हेनरी किसिंजर: सुर्खियों में रहने वाले 'महान कूटनीतिज्ञ' और 'युद्ध अपराधी' की विवादित शख्सियत
अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर का 100 साल की आयु में निधन हो गया है। किसिंजर को अमेरिकी राष्ट्रपतियों रिचर्ड एम निक्सन और गेराल्ड फोर्ड के कार्यकाल में और उसके बाद भी किए गए कार्यों के लिए याद किया जाता है। हालांकि, अपने बयानों और फैसलों की वजह से वे विवादों में भी रहे। यही वजह है कि कोई उन्हें महान कूटनीतिज्ञ मानता है तो कोई युद्ध अपराधी। आइए आज किसिंजर के बारे में जानते हैं।
जर्मनी में हुआ था किसिंजर का जन्म
किसिंजर का जन्म 1923 में जर्मनी में एक यहूदी परिवार में हुआ था। जब वे 12 साल के थे, तब उनकी नागरिकता छीन ली गई थी। इसके बाद किसिंजर का परिवार अगस्त 1938 में जर्मनी छोड़कर अमेरिका चले आया। यहां आकर वे हेनरी बन गए और 3 साल तक अमेरिकी सेना में भी काम किया। 1943 में उन्हें अमेरिका की नागरिकता मिल गई। उन्होंने स्नातक, मास्टर और PhD की डिग्री हासिल करने के बाद हार्वर्ड विश्वविद्यालय में काम भी किया।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से विदेश मंत्री तक का सफर
1969 में तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था। कहा जाता है कि यहीं से उनकी कूटनीतिज्ञ के रूप में यात्रा शुरू हुई। बाद में उन्हें विदेश मंत्री भी नियुक्त किया गया। वे दोनों पद एक साथ संभालते थे। 1973 में इजरायल और अरब देशों के युद्ध और वियतनाम युद्ध में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों से ही चीन और अमेरिका के बीच कूटनीतिक रिश्तों की शुरुआत हुई।
किसिंजर को नोबेल पुरस्कार मिलने पर हुआ था विवाद
किसिंजर को उत्तरी वियतनाम के ले डक थो के साथ संयुक्त रूप से 1973 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था। इसे लेकर खूब विवाद हुआ। डक थो ने इस पुरस्कार को अस्वीकार कर दिया और नोबेल चयन समित के 2 सदस्यों ने भी इस्तीफा दे दिया। दरअसल, किसिंजर ने वियतनाम युद्ध के दौरान कंबोडिया पर हजारों बम हमले करवाए थे। इनमें कई निर्दोष नागरिक मारे गए थे। इसे इतिहास का सबसे विवादित नोबेल पुरस्कार माना जाता है।
भारत-पाकिस्तान युद्ध में दिया था पाकिस्तान का साथ
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में किसिंजर की भूमिका काफी विवादास्पद रही थी। इस युद्ध में उन्होंने पाकिस्तान का साथ दिया था। उन्होंने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को सलाह दी थी कि वह चीन से भारत की सीमा के नजदीक अपनी सेना तैनात करने के लिए कहें। हालांकि, चीन ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था। लगभग इसी समय जब तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनसे मिलने गईं, तो किसिंजर ने उनके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया था।
राजनीति से संन्यास के बाद भी रहे सक्रिय
1977 में किसिंजर ने राजनीति और सरकारी सेवा छोड़ दी थी, इसके बावजूद वे सुर्खियों में बने रहे। किसिंजर विदेश नीति और सार्वजनिक मामलों पर अमेरिकी विशेषज्ञों को सलाह देते रहे। इस दौरान वे कई कंपनियों के बोर्ड में सदस्य रहे और विदेश नीति से जुड़े सम्मेलनों में हिस्सा लेते रहे। उन्होंने 21 किताबें भी लिखीं। इसी साल जुलाई में वो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने बीजिंग गए थे।