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    जब ईरान ने भारत के खिलाफ युद्धों में की थी पाकिस्तान की मदद, जानें पूरी कहानी
    भारत के खिलाफ युद्धों में ईरान ने पाकिस्तान का साथ दिया था

    जब ईरान ने भारत के खिलाफ युद्धों में की थी पाकिस्तान की मदद, जानें पूरी कहानी

    लेखन महिमा
    Jan 19, 2024
    07:42 pm

    क्या है खबर?

    ईरान और पाकिस्तान के बीच संबंध वर्तमान में मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।

    ईरान ने पाकिस्तान के इलाके में आतंकी ठिकानों पर मिसाइलें दागीं तो पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई की और राजनयिक संबंध तोड़ लिए।

    इन हमलों में भारत ने खुलकर ईरान का समर्थन किया है, लेकिन यह वही ईरान है जिसने कभी भारत के खिलाफ युद्धों में पाकिस्तान का साथ दिया था।

    आइए जानते हैं कि ये पूरी कहानी क्या है।

    युद्ध 

    1965 और 1971 में हुए थे भारत और पाकिस्तान के युद्ध

    1965 का युद्ध पाकिस्तान के 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' के बाद शुरू हुआ था। पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सीमा में घुसपैठ कर दी थी, जिसके बाद भारत ने अपनी सेना उतार दी। यह युद्ध 17 दिनों तक चला था।

    1971 का युद्ध बांग्लादेश की आजादी के लिए हुआ था। भारत ने बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन में हस्तक्षेप किया तो पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया और युद्ध भड़क गया।

    दोनों युद्धों में भारत की जीत हुई थी।

    दोस्ताना 

    ईरान ने कैसे दिया था पाकिस्तान का साथ?

    1965 और 1971 में भारत के खिलाफ युद्धों के दौरान ईरान ने पाकिस्तान का पूरा साथ दिया और खुद को उसका भरोसेमंद दोस्त साबित किया। युद्ध के दौरान उसने पाकिस्तान को राजनयिक और सैन्य समर्थन दिया था।

    जब पाकिस्तान को हथियारों और अन्य युद्ध उपकरणों की आवश्यकता पड़ी तो ईरान ने ये उपलब्ध कराए।

    1965 का युद्ध छिड़ने के बाद, ईरानी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि वह पाकिस्तान के खिलाफ भारत की आक्रामकता से चिंतित है।

    हथियार 

    ईरान ने 1965 में कैसे की थी पाकिस्तान की मदद?

    1965 के युद्ध के दौरान पाकिस्तान को जब हथियार जुटाने में कठिनाई आई तो ईरान ने जर्मनी के बाजारों से हथियार लाकर उस तक पहुंचाए और एक 'डीलर' के रूप में काम किया।

    जब पाकिस्तान पश्चिम देशों से सैन्य हार्डवेयर नहीं जुटा सका तो ईरान ने पश्चिम जर्मनी से कई F-86 लड़ाकू विमान, मिसाइलें, तोपखाने और गोला-बारूद खरीदे।

    अमेरिका के खुफिया दस्तावेजों के अनुसार, कुछ विमान ईरान के रास्ते पाकिस्तान पहुंचाए गए, जबकि अन्य कराची पहुंचाए गए।

    ईरान 

    ईरान ने पाकिस्तान का साथ देने पर क्या कहा था?

    इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, 1965 के युद्ध के दौरान ईरान के सर्वोच्च नेता मोहम्मद रजा शाह ने तब कहा था, "उसका कोई आक्रामक इरादा नहीं है, लेकिन वह पाकिस्तान को खत्म करने के किसी भी प्रयास को स्वीकार नहीं करेगा। भारत को हमारे संकल्प के बारे में अच्छे से पता होना चाहिए। हम ईरान की सीमा पर एक नया वियतनाम नहीं चाहते हैं।"

    ईरान ने खुलकर भारत की आलोचना कर अपनी मंशा साफ कर दी थी।

    1971 

    1971 के युद्ध में ईरान ने कैसे की थी पाकिस्तान की मदद?

    1971 के युद्ध में ईरान ने पाकिस्तान को 12 हेलीकॉप्टर, तोपखाने, गोला-बारूद और स्पेयर पार्ट्स जैसे सैन्य उपकरण दिए।

    अमेरिकी खुफिया दस्तावेजों के अनुसार, युद्ध के दौरान ईरान ने पाकिस्तान को सस्ती दरों पर तेल भी उपलब्ध कराया।

    दस्तावेजों के अनुसार, 1971 के युद्ध के बाद से ऐसी रिपोर्ट सामने आईं कि यदि पाकिस्तान पश्चिमी सैन्य उपकरण और स्पेयर पार्ट्स प्राप्त नहीं कर पाता है तो ईरान फिर से उसके लिए हथियार खरीदने का एजेंट बनने के लिए तैयार था।

     आक्रामकता

    शाह ने ईरान और पाकिस्तान को कहा था 'दो जिस्म एक जान'

    ईरान के शाह ने एक बार ईरान और पाकिस्तान को 'दो जिस्म एक जान' कहा था और 1971 में भारतीय कार्रवाई को जबरदस्त आक्रामकता बताया था।

    इस बयान का उल्लेख विशेषज्ञ एलके चौधरी ने अपने जर्नल 'पाकिस्तान एज ए फैक्टर इन इंडो-इरानीयन रिलेशन' में किया था।

    उन दिनों ईरान और पाकिस्तान दोनों ने बलूचिस्तान क्षेत्र में बलूच विद्रोहियों के खिलाफ संयुक्त अभियान भी चलाया था। हालांकि, शाह के शासनकाल के अंतिम वर्षों में संबंध बिगड़ने लगे थे।

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