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    कोरोना वैक्सीन उपलब्ध होने पर भारत के 87 प्रतिशत व्यस्क इसे लेने के इच्छुक- सर्वे

    कोरोना वैक्सीन उपलब्ध होने पर भारत के 87 प्रतिशत व्यस्क इसे लेने के इच्छुक- सर्वे

    लेखन प्रमोद कुमार
    Sep 01, 2020
    08:38 pm

    क्या है खबर?

    कोरोना वायरस की संभावित वैक्सीन को लेकर चर्चा तेज हो गई है।

    कई ऐसी वैक्सीन्स हैं, जो इंसानी ट्रायल के अंतिम चरण में पहुंच गई हैं और कुछ ही महीनों में उनके लोगों के लिए उपलब्ध होने की उम्मीद है।

    इसी बीच 27 देशों में हुए एक सर्वे में पता चला है कि 74 प्रतिशत व्यस्क वैक्सीन की खुराक लेने के इच्छुक हैं। भारत में यह आंकड़ा थोड़ा बढ़कर 84 प्रतिशत हो जाता है।

    जानकारी

    27 देशों के लगभग 20,000 व्यस्कों पर हुआ सर्वे

    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम (WEF) और Ipsos ने 27 देशों के लगभग 20,000 व्यस्कों को इस सर्वे में शामिल किया था। इनमें से 26 प्रतिशत का कहना है कि वो वैक्सीन की खुराक नहीं लेना चाहते। इन्होंने इसके कई कारण बताए हैं।

    सर्वे

    चीन के सर्वाधिक 97 फीसदी व्यस्क वैक्सीन लेने के इच्छुक

    सर्वे में चीन के सर्वाधिक व्यस्क वैक्सीन लेने के इच्छुक दिखे हैं। यहां के 97 प्रतिशत व्यस्कों का कहना है कि उपलब्ध होने पर वो वैक्सीन की खुराक ले सकते हैं।

    भारत 87 प्रतिशत व्यस्कों के साथ इस सूची में चौथे नंबर पर है। वहीं 13 प्रतिशत इसके खिलाफ हैं।

    इनके अलावा हंगरी, पोलैंड और रूस के क्रमश: 56, 56 और 54 प्रतिशत व्यस्क वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं ताकि वो खुराक ले सकें।

    विरोध की वजह

    वैक्सीन लेने से मना करने वालों के क्या कारण हैं?

    सर्वे में वैक्सीन लेने से मना करने वाले लोगों के छह प्रमुख कारण बताए गए हैं।

    इनमें वैक्सीन के साइड इफेक्ट, वैक्सीन के प्रभावी होने पर संदेह, वैक्सीन का विरोध, समय की कमी, यह भरोसा कि उन्हें कोरोना नहीं हो सकता और 'अन्य' शामिल हैं।

    जिन लोगों ने खुराक लेने से मना किया है उनमें से अधिकतर (56 प्रतिशत) का कहना है कि वो वैक्सीन के संभावित साइड इफेक्ट्स को लेकर चिंतित हैं।

    कोरोना वायरस

    भारत में इन वजहों से वैक्सीन नहीं लेना चाहते लोग

    भारत में जिन 16 प्रतिशत व्यस्कों ने वैक्सीन की खुराक लेने की इच्छा नहीं दिखाई है, उनमें से 46 प्रतिशत इसके साइड इफेक्ट्स को लेकर चिंतित है।

    23 प्रतिशत को इसके कामयाब होने पर शक है, 37 प्रतिशत का मानना है कि उन्हें कोरोना होने का खतरा नहीं है, 18 प्रतिशत वैक्सीन में भरोसा नहीं करते, 12 प्रतिशत ने दूसरे कारण दिए हैं और 4 प्रतिशत का कहना है कि उनके पास समय नहीं है।

    जानकारी

    24 जुलाई से 7 अगस्त के बीच किया गया सर्वे

    सर्वे में एक व्यस्क से एक से ज्यादा जवाब मांगे गए थे, जिस कारण इनकी संख्या 100 प्रतिशत से ज्यादा जा रही है। यह सर्वे 24 जुलाई से 7 अगस्त के बीच अमेरिका, कनाडा, मलेशिया, तुर्की, भारत और अन्य देशों में किया गया था।

    वैक्सीन की उम्मीद

    वैक्सीन को लेकर चीन के लोग सबसे ज्यादा आशावादी

    चीन के लोग इस बात को लेकर सर्वाधिक आशावादी हैं कि इस साल के अंत तक वैक्सीन आ जाएगी।

    यहां के 87 प्रतिशत व्यस्क मानते हैं कि 2020 के अंत तक वैक्सीन उपलब्ध होगी।

    भारत इस सूची में तीसरे नंबर पर है। यहां के 75 प्रतिशत लोगों को साल के अंत तक वैक्सीन उपलब्ध होने की उम्मीद है।

    वहीं जापान, पोलैंड और बेल्जियम के अधिकतर लोगों को इस बार पर शक है कि इस साल वैक्सीन आ पाएगी।

    जानकारी

    समाज के पढ़े-लिखे और धनी वर्ग के लोग सर्वे में शामिल

    सर्वे में भाग लेने वाले भारत, ब्राजील, चिली, चीन, मलेशिया, मैक्सिको, पेरू, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की के अधिकतर व्यस्क शहरी, पढ़े-लिखे और समाज क धनी वर्ग से आने वाले लोग हैं।

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