकिस्तान में आर्थिक संकट के पीछे का कारण?
दरअसल, पाकिस्तान भारी कर्ज में डूबा हुआ है। उसने IMF, विश्व बैंक और चीन आदि से कर्ज लिया हुआ है, जो उसकी GDP के 84 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। इस साल के अंत तक यह कर्ज बढ़कर 140 अरब डाॅलर हाे जाएगा।
पिछले कई दशकों में पाकिस्तान सरकार ने IMF से दो दर्जन से अधिक ऋण सौदे किये हैं, जिसके कारण आज देश के हालात बद से बदतर हो गए हैं।