अफगानिस्तान: भूकंप में मरने वालों का आंकड़ा 2,000 से ज्यादा हुआ, कई गांव मलबे में बदले
अफगानिस्तान में शनिवार (7 अक्टूबर) को आए विनाशकारी भूकंप में मरने वालों का आंकड़ा 2,000 से ज्यादा हो गया है। तालिबान के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की है। इसे पिछले 2 दशक में आए सबसे विनाशकारी भूकंप में से एक माना जा रहा है। हेरात प्रांत में करीब 6 गांव पूरी तरह मलबों में बदल चुके हैं और सैकड़ों लोग मलबे में दब गए हैं। 465 इमारतें पूरी तरह तहस-नहस हो गई हैं।
तालिबान ने की मदद की अपील
देश के सूचना एवं संस्कृति मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल वाहिद रेयान ने विश्व समुदाय से तत्काल मदद की अपील की है। उन्होंने कहा कि मरने वालों का असल आंकड़ा बताए गए आकंड़ों से कहीं ज्यादा हैं। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने कहा कि भूकंप की वजह से 465 घर नष्ट हो गए हैं और 135 घरों को नुकसान पहुंचा है। UN ने कहा कि हताहतों की संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि खोज और बचाव अभियान जारी है।
हेरात प्रांत में हुआ सबसे ज्यादा नुकसान
भूकंप से हेरात प्रांत सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। यहां मोबाइल और बिजली सेवाओं पर असर पड़ा है, जिसकी वजह से बचाव कार्य में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अस्पतालों में जगह नहीं है और मरीजों को जमीन पर लेटाकर इलाज किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर इसके फोटो और वीडियो वायरल हो रहे हैं। बता दें कि हेरात को अफगानिस्तान की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है। यहां की आबादी करीब 19 लाख है।
शनिवार को आया था 6.3 तीव्रता का भूकंप
शनिवार को अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में 6.3 तीव्रता का भूकंप आया था। संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (UNGS) के मुताबिक, अलग-अलग तीव्रता के कई झटके भी महसूस किए गए, जिनकी तीव्रता 6.3, 5.9 और 5.5 थी। भूकंप का केंद्र हेरात शहर से 40 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा कि उसने हताहतों को अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए जेंडा जान में 12 एंबुलेंस भेजीं हैं।
पिछले साल भूकंप से हुई थीं 1,000 मौतें
पिछले साल जून में भी अफगानिस्तान में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया था। इसमें करीब 1,000 लोग मारे गए थे और 1,500 घायल हुए थे। काबुल से करीब 262 किलोमीटर दूर पकतिका में भूकंप की वजह से सबसे ज्यादा तबाही हुई थी। ये भूकंप रात करीब डेढ़ बजे आया था, इसलिए ज्यादातर लोग सो रहे थे और उन्हें भागने का मौका नहीं मिला। इसका असर पाकिस्तान के कई शहरों तक देखा गया था।
न्यूजबाइट्स प्लस
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक, हिमालयी क्षेत्र भूकंप के लिहाज से अतिसंवेदनशील है और यह अफगानिस्तान की हिंदू कुश पहाड़ियों से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। अफगानिस्तान में अधिक भूकंप आने के पीछे का कारण है कि यह देश कई 'फॉल्ट लाइन' के शीर्ष पर स्थित है। फॉल्ट लाइन का आशय उस हिमालयी क्षेत्र से है, जहां भारतीय और यूरेशियाई टेक्टॉनिक प्लेटें आपस में जुड़ी हैं, जिनमें हलचल होने के कारण अक्सर भूकंप आते रहते हैं।