
स्विट्जरलैंड में बच्चों के लिए बनी मलेरिया की पहली दवा मंजूर, अफ्रीकी देशों में लागू होगी
क्या है खबर?
बच्चों और नवजात शिशुओं के लिए बनी मलेरिया की पहली दवा को उपयोग के लिए मंजूरी दे दी गई है। इसे जल्द ही अफ्रीकी देशों समेत मलेरिया के उच्चतम दर वाले क्षेत्रों में लागू किया जाएगा। स्विट्जरलैंड की दवा कंपनी नोवार्टिस द्वारा विकसित नई दवा (कोआर्टेम बेबी या रियामेट बेबी) को यहां की दवा नियामक संस्था स्विसमेडिक ने मंजूरी दी है। यह दवा 4.5 किलोग्राम से कम वजन वाले बच्चों को दी जाएगी।
मलेरिया
अभी तक बच्चों के लिए नहीं थी कोई दवा
BBC के मुताबिक, अभी तक बच्चों के लिए मलेरिया की कोई दवा स्वीकृत नहीं हुई थी, जिससे उन्हें बड़े बच्चों की दवा दी जाती थी, जिसकी अधिक मात्रा लेने से खतरा था। नोवार्टिस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वास नरसिम्हन ने बताया कि यह एक महत्वपूर्ण क्षण है, 3 दशकों से अधिक समय से हम मलेरिया के विरुद्ध लड़ाई में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि दवा को नोवार्टिस ने मेडिसिन फॉर मलेरिया वेंचर (MMV) के सहयोग से विकसित किया है।
उपयोग
इन देशों में सबसे पहले लागू होगी दवा
वास नरसिम्हन का कहना है कि MMV एमएमवी एक स्विस-आधारित गैर-लाभकारी संगठन है। पहले इसे ब्रिटिश, स्विस और डच सरकारों के साथ-साथ विश्व बैंक और रॉकफेलर फाउंडेशन का समर्थन प्राप्त था। उन्होंने बताया कि 8 अफ्रीकी देशों ने दवा के मूल्यांकन और परीक्षण में भाग लिया और उम्मीद है कि वे इसे सबसे पहले प्राप्त करने वाले देशों में शामिल होंगे। यह बुर्किना फासो, आइवरी कोस्ट, केन्या, मलावी, मोजाम्बिक, नाइजीरिया, तंजानिया, और युगांडा सबसे पहले लागू होगी।
मौत
2023 में मलेरिया से अफ्रीका में हुई 5.97 लाख मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, वर्ष 2023 में मलेरिया से लगभग 5.97 लाख मौतें हुई, जिसमें 95 प्रतिशत से अधिक मौतें सिर्फ अफ्रीका में हुईं। इनमें 75 प्रतिशत मौत 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की हुई थी। बच्चों के लिए मलेरिया की दवा तो है, लेकिन 4.5 किलोग्राम या उससे कम वजन वाले सबसे छोटे बच्चों के लिए कोई विशेष उपचार उपलब्ध नहीं है। उनका इलाज बड़े बच्चों के लिए बनी दवाओं से किया जा रहा है।
इलाज
भारत में मलेरिया की क्या है स्थिति?
मलेरिया मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। इसके मामले अफ्रीका, एशिया, और दक्षिण अमेरिका में अधिक दिखाई देते हैं। इसके होने पर रोगी को तेज बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान, जी मितलाना, उल्टी होती है। गंभीर मामलों में खून की कमी, दौरे पड़ना, कोमा शामिल है। WHO के मुताबिक, भारत में मलेरिया के मामले 80 प्रतिशत तक कम हो गए हैं और मौत भी न के बराबर हैं। हालांकि, इसे मरीज हर साल मिलते हैं।