#NewsBytesExplainer: जर्मनी में 23 फरवरी को चुनाव; कैसे होता है मतदान और किसकी जीत के आसार?
क्या है खबर?
जर्मनी में 23 फरवरी को संसदीय चुनाव होना है। पिछले साल दिसंबर में चांसलर ओलाफ शोल्ज के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार गिरने के बाद समय से पहले ये चुनाव हो रहे हैं।
यूरोपीय संघ (EU) की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी बिगड़ते आर्थिक हालात, प्रवासन और घरेलू हमलों जैसी कई चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में चुनावी नतीजे देश के भविष्य के लिए अहम होने वाले हैं।
आइए आज जर्मनी के चुनावों के बारे में जानते हैं।
चुनाव
जर्मनी में कैसे होते हैं चुनाव?
जर्मनी की चुनाव प्रणाली थोड़ी जटिल है। वहां हर मतदाता 2 वोट डालता है- एक स्थानीय निर्वाचन क्षेत्र के पसंदीदा उम्मीदवार के लिए और दूसरा वोट राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक पार्टी के लिए।
ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि हो सकता है मतदाता को स्थानीय स्तर पर किसी खास पार्टी का उम्मीदवार और राष्ट्रीय स्तर पर कोई अन्य पार्टी पसंद हो। यहां की सरकार का कार्यकाल 4 साल का होता है।
बहुमत
क्या है बहुमत का आंकड़ा?
सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को संसद की 50 प्रतिशत सीटें जीतना जरूरी होता है। हालांकि, इतनी सीटें पाना बेहद मुश्किल होता है, इसलिए जर्मनी में हमेशा गठबंधन सरकार बनती है।
इसकी वजह है कि जर्मन संसद में सीटों की संख्या निर्धारित नहीं है। चुनाव में 5 प्रतिशत से ज्यादा वोट पाने वाली पार्टियों को वोट के अनुपात में संसद में सीटें मिलती हैं।
इस वजह से संसद सीटें घटती-बढ़ती रहती हैं।
पार्टियां
चुनाव में कौन-कौनसी मुख्य पार्टियां हैं?
चुनावों में अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AfD), क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) और उसकी सहयोगी पार्टी क्रिश्चियन सोशल यूनियन (CSU), सोशल डेमोक्रेट्स (SPD), ग्रीन्स पार्टी, फ्री डेमोक्रेट्स पार्टी (FDP) मुख्य पार्टियां हैं।
इनमें से कई पार्टियां एक-दूसरे के साथ मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ती हैं।
ताजा सर्वेक्षणों में CDU-CSU गठबंधन की जीत के आसार हैं। उसे 30 प्रतिशत वोट या 630 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, कट्टरपंथी पार्टी AfD दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अपना सबसे बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।
चांसलर
चांसलर बनने की रेस में कौन आगे है?
CDU के फ्रेडरिक मेर्ज चांसलर बनने की रेस में सबसे आगे हैं। उनका चांसलर बनना लगभग तय है। चुनावी अभियान में मेर्ज ने प्रवासन रोकने को केंद्रीय मुद्दा बनाया है।
अर्थव्यवस्था और जलवायु मंत्री और ग्रीन पार्टी से आने वाले रॉबर्ट हेबेक भी चांसलर की रेस में हैं।
AfD ने ऐलिस वेइडेल को चांसलर उम्मीदवार घोषित किया है। वहीं, ओलाफ शोल्ज भी दूसरी बार चांसलर बनने के लिए मुकाबला कर रहे हैं।
मुद्दे
किन मुद्दों पर हो रहे हैं चुनाव?
चुनाव में अवैध प्रवासन और अर्थव्यवस्था की स्थिति सबसे बड़े मुद्दे हैं।
2019 से 2024 तक जर्मनी की अर्थव्यवस्था केवल 0.3 प्रतिशत बढ़ी है। यूक्रेन युद्ध ने अर्थव्यवस्था को खासा नुकसान पहुंचाया है।
ऑटोमोबाइल कंपनियों का चीन के प्रति मोह बढ़ने और कुशल कारीगरों की कमी से उद्योगों को झटका लगा है।
शरणार्थियों या अप्रवासियों द्वारा किए गए कथित उच्चस्तरीय हमलों के बाद प्रवासन भी सबसे अहम मुद्दा है।
अल्पावधि
समय से पहले क्यों हो रहे हैं चुनाव?
जर्मनी में सितंबर में चुनाव होने थे। हालांकि, पिछले साल दिसंबर में चांसलर शोल्ज के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। इसके पक्ष में 394 और विरोध में 207 वोट पड़े थे।
प्रस्ताव पारित होने के बाद शोल्ज को इस्तीफा देना पड़ा था।
कानून के मुताबिक, चांसलर के इस्तीफा देने के 60 दिन के भीतर चुनाव होना जरूरी है। इस वजह से समय से पहले चुनाव हो रहे हैं।