अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण पर लगाया एक रुपये का जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण द्वारा की गई कोर्ट की अवमानना मामले में सोमवार को अपना फैसला सुना दिया है। शीर्ष अदालत ने मामले में प्रशांत भूषण पर एक रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि भूषण आगामी 15 सितंबर तक जुर्माना राशि जमा करने में विफल रहते हैं तो उन्हें तीन महीने साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी और वह तीन साल के लिए वकालत करने पर रोक रहेगी।
प्रशांत भूषण ने जून में किए थे विवादित ट्वीट
प्रशांत भूषण ने जून में दो ट्वीट करते CJIs की आलोचना की थी। 27 जून के ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि बिना आधिकारिक आपातकाल के भारत में लोकतंत्र खत्म हो गया। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के पिछले चार CJIs की भूमिका को चिन्हित किया जाएगा। इसी तरह 29 जून के ट्वीट में उन्होंने CJI बोबड़े की हार्ले डेविडसन बाइक की सवारी करते हुए फोटो पोस्ट कर लिखा था कि CJI आनंद ले रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट बंद है।
फैसला किसी प्रकाशन या मीडिया में आए विचारों से प्रभावित नहीं हो सकता- कोर्ट
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने फैसला सुनाने के दौरान कहा कि फैसला किसी प्रकाशन या मीडिया में आए विचारों से प्रभावित नहीं हो सकता है। कोर्ट के विचार किए जाने से पहले ही प्रशांत भूषण के प्रेस को दिए बयान कार्यवाही को प्रभावित करने वाले थे। उसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था। अत: उन्हें सजा के तौर पर एक रुपये जुर्माना देना होगा।
भूषण ने दो बार माफी मांगने से कर दिया था इनकार
बता दें कि गत 20 अगस्त को मामले में हुई सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कोर्ट से माफी मांगने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था, "मैं केवल यह दोहरा सकता हूं कि मेरे दोनों ट्वीट मेरे प्रामाणिक विश्वासों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसकी अभिव्यक्ति किसी भी लोकतंत्र में स्वीकार्य होनी चाहिए।" इस पर मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने उन्हें अपने बयान पर पुनर्विचार करने के लिए दो दिन का समय दिया था।
सशर्त या बिना शर्त की माफी निष्ठाहीन होगी- भूषण
मामले में 24 अगस्त को हुई सुनवाई भी उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया था। कोर्ट में प्रस्तुत किए गए अपने लिखित जवाब में उन्होंने कहा था, 'मेरे ट्वीट्स सद्भावनापूर्वक थे, जिस पर मैं आगे भी कायम रहना चाहता हूं। इन मान्यताओं पर अभिव्यक्ति के लिए सशर्त या बिना शर्त की माफी निष्ठाहीन होगी।' उन्होंने कहा था 'यदि मैं बयान से मुकर जाऊं तो मेरी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें मैं सबसे ज्यादा विश्वास रखता हूं।'
फैसला वापस लेने का किया गया था अनुरोध
मामले में भूषण की तरफ से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि वह 14 अगस्त के अपने फैसले को वापस ले लें, जिसमें भूषण को दोषी ठहराया गया और उन्हें कोई सजा न दें। वहीं अटॉर्नी जनरल के वेणुगोपाल ने भी सजा नहीं देने का अनुरोध किया था। उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उनके अनुरोधों को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि भूषण माफी मांगने को तैयार नहीं है।
अदालत ने भूषण को ठहराया था अवमानना का दोषी
गत 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने 63 वर्षीय प्रशांत भूषण को उनके दो ट्वीट्स के लिए कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि भूषण के ट्वीट्स से सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को धक्का लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भूषण ने पूरे सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर हमला किया है और इन्हें सख्त तरीके से डील नहीं किया जाता है तो इससे राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और ख्याति प्रभावित होगी।