अमेरिका में अलास्कापॉक्स के संक्रमण से पहली मौत, जानें क्या है यह
अमेरिका के अलास्का के स्वास्थ्य अधिकारियों ने नए वायरस अलास्कापॉक्स से पहली मौत की पुष्टि की है। इस वायरस ने एंकरेज के दक्षिण में स्थित केनाई प्रायद्वीप के एक बुजुर्ग की जान ली है, जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली काफी कमजोर थी। यह व्यक्ति उन 7 मरीजों में से एक था, जो अलास्कापॉक्स से संक्रमित हैं। अलास्का के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से इस बीमारी से डरने की बजाय इसके प्रति जागरूक रहने की सलाह दी है।
अलास्कापॉक्स वायरस क्या है?
अलास्कापॉक्स डबल-स्ट्रैंडेड DNA वायरस चेचक, मंकीपॉक्स और काउपॉक्स की जीनस श्रेणी से आता है। यह अलास्का के फेयरबैंक्स नॉर्थ स्टार में जमे हुए पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से बाहर निकला था। इसका पहला मामला 2015 में फेयरबैंक्स में एक वयस्क में सामने आया। ये वायरस मनुष्यों सहित स्तनधारियों जीवों को संक्रमित कर सकता है। यह त्वचा पर घाव के रूप में उभरता है और फिर फैलने लगता है। 2015 के बाद से अलास्का में इसके कई मामले सामने आ चुके हैं।
कैसे अलास्कापॉक्स से संक्रमित हुआ मृतक व्यक्ति?
अलास्का के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, संक्रमित मृत व्यक्ति जंगल में अकेले रहता था। उसका कोई यात्रा का इतिहास नहीं था। संभव है कि जिस बिल्ली के साथ वह रहता था, उसने पंजा मारा हो, जिससे व्यक्ति वायरस से संक्रमित हो गया। हालांकि, बिल्ली की जांच में उसे वायरस से संक्रमित नहीं पाया गया। अधिकारियों का मानना है कि बिल्ली के पंजे से ये वायरस फैल सकता है। मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर थी, जिस कारण उसकी मौत हो गई।
संक्रमित व्यक्ति के अलास्कापॉक्स से संक्रमित होने का कैसे पता चला?
संक्रमित व्यक्ति को पिछले साल सितंबर में दाहिनी बगल में एक लाल फुंसी हुई थी। तब उसे कुछ एंटीबायोटिक्स दी गई थीं। 6 सप्ताह बाद संक्रमित व्यक्ति के लक्षण बिगड़े और उसने थकान और दर्द की शिकायत की। दिसंबर में काउपॉक्स के लिए पॉजिटिव टेस्ट परिणाम आया। दोबारा टेस्ट में इसे अलास्कापॉक्स कहा गया। अधिकारियों के अनुसार, दवाओं से शुरुआती सप्ताह में सुधार के बावजूद जनवरी के अंत में उसकी किडनी और श्वसन तंत्र फेलियर के कारण मृत्यु हो गई।
अलास्कापॉक्स के लक्षण और इससे कैसे बचा जाए?
अलास्कापॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की त्वचा पर एक या उससे अधिक घाव (फुंसी) नजर आते हैं। इसके अलावा लिम्फ नोड्स में सूजन और जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द जैसे अन्य लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वालों में इसका खतरा अधिक है। हालांकि, अभी तक एक मनुष्य से दूसरे में इसके फैलने के लक्षण नहीं मिले हैं, लेकिन फिर भी लोगों को दूरी बनाकर रखनी चाहिए। इसके प्रति जागरूकता और बचाव से इससे बचा जा सकता है।