ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का दावा, अक्टूबर तक मिल सकती है कोरोना वायरस की वैक्सीन
क्या है खबर?
कोरोना वायरस ने इस समय पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है। प्रतिदिन इसके मृतकों और संक्रमितों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है।
यही कारण है कि बड़ी-बड़ी महाशक्ति इस महामारी के आगे असहाय नजर आ रही हैं। इनमें अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश भी शामिल है।
इस बीच ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का दावा किया है और उन्होंने इसका ट्रायल भी शुरू कर दिया है।
दावा
ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने वैक्सीन को लेकर किया यह दावा
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीनोलॉजी विभाग की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का दावा किया है।
उन्होंने मेडिकल जर्नल The Lancet को कहा कि इस पर काम चल रहा है और सितंबर-अक्टूबर के बीच यह लोगों तक पहुंच जाएगी।
उन्होंने कहा कि वह महामारी का रूप लेने वाली इस बीमारी पर काम कर रहे थे जिसे एक्स का नाम दिया गया था। इसके लिए उन्हें योजना बनाकर काम करने की जरुरत थी।
परीक्षण
वैक्सीन के अब तक किए जा चुके हैं 12 परीक्षण
प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट कहा कि ChAdOx1 तकनीक के साथ वैक्सीन के 12 परीक्षण किए जा चुके हैं। इसकी एक डोज से ही रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने के परिणाम मिले हैं।
वहीं DNA और RNA तकनीक में इसके दो या दो से ज्यादा डोज की जरुरत होती है।
उन्होंने बताया कि वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है।
इसकी सफलता पर विश्वास जताते हुए उन्होंने कहा कि सितंबर-अक्टूबर तक इसकी 10 लाख डोज तैयार हो जाएगी।
जानकारी
मई तक 500 लोगों पर किया जाएगा ट्रायल
प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने बताया कि तैयार की गई वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रालय तेजी से किया जा रहा है। उन्होंने मई तक 18-55 साल के करीब 500 लोगों पर इसका ट्रायल करने का लक्ष्य रखा है। इससे और बेहतर परिणाम सामने आ सकेंगे।
अध्ययन
गिल्बर्ट ने 1994 में शुरू किया था वैक्सीन पर अध्ययन
बता दें कि प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीनोलॉजी विभाग साल 1994 में वैक्सीन पर अपना अध्ययन कार्य शुरू किया था।
उनके अनुभव को देखते हुए नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च एंड यूके रिसर्च एंड इनोवेशन ने मार्च में उन्हें कोरोना महामारी की वैक्सीन के अध्ययन के लिए 2.8 मिलियन डॉलर का अनुदान दिया था।
इसके बाद उनकी टीम ने ही इस प्रयोग के लिए वैक्सीन उपलब्ध कराई थी।
जानकारी
WHO ने 70 वैज्ञानिकों को दी थीं वैक्सीन बनाने की इजाजत
बता दें कि कोरोना महामारी के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कुल 70 वैज्ञानिकों को वैक्सीन बनाने के लिए इजाजत दी थीं। इसके अलावा उसने तीन उन वैज्ञानिकों को भी इजाजत दी थी जो वैक्सीन का मनुष्यों पर परीक्षण कर रहे हैं।
तैयारी
ऐसे किया जाएगा वैक्सीन का परीक्षण
प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट के अनुसार वैक्सीन के दूसरे ट्रायल के लिए 510 चयनित लोगों को पांच समूहों में बांटा जाएगा। इसमें से एक समूह को वैक्सीन के पहले ट्रायल के चार सप्ताह बाद दूसरे ट्रायल के तहत डोज दी जाएगी।
इसके अलावा परीक्षण में शामिल होने वाले सभी लोगों को एक साथ स्थिति पर नजर रखने के लिए छह महीने की निगरानी में रखा जाएगा।
उन्होंने बताया कि वह ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन का बेहतर परिणाम सुनिश्चित करना चाहते हैं।
जानकारी
ब्रिटेन में सफलता के बाद बाहर किया जाएगा परीक्षण
प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने बताया कि ब्रिटेन में परीक्षण की सफलता के बाद वैक्सीन के एक हिस्से को दूसरे देशों में भी भेजने की आवश्यकता हो सकती है। अन्य देशों में परीक्षण के दौरान सफलता मिलने पर वैक्सीन के प्रभावी असर का पता चलेगा।
संक्रमण की स्थिति
दुनिया और भारत में यह है कोरोना वायरस की वर्तमान स्थिति
वर्तमान में पूरी दुनिया में 22.61 लाख लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा करीब एक लाख 54 हजार 726 लोगों की मौत हो चुकी है।
दुनिया में अब तक सबसे ज्यादा मौत अमेरिका में 37,175 लोगों की हुई है। पूरी दुनिया में अब तक 5.76 लाख लोग ही इस बीमार से उभर पाए हैं।
भारत में संक्रमितों की कुल संख्या 14,378 है और अब तक कुल 480 लोगों की मौत हो चुकी है।