ट्रायल के पहले चरण में कारगर साबित हुई अमेरिकी कंपनी की कोरोना वायरस वैक्सीन
क्या है खबर?
अमेरिका में इंसानों पर इस्तेमाल हुई पहली कोरोना वायरस वैक्सीन ट्रायल में सुरक्षित और कारगर साबित हुई है।
इसे बनाने वाली कंपनी मॉडर्ना ने सोमवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि ट्रायल के पहले चरण में मार्च महीने में आठ लोगों को यह वैक्सीन दी गई थी। तय समय के बाद इन सभी में ऐसी एंटी-बॉडीज पाई गईं, जो कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों में होती हैं।
आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
ट्रायल
मॉडर्ना को मिला 'फास्ट ट्रैक' का लेबल
मॉडर्ना कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने की रेस में काफी आगे चल रही है।
पिछले हफ्ते अमेरिकी एजेंसियों ने इसे 'फास्ट ट्रैक' लेबल दिया है ताकि इसकी वैक्सीन के रेगुलेटरी रिव्यू तेजी से हो सके।
कंपनी को उम्मीद है कि वह जुलाई में इसके बड़े ट्रायल शुरू कर देगी।
गौरतलब है कि फिलहाल इस खतरनाक वायरस से होने वाली COVID-19 महामारी की कोई वैक्सीन नहीं है। जानकारों का कहना है कि वैक्सीन तैयार होने में 12-18 महीने लगेंगे।
ट्रायल
आठ लोगों के समूह पर ट्रायल के नतीजे सामने
इस वैक्सीन को mRNA-1273 नाम दिया गया है।
इसके ट्रायल के दौरान अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में आठ स्वस्थ वॉलेंटियर्स को इसकी डोज दी गई।
डोज के बाद इन लोगों में एंटी-बॉडीज बनीं जो कोरोना वायरस को बढ़ने से रोकती हैं। किसी भी वैक्सीन के लिए यह सबसे जरूरी चीज होती है।
इन लोगों में बनी एंटी-बॉडीज का स्तर कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों के शरीर में मौजूद एंटी-बॉडी के बराबर है।
वैक्सीन
जुलाई में शुरू हो जाएंगे बड़े स्तर पर ट्रायल
कंपनी ने बताया कि वह दूसरे चरण में 600 लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल करेगी। इसके बाद जुलाई में ट्रायल का तीसरा चरण शुरू होगा, जिसमें हजारों लोगों पर इस वैक्सीन का असर देखा जाएगा।
कंपनी के मुख्य मेडिकल अधिकारी टाल जैक्स ने कहा, "अगर सभी ट्रायल उम्मीद के मुताबिक रहे तो इस साल के अंत या अगले साल की शुुरुआत में दुनियाभर के लोगों के लिए यह वैक्सीन तैयार हो जाएगी।"
ट्रायल
वैक्सीन के कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं
जैक्स ने बताया कि 45 लोगों पर वैक्सीन की कम, मध्यम और अधिक डोज को ट्रायल किया गया था। अभी केवल कम और मध्यम डोज वाले ट्रायल के नतीजे सामने आए हैं। इनका एक साइड इफेक्ट यह देखा गया है कि वॉलेंटियर को इंजेक्शन लगाने वाली जगह पर दर्द हुआ और त्वचा लाल हो गई।
वहीं ज्यादा डोज वाले वॉलेंटियर को बुखार, बदन दर्द और सिरदर्द महसूस हुआ, लेकिन एक दिन बाद यह सब ठीक हो गया।
वैक्सीन
वैक्सीन के उत्पादन के लिए कंपनी ने किया अमेरिकी सरकार से समझौता
जैक्स ने बताया कि अगले चरण में अधिक डोज का ट्रायल नहीं होगा। ऐसा इसलिए नहीं किया जा रहा कि इसके साइड इफेक्ट्स हैं, लेकिन जब कम डोज से काम चल रहा है तो अधिक डोज की जरूरत नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि जितनी कम डोज होगी, कंपनी उतनी ही ज्यादा वैक्सीन बना सकेगी।
कंपनी ने ब़ड़े स्तर पर वैक्सीन के उत्पादन के लिए अमेरिकी सरकार और स्विस कंपनी लोंजा ग्रुप के साथ समझौता किया है।
वैक्सीन
कैसे काम करती है वैक्सीन?
वैक्सीन के जरिये हमारे इम्युन सिस्टम में कुछ मॉलिक्यूल्स, जिन्हें वायरस का एंटीजंस भी कहा जाता है, भेजे जाते हैं।
आमतौर पर ये एंटीजंस कमजोर या निष्क्रिय रूप में होते हैं ताकि हमें बीमार न कर सकें, लेकिन हमारा शरीर इन्हें गैरजरूरी समझकर एंटी-बॉडीज बनानी शुरू कर देता है ताकि उनसे हमारी रक्षा कर सके।
आगे चलकर अगर हम उस वायरस से संक्रमित होते हैं तो एंटी-बॉडीज वायरस को मार देती हैं और हम बीमार होने से बच जाते हैं।