NewsBytes Hindi
    English Tamil Telugu
    अन्य
    चर्चित विषय
    क्रिकेट समाचार
    नरेंद्र मोदी
    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
    राहुल गांधी
    #NewsBytesExplainer
    IPL 2025
    ऑपरेशन सिंदूर
    English Tamil Telugu
    NewsBytes Hindi
    User Placeholder

    Hi,

    Logout

    देश
    राजनीति
    दुनिया
    बिज़नेस
    खेलकूद
    मनोरंजन
    टेक्नोलॉजी
    करियर
    अजब-गजब
    लाइफस्टाइल
    ऑटो
    एक्सक्लूसिव
    विज़ुअल खबरें

    एंड्राइड ऐप डाउनलोड

    हमें फॉलो करें
    • Facebook
    • Twitter
    • Linkedin
    होम / खबरें / दुनिया की खबरें / #NewsBytesExplainer: जर्मनी में 23 फरवरी को चुनाव; कैसे होता है मतदान और किसकी जीत के आसार? 
    अगली खबर
    #NewsBytesExplainer: जर्मनी में 23 फरवरी को चुनाव; कैसे होता है मतदान और किसकी जीत के आसार? 
    जर्मनी में 23 फरवरी को चुनाव होना है

    #NewsBytesExplainer: जर्मनी में 23 फरवरी को चुनाव; कैसे होता है मतदान और किसकी जीत के आसार? 

    लेखन आबिद खान
    Feb 22, 2025
    05:33 pm

    क्या है खबर?

    जर्मनी में 23 फरवरी को संसदीय चुनाव होना है। पिछले साल दिसंबर में चांसलर ओलाफ शोल्ज के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार गिरने के बाद समय से पहले ये चुनाव हो रहे हैं।

    यूरोपीय संघ (EU) की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी बिगड़ते आर्थिक हालात, प्रवासन और घरेलू हमलों जैसी कई चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में चुनावी नतीजे देश के भविष्य के लिए अहम होने वाले हैं।

    आइए आज जर्मनी के चुनावों के बारे में जानते हैं।

    चुनाव

    जर्मनी में कैसे होते हैं चुनाव?

    जर्मनी की चुनाव प्रणाली थोड़ी जटिल है। वहां हर मतदाता 2 वोट डालता है- एक स्थानीय निर्वाचन क्षेत्र के पसंदीदा उम्मीदवार के लिए और दूसरा वोट राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक पार्टी के लिए।

    ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि हो सकता है मतदाता को स्थानीय स्तर पर किसी खास पार्टी का उम्मीदवार और राष्ट्रीय स्तर पर कोई अन्य पार्टी पसंद हो। यहां की सरकार का कार्यकाल 4 साल का होता है।

    बहुमत

    क्या है बहुमत का आंकड़ा?

    सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को संसद की 50 प्रतिशत सीटें जीतना जरूरी होता है। हालांकि, इतनी सीटें पाना बेहद मुश्किल होता है, इसलिए जर्मनी में हमेशा गठबंधन सरकार बनती है।

    इसकी वजह है कि जर्मन संसद में सीटों की संख्या निर्धारित नहीं है। चुनाव में 5 प्रतिशत से ज्यादा वोट पाने वाली पार्टियों को वोट के अनुपात में संसद में सीटें मिलती हैं।

    इस वजह से संसद सीटें घटती-बढ़ती रहती हैं।

    पार्टियां

    चुनाव में कौन-कौनसी मुख्य पार्टियां हैं?

    चुनावों में अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AfD), क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) और उसकी सहयोगी पार्टी क्रिश्चियन सोशल यूनियन (CSU), सोशल डेमोक्रेट्स (SPD), ग्रीन्स पार्टी, फ्री डेमोक्रेट्स पार्टी (FDP) मुख्य पार्टियां हैं।

    इनमें से कई पार्टियां एक-दूसरे के साथ मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ती हैं।

    ताजा सर्वेक्षणों में CDU-CSU गठबंधन की जीत के आसार हैं। उसे 30 प्रतिशत वोट या 630 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, कट्‌टरपंथी पार्टी AfD दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अपना सबसे बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।

    चांसलर

    चांसलर बनने की रेस में कौन आगे है?

    CDU के फ्रेडरिक मेर्ज चांसलर बनने की रेस में सबसे आगे हैं। उनका चांसलर बनना लगभग तय है। चुनावी अभियान में मेर्ज ने प्रवासन रोकने को केंद्रीय मुद्दा बनाया है।

    अर्थव्यवस्था और जलवायु मंत्री और ग्रीन पार्टी से आने वाले रॉबर्ट हेबेक भी चांसलर की रेस में हैं।

    AfD ने ऐलिस वेइडेल को चांसलर उम्मीदवार घोषित किया है। वहीं, ओलाफ शोल्ज भी दूसरी बार चांसलर बनने के लिए मुकाबला कर रहे हैं।

    मुद्दे

    किन मुद्दों पर हो रहे हैं चुनाव?

    चुनाव में अवैध प्रवासन और अर्थव्यवस्था की स्थिति सबसे बड़े मुद्दे हैं।

    2019 से 2024 तक जर्मनी की अर्थव्यवस्था केवल 0.3 प्रतिशत बढ़ी है। यूक्रेन युद्ध ने अर्थव्यवस्था को खासा नुकसान पहुंचाया है।

    ऑटोमोबाइल कंपनियों का चीन के प्रति मोह बढ़ने और कुशल कारीगरों की कमी से उद्योगों को झटका लगा है।

    शरणार्थियों या अप्रवासियों द्वारा किए गए कथित उच्चस्तरीय हमलों के बाद प्रवासन भी सबसे अहम मुद्दा है।

    अल्पावधि

    समय से पहले क्यों हो रहे हैं चुनाव?

    जर्मनी में सितंबर में चुनाव होने थे। हालांकि, पिछले साल दिसंबर में चांसलर शोल्ज के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। इसके पक्ष में 394 और विरोध में 207 वोट पड़े थे।

    प्रस्ताव पारित होने के बाद शोल्ज को इस्तीफा देना पड़ा था।

    कानून के मुताबिक, चांसलर के इस्तीफा देने के 60 दिन के भीतर चुनाव होना जरूरी है। इस वजह से समय से पहले चुनाव हो रहे हैं।

    Facebook
    Whatsapp
    Twitter
    Linkedin
    सम्बंधित खबरें
    ताज़ा खबरें
    जर्मनी
    #NewsBytesExplainer

    ताज़ा खबरें

    बेंगलुरु भगदड़: शादी की तैयारी कर रहे युवक की मौत, पानी-पुरी बेचने वाले ने बेटा खोया बेंगलुरु
    यूट्यूब स्लीप टाइमर का उपयोग कैसे करें? यहां जानिए तरीका यूट्यूब
    आमिर खान ला रहे लोकेश कनगराज के साथ फिल्म, करियर में पहली बार करेंगे ये कारनामा आमिर खान
    IPL: किसी एक सीजन में PBKS के इन गेंदबाजों ने लिए है 20+ विकेट पंजाब किंग्स

    जर्मनी

    दुनिया के सबसे बड़े बार्बी डॉल संग्रह करने वाली जर्मन महिला बनी 'गुड़िया की डॉक्टर' बार्बी डॉल
    जर्मनी: चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने समुद्री डाकू की तरह आंख पर बांधी काली पट्टी, जानें कारण  दुनिया
    जर्मनी: किशोर ने हवा में कलाबाजी करते हुए पैरों से फोड़े गुब्बारे, बनाया विश्व रिकॉर्ड गिनीज बुक
    इस कॉलोनी में पिछले 500 सालों से नहीं बढ़ा किराया, आज भी केवल 77 रुपये अजब-गजब खबरें

    #NewsBytesExplainer

    #NewsBytesExplainer: डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से कितने बदलेंगे भारत-अमेरिका के रिश्ते? अमेरिका
    #NewsBytesExplainer: राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप पर चल रहे मुकदमों का क्या होगा?  अमेरिका
    #NewsBytesExplainer: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर क्या है पूरा विवाद? अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
    #NewsBytesExplainer: ट्रंप ने मस्क-रामास्वामी को जिस DOGE विभाग की जिम्मेदारी दी, उसका काम क्या है? विवेक रामास्वामी
    पाकिस्तान समाचार क्रिकेट समाचार नरेंद्र मोदी आम आदमी पार्टी समाचार अरविंद केजरीवाल राहुल गांधी फुटबॉल समाचार कांग्रेस समाचार लेटेस्ट स्मार्टफोन्स दक्षिण भारतीय सिनेमा भाजपा समाचार बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कोरोना वायरस रेसिपी #NewsBytesExclusive ट्रैवल टिप्स IPL 2025
    हमारे बारे में प्राइवेसी पॉलिसी नियम हमसे संपर्क करें हमारे उसूल शिकायत खबरें समाचार संग्रह विषय संग्रह
    हमें फॉलो करें
    Facebook Twitter Linkedin
    All rights reserved © NewsBytes 2025