दुनिया के सबसे बड़े कार बाजारों की लिस्ट जारी, जानें किस पायदान पर है भारत
क्या है खबर?
हर साल UK मोटर 1 द्वारा जारी किए जाने वाले कारों के सबसे बड़े बाजार की टॉप-10 2021 की लिस्ट आ गई है।
महामारी, सेमीकंडक्टर चिप की कमी और विद्युतीकरण में आई तेजी के कारण पिछले साल वैश्विक वाहन बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले।
इसका सबसे ज्यादा असर इटली पर देखा गया जो इस साल टॉप-10 की लिस्ट से बाहर हो गया है। वहीं, भारत ऑटोमोबाइल बाजार में पिछले साल की तरह ही अपने पायदान पर कायम है।
बिक्री
कैसी रही पिछले साल की बिक्री?
वैश्विक स्तर पर पिछले साल वाहनों की बिक्री 2020 की तुलना में कुल 5 प्रतिशत के साथ बढ़कर लगभग 8 करोड़ 21 लाख यूनिट हो गई।
इसमें यात्री कार, पिकअप ट्रक और हल्के वाणिज्यिक वाहन शामिल थे। हालांकि, सभी देशों में इस तरह के सकारात्मक आंकड़े नहीं देखे गए।
साथ ही महामारी से पहले की स्थिति को देखें तो कुल बिक्री में 2019 में बेचे गए 8 करोड़ 96 लाख वाहनों की तुलना में बिक्री 8 प्रतिशत कम थी।
टॉप बिक्री देश
2021 में चीन रहा वाहनों का सबसे बड़ा हब
बीते साल चीन दुनिया के टॉप-10 वाहन बाजार की लिस्ट में सबसे आगे रहा।
चीन 2 करोड़ 63 लाख वाहनों के साथ सबसे बड़ा बाजार था। यह आंकड़ा साल 2020 की तुलना में 4 प्रतिशत और 2019 की तुलना में 6 प्रतिशत अधिक है।
इस बढ़ोतरी का कारण वहां की सरकार के द्वारा EV गाड़ियों के लिए मजबूत प्रोत्साहन है, जिसने इलेक्ट्रिक कारों को अन्य देशों की तुलना में अधिक किफायती बना दिया है।
आंकड़े
भारत की क्या रही स्थिति?
2021 लिस्ट में भारत अभी भी दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कार बाजार है। इसके बाद जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण कोरिया जैसे देशों का नाम आता है।
बता दें कि कुछ समय से भारतीय ऑटो बाजार को BS6 उत्सर्जन मानदंडों में बदलाव, कोरोना महामारी के प्रकोप और सेमीकंडक्टर की कमी जैसे संकटों का सामना करना पड़ रहा है।
इन सबके बावजूद भारत ने 2020 की तुलना में 26 प्रतिशत की बढ़ोतरी की।
जानकारी
इटली हुआ लिस्ट से बाहर
जारी किए गए 2021 में हल्के वाहनों की वैश्विक बिक्री के आंकड़ों के अनुसार इटली कार बाजार 12वां सबसे बड़ा बाजार था।
गौर करने वाली बात है कि इटली का बाजार हमेशा टॉप-10 में स्थान पाया है, लेकिन इस साल यह अपनी जगह नहीं बना पाई। इसके अलावा जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और स्पेन जैसे बाजारों में भी बिक्री में गिरावट देखी गई है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, कई देशों में कड़े उत्सर्जन मानदंडों के कारण ये गिरावट देखी गई है।