इस महीने आ सकते हैं कोरोना की संभावित वैक्सीन्स के ट्रायल के शुरुआती नतीजे
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में अपनी रफ्तार को एक बार फिर से बढ़ा दिया है। हर नए दिन के साथ संक्रमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। ऐसे में लोग अब एक कारगर वैक्सीन आने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। वैक्सीन तैयार करने में जुटी कंपनियों का कहना है कि इस साल के अंत तक कोरोना की वैक्सीन आ जाएगी, लेकिन यह इस महीने जारी होने वाले शुरुआती परिणामों पर निर्भर करेगा।
दुनियाभर में 170 वैक्सीन पर चल रहा काम
कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से ही अग्रणी संस्थानों और फार्मा कंपनियों ने एक कारगर वैक्सीन बनाने की तैयारी की शुरू कर दी थी। उनके प्रयासों से दुनियाभर में 170 से अधिक संभावित वैक्सीन्स पर काम किया जा रहा है। इनमें से 34 दुनिया भर में इंसानी ट्रायल के विभिन्न चरणों से गुजर रही हैं। तीन चरणों में हजारों लोगों पर किए गए इन अध्ययनों का उद्देश्य वैक्सीनों की सुरक्षा और प्राभाविकता का डाटा एकत्र करना है।
तीसरे चरण के इंसानी ट्रायल वाली वैक्सीनों का पहले आएगा परिणाम
इंसानी ट्रायल के चरण में चल रही कुल 34 वैक्सीनों में से कुछ चुनिंदा वैक्सीनों का तीसरे चरण का ट्रायल किया जा रहा है। यह चरण किसी भी वैक्सीन को मंजूरी देने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस समूह में ब्रिटेन स्थित एस्ट्रेजेनेका द्वारा तैयार वैक्सीन के शुरुआती परिणाम सबसे पहले सामने आने की उम्मीद है। वैक्सीन ट्रायल की निगरानी करने वाली एनालिटिक्स फर्म एयरफिनिटी लिमिटेड के अनुसार परिणाम 15 सितंबर तक जारी किए जा सकते हैं।
एस्ट्रेजेनेका के बाद मॉडर्न और फाइजर के परिणाम आने की उम्मीद
एस्ट्रेजेनेका के बाद अमेरिकी दिग्गज मॉडर्ना और फाइजर अपने आखिरी परीक्षण के परिणामों को जारी कर सकती है। एयरफिनिटी के अनुसार, दोनों कंपनियों की वैक्सीन्स का डाटा 22 अक्टूबर को वैक्सीनों को लेकर होने वाली फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) की बैठक से पहले आ सकता है। बता दें कि मॉडर्ना वह पहली अमेरिकी कंपनी है, जिसने सबसे पहले कोरोना वायरस वैक्सीन के इंसानी ट्रायल की शुरुआत की थी। इससे लोगों को बड़ी उम्मीद है।
चौथे नंबर पर जारी हो सकता है सिनोवैक का डाटा
चीन की सिनोवैक बायोटेक इंसानी ट्रायल का डाटा प्रकाशित करने वाली चौथी कंपनी हो सकती है। एयरफिनिटी की यह संभावना इन कंपनियों के प्रत्येक परीक्षण नामांकन और डिजाइन के साथ-साथ उन संक्रमणों की दर के आधार पर आई है, जहां प्रतिभागियों को नामांकित किया गया है। ऐसे में यदि संक्रमण की दर अधिक होती है तो जल्द ही प्रभावकारिता डाटा एकत्र करने की संभावना बढ़ जाती है। इससे वैक्सीन का सही पता चल सकेगा।
यह डाटा एक अच्छा संकेतक होगा
गौर करने की बात यह है कि संभावित वैक्सीनों के क्लिनिकल ट्रायल का डाटा वैक्सीन की पूरी तस्वीर सामने लाने की जगह उसके असर का संकेतक होगा। एयरफिनिटी ने कहा कि इस साल के अंत तक तीन सबसे आगे चल रही वैक्सीन का डाटा उपलब्ध होने की उम्मीद है। हालांकि, अमेरिका के मामले में यदि सितंबर-अक्टूबर के नतीजे काफी अच्छे मिलते हैं तो वैक्सीन को जल्दी आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी जा सकती है।
भारत की यह है स्थिति
भारत में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रेजेनेका द्वारा विकसित वैक्सीन के अंतिम चरण के क्लिनिकल ट्रायल और उत्पादन का कार्य सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा किया जा रहा है और इस वर्ष के अंत तक इसके उपलब्ध होने की उम्मीद की जा रही है। उसके बाद, भारत बायोटेक और जाइडस कैडिला की स्वदेशी वैक्सीन (यदि चल रहे इंसानी ट्रायल में सफल रहे) लोगों को महामारी से बचाने के लिए अधिक किफायती तरीका प्रदान कर सकती है।
दुनिया और भारत में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति
दुनियाभर में 2.62 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और 8.67 लाख लोगों की मौत हुई है। इसी तरह भारत में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 39,36,747 पर पहुंच गई है। देश में अब तक 68,472 लोगों की मौत हो चुकी है।