WHO प्रमुख की चेतावनी- पहले खतरे से बाहर रहे देशों में जड़े जमा सकता है मंकीपॉक्स
दुनियाभर में मंकीपॉक्स संक्रमण में वृद्धि के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस ने कहा कि गैर-एंडेमिक देशों में मंकीपॉक्स का खतरा बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि पहले खतरे से बाहर रहे गैर-एंडेमिक देशों में मंकीपॉक्स के पैर जमाने का खतरा वास्तविक है। उन्होंने सभी देशों से मंकीपॉक्स के मामलों की पहचान करके संक्रमण को नियंत्रित करने की अपील की है। अब तक 29 देशों में मंकीपॉक्स के लगभग 1,000 मामले सामने आ चुके हैं।
WHO कर रहा बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन की तैयारी
ट्रेडोस ने कहा कि किसी भी नए देश में अब तक मंकीपॉक्स संक्रमित किसी भी मरीज की मौत की सूचना नहीं मिली है। वैक्सीनेशन पर उन्होंने कहा, "मंकीपॉक्स के लिए एंटी-वायरल और वैक्सीन दुनियाभर में हैं, लेकिन अभी इसकी आपूर्ति सीमित है।" उन्होंने कहा कि WHO सार्वजनिक स्वास्थ्य जरूरतों के आधार पर एक समन्वय तंत्र विकसित करने पर काम कर रहा है और बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन की दिशा में काम कर रहा है।
विकसित देशों में फैलने पर मंकीपॉक्स पर ध्यान दे रही दुनिया- WHO
टेड्रोस ने कहा कि मंकीपॉक्स वायरस दशकों से अफ्रीका में फैल रहा है और हजारों लोग इससे संक्रमित होकर मारे जा चुके हैं, लेकिन दुनिया का ध्यान इस बीमारी की तरफ तब गया है जब इसने विकसित देशों को प्रभावित करना शुरु किया है। उन्होंने सलाह दी कि मंकीपॉक्स से संक्रमित लोगों को घर पर रहना चाहिए और संक्रमित लोगों के साथ घर साझा करने वालों लोगों को उसके संपर्क में आने से बचना चाहिए।
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। ये बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है। ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी करने वाले वायरस भी आते हैं। मंकीपॉक्स वायरस का सबसे पहले 1958 में पता चला था। तब रिसर्च के लिए तैयार की गईं बंदरों की बस्तियों में इस वायरस के कारण पॉक्स जैसी बीमारी देखी गई थी।
किन-किन देशों में सामने आ चुके हैं मंकीपॉक्स के मामले?
WHO के अनुसार, दुनिया के 29 देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आ चुके हैं। इनमें संयुक्त अरब अमीरात (UAE), अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्टि्रया, मोरक्को, कनाडा, स्वीडन, इटली, बेल्जियम, फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन, पुर्तगाल, इजरायल, स्लोवेनिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, अर्जेंटीना, फिनलैंड, मैक्सिको और स्पेन आदि देश शामिल हैं। इनमें से ब्रिटेन, पुर्तगाल और स्पेन सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। स्पेन और बेल्जियम की रेव पार्टियों को इसका जिम्मेदार माना गया है। वहां की सरकारों ने समलैंगिकों को सतर्कता बरतने को कहा है।